NCERT Solutions Class 8 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन Chapter- 8 (हाशियाकरण से निपटना)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
Class 8 सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन
पाठ-8 (हाशियाकरण से निपटना)
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
आपकी राय में दलितों और आदिवासियों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए आरक्षण इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है। इसका एक कारण बताइए।
उत्तर :
दलितों और आदिवासियों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए आरक्षण महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसी के द्वारा समाज में व्याप्त असमानता को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
क्या आपको ऐसा लगता है कि रलम को परंपरागत रस्म निभाने के लिए जिस तरह मजबूर किया जा रहा था, वह उसके मौलिक अधिकारों का हनन था?
उत्तर :
दलित जाति का होने के कारण रत्नम को परंपरागत रस्म निभाने के लिए जिस तरह मजबूर किया जा रहा। था वह उसके मौलिक अधिकारों का हनन है, क्योंकि संविधान के अनुसार देश के सभी नागरिक समान है।
प्रश्न 3.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि दलित परिवार शक्तिशाली जातियों के गुस्से की आशंका से डरे हुए थे?
उत्तर :
दलितों की रोजी-रोटी (आजीविका) सवर्णो के खेत-खलियानों पर काम करने से चलती थी उनको डर था कि यदि सवर्ण गुस्सा हो गए तो वे उन्हें काम देना बंद कर देते। तो वे क्या खाएँगे? जिंदगी कैसे चलेगी?
प्रश्न 4.
क्या आप 1989 के कानून के दो प्रावधानों का उल्लेख कर सकते हैं?
उत्तर :
1989 के कानून के दो प्रावधान
- अगर कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के नाम पर आबंटित की गई या उसके स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करता है या खेती करता है या उसे अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है तो उसे सजा दी जाएगी।
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति को कोई अखाद्य अथवा गंदा पदार्थ पीने या खाने के लिए विवश करते हैं।
प्रश्न 5.
शब्द संकलन को देखें और अपने शब्दों में लिखें कि ‘नैतिक रूप से निदनीय’ पद का आप क्या मतलब समझते हैं?
उत्तर :
नैतिक रूप से निंदनीय-
वह कार्य जो समाज द्वारा स्वीकृत न हो।
अथवा
इस प्रकार का व्यवहार या कृत्य करना जो समाज द्वारा स्थापित किए गए नैतिक मूल्यों का उल्लंघन करता है।
प्रश्न 6.
सिर पर मैला उठाने का आप क्या अर्थ समझते हैं?
उत्तर :
सिर पर मैला उठाने का अर्थ
मनुष्यों द्वारा झाडू, टीन और टोकरियों के सहारे पशुओं और इंसानों के मलमूत्र को उठाकर ठिकाने लगाना।
प्रश्न 7.
एन.सी.ई.आर.टी. पाठ्यपुस्तक पेज 14 पर दिए गए मौलिक अधिकारों की सूची को दोबारा पढ़े और ऐसे दो अधिकारों का उल्लेख करें जिनको इस प्रथा के जरिए उल्लंघन हो रहा है।
उत्तर :
सिर पर मैला उठाने का कार्य निम्नलिखित दो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है
- समानता का अधिकार।
- स्वतंत्रता का अधिकार।
प्रश्न 8.
सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन ने 2003 में जनहित याचिका क्यों दायर की? अपनी याचिका में उन्होंने किस पर आपत्ति व्यक्त की थी?
उत्तर :
जनहित याचिका दायर करने का कारण
- 1993 में सरकार ने एम्लॉयमेंट आफ मैन्युअल स्केवेंजर्स एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ ड्राई लैट्रीन्स एक्ट-1993 पारित किया था। इस कानून ने सिर पर मैला उठाने की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- इस कानून के बाद भी यह प्रथा 2003 में भी जारी थी।
- सफाई कर्मचारी आंदोलन को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर आपत्ति थी।
प्रश्न 9.
2005 में इस याचिका पर विचार करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने क्या किया?
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
- केंद्र व राज्य सरकार के सभी विभाग मंत्रालय 6 माह के अंदर इस बात की सच्चाई का पता लगाएँ।
- यदि प्रथा अभी भी प्रचलन में पाई जाती है तो संबंधित सरकारी विभाग ऐसे लोगों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करें।
तालिका अध्ययन प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्तर :
प्रश्न-अभ्यास
( पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए।
उत्तर :
ऐसे दो मौलिक अधिकार जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए प्रयोग कर सकते हैं-
- समानता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
प्रश्न 2.
रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढिए। अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इसी कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई।।
उत्तर :
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989-
- रत्नम को पुजारियों के पैरों के धोवन के पानी से नहाने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
- इस अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसा कृत्य (कार्य) करने के लिए मजबूर करना जो मानवीय प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है अपराध माना जाता है।
- रत्नम ने इसीलिए इस अधिनियम के अंतर्गत शिकायत दर्ज कराई।
प्रश्न 3.
सी.के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं? इस कानून के प्रावधानों में ऐसा क्या खास है जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है?
उत्तर :
सी. के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं की सोच का कारण-
- 1989 के कानून का एक प्रावधान यह भी है कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी
- व्यक्ति के नाम पर आवंटित की गई या उसके स्वामित्व वाली जमीन पर कोई व्यक्ति कब्जा करता है या खेती करता है या उसे अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है तो उसे सजा दी जाएगी।
- इसी कारण सी. के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को लगा कि वे अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ 1989 के अधिनियम का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
इस इकाई में दी गई कविताएँ और गीत इस बात का उदाहरण है कि विभिन्न व्यक्ति और समुदाय अपनी सोच, अपने गुस्से और अपने दुखों को किस-किस तरह से अभिव्यक्त करते हैं। अपनी कक्षा में ये दो कार्य कीजिए-
(क) एक ऐसी कविता खोजिए जिसमें किसी सामाजिक मुद्दे की चर्चा की गई है। उसे अपने सहपाठियों के सामने पेश कीजिए। दो या अधिक कविताएँ लेकर छोटे-छोटे समूहों में बँट जाइए और उन कविताओं पर चर्चा कीजिए। देखें कि कवि ने क्या कहने का प्रयास किया है।
(ख) अपने इलाके में किसी एक हाशियाई समुदाय का पता लगाइए। मान लीजिए कि आप उस समुदाय के सदस्य हैं। अब इस समुदाय के सदस्य की हैसियत से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कोई कविता या गीत लिखिए या पोस्टर आदि बनाइए।
उत्तर :
(क) विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) विद्यार्थी स्वयं करें।