NCERT Solutions Class 8 वसंत Chapter-3 (बस की यात्रा)
NCERT Solutions Class 8 वसंत 8 वीं कक्षा से Chapter-3 (बस की यात्रा) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी वसंत के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
Class 8 वसंत
पाठ-3 (बस की यात्रा)
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
पाठ-3 (बस की यात्रा)
कारण बताएँ
1. “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”
• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर :
लेखक के मन में कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए इसलिए श्रद्धा जाग गई क्योंकि
(क) कंपनी का हिस्सेदार थोड़े से पैसों के लिए अपनी तथा यात्रियों की जान की परवाह नहीं कर रहा था
(ख) वह घिसे टायर लगाकर बस चलवा रहा था और जान जोखिम में डालकर यह काम कर रहा था
(ग) अपनी उत्सर्ग की भावना का परिचय वह कुछ ही रुपयों के बदले दे रहा था
(घ) उनके साहस और बलिदान की भावना को देखते हुए उन्हें किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए
2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते
• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर :
लोगों ने लेखक को यह सलाहे इसलिए दी क्योंकि वे बस की दयनीय दशा से भली-भाँति परिचित थेउन्हें यह भी पता था कि यह बस कहाँ खराब हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता हैयह जीर्ण-शीर्ण हैइसके खराब होने पर ठीक होने की संभावना भी कम हैयात्रा के बीच में कहाँ रुककर सारी रात बितानी पड़े, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है
3. “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर :
लेखक को ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि स्टार्ट होने पर बस के इंजन में ही कंपन होना चाहिए था, पर यहाँ तो सारी बस ही बुरी तरह खड़-खड़ करती हुई हिलने लगीपूरी बस में तेज कंपन होने लगाखिड़कियों के काँच पूरे शोर के साथ हिलने लगेलेखक की सीट भी इस कंपन से काँप रही थीइससे लेखक तथा उसके साथी भी हिलने लगे थे।
4. “गज़ब हो गयाऐसी बस अपने आप चलती है।”
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर :
ऐसी बस अपने आप चलती है, यह बात सुनकर लेखक को इसलिए हैरानी हुई क्योंकि वह सोच रहा था, ऐसी खटारा बस चलने के योग्य तो है ही नहींउसकी जर्जर अवस्था देखकर वह विश्वास ही नहीं कर पाता था कि यह बस बिना धक्का दिए चलती होगी, पर कंपनी का भागीदार इसे अपने-आप चलने की बात कर रहा था, जिसे सुनकर लेखक हैरान था
5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”
• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर :
लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस के एक-एक पुरजे खराब हो रहे थे और बस बार-बार रुक रही थीबस से उसका विश्वास उठ चुका थाउसे लग रहा था कि बस की ब्रेक फेल हो सकती है, स्टेयरिंग टूट सकता है और बस अनियंत्रित होकर सड़क के किनारे के पेड़ों से टकरा सकती है
पाठ से आगे
1. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए
उत्तर :
सविनय अवज्ञा आंदोलन महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सन् 1930 में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध शुरू किया गयाउस समय भारतीय समाज गरीबी में दिन बिता रहा थालोगों को मुश्किल से दो जून की रोटी नसीब हो रही थीवे मुश्किल से नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे थेअंग्रेजों ने नमक पर भी टैक्स लगा दियाइससे नाराज गांधीजी ने नमक बनाकर कानून भंग कियासविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे
(क) भारतीय किसान व्यावसायिक खेती करने पर विवश थेव्यापार में मंदी और गिरती कीमतों के कारण वे बहुत परेशान थे
(ख) उनको आय कम होती जा रही थी और वे लगान का भुगतान नहीं कर पा रहे थे।
(ग) ब्रिटिश सरकार के शोषण के विरुद्ध इसे हथियार बनाया गया
2. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए
उत्तर :
सविनय अवज्ञा का उपयोग लेखक ने बस की जीर्ण-शीर्ण तथा खटारा दशा होने के बावजूद उसके चलने या चलाए जाने के संदर्भ में किया हैयह आंदोलन 1930 में अंग्रेजी सरकार की आज्ञा न मानने के लिए किया गया था12 मार्च 1930 को डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा गयाअंग्रेजों की दमनपूर्ण नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही, यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी
3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए
उत्तर :
पिछली गर्मी की छुट्टियों की बात हैमुझे अपने मित्र के बड़े भाई की शादी में लखनऊ जाना थानियत तिथि पर जाने के लिए मैंने टिकट आरक्षण करवा लिया दुरभाग्य से उस दिन किसी कारण से दिल्ली-वाराणसी समर स्पेशल निरस्त कर दी गईमजबूरन मुझे बस अड्डे जाना पड़ावहाँ दो घंटे से पहले कोई बस न थीशाम के आठ बज चुके थेतभी एक व्यक्ति ‘लखनऊ चलो ए.सी. बस से लखनऊ चलो’ की आवाज लगाता आयामैंने जैसे ही उससे कुछ पूछना चाहा, उसके साथी मेरा सामान उठाकर बस की ओर चल पडेबस थोड़ी दूर बाहर खड़ी थीमेरे जैसी उसमें सात-आठ सवारियाँ और भी थींबस कंडक्टर ने अपने साथियों को और सवारी लाने भेज दियायात्रियों द्वारा शोर करने पर बस रात बारह बजे चलीए.सी. चलाने के लिए कहने पर कंडक्टर ने बताया कि ए.सी. अभी-अभी खराब हुआ हैगाजियाबाद से आगे जाते ही ड्राइवर ने बस एक होटल पर रोक दीड्राइवर-कंडक्टर के मुफ्त में खाए भोजन का खर्च हमें देना पड़ाखैर अलीगढ़ से चलने के पंद्रह मिनट बाद ही चार नवयुवकों ने हाथ में चाकू निकाल लिए और यात्रियों से नकदी व सामान देने को कहाघबराए यात्रियों ने उनके आदेशों का पालन किया और वैसा ही करने लगे जैसा नवयुवकों ने कहा थाइसी बीच किसी लोकल यात्री ने सामान निकालने के बहाने बस का नंबर बताकर अलीगढ़ के डी.एस.पी. को फोन पर मैसेज भेज दिया, जो उसके रिश्तेदार थेलुटेरे बेफिक्री से अपना काम कर रहे थे कि आधे घंटे बाद सामने से आती पुलिस की गाड़ियों ने बस को रुकवा लिया और लुटेरों के भागने से पहले धर दबोचासब अपने-अपने सामान एवं नकदी पाकर बहुत प्रसन्न हुएमैसेज भेजने वाले व्यक्ति का साहस पूर्ण कार्य तथा उसका फोटो अगले दिन लखनऊ से प्रकाशित समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुआखैर इस घटना के बाद बस सकुशल लखनऊ पहुँच गईमैं तीसरे दिन लखनऊ मेल से दिल्ली वापस आ गयाआज भी हम उस व्यक्ति को मन-ही-मन धन्यवाद देते हैं।
मन बहलाना
1. अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए
उत्तर :
बस यदि जीवित प्राणी होती तो अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को कुछ इस तरह कहती
मैं एक पुरानी तथा जीर्ण-शीर्ण बस हूँआज से करीब तीस साल पहले मैं भी नई-नवेली, जवान तथा सुंदर थीमेरा ड्राइवर मुझे फूल-मालाओं से सजाता।मेरी सीट पर बैठने से पहले वह मेरे पैर छूता जरा भी गंदगी अंदर-बाहर दिख जाने पर कंडक्टर को डाँटता, पर आज लगता है कि यह सब सपने की बातें हैंआज मैं वृद्धा अवस्था में पहुँच गई हूँ तब से अब तक कई ड्राइवर तथा कंडक्टर बदल गए हैंइस समय जो ड्राइवर है, वह मेरा ध्यान नहीं रखता हैमेरी साफ-सफाई किए बिना ही मुझ पर सवार हो जाता हैशाम को मेरी सीटों पर बैठकर भोजन करता है और मुझे गंदा करके छोड़ जाता हैविश्वकर्मा पूजा के दिन के अलावा अब कभी मेरे ऊपर फूल माला नहीं चढ़ाई जाती हैमेरा चलने को मन नहीं होता है पर यह धक्के दे-देकर मुझे जबरदस्ती चलवाता हैसवारियाँ इतनी लाद लेता है कि मेरा अंग-अंग टूटने लगता है और लगता है कि अब दम निकल ही जाएमेरी आँखें खराब हो चुकी हैं तथा हाथ-पैर जवाब दे रहे हैं, पर मेरा ड्राइवर इन बातों से अनभिज्ञ है क्योंकि उसे पैसे कमाना है
भाषा की बात
1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगामेरे वश में नहीं हैअब बस करो।
• उपर्युक्त वाक्यों के समान तीनों शब्दों से युक्त दो-दो वाक्य बनाइए
उत्तर :
तीनों शब्दों से बने दो-दो वाक्य निम्नलिखित हैं
बस – (सवारी के अर्थ में)
(क) मेरे पास पैसे कम हैं, इसलिए बस से जाऊँगा।
(ख) बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर लेना ही ठीक रहेगा
वश – (अधीनता के अर्थ में)
(क) इस व्यक्ति को हराना आपके वश का नहीं है
(ख) भारत को हराना श्रीलंका के वश में नहीं है।
बस – (सिर्फ / मात्र के अर्थ में)
(क) बस अब खाना बंद करो अन्यथा पेट खराब हो जाएगा।
(ख) बस अब लड़ना-झगड़ना बंद भी कर दीजिए
2. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।” ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैंऐसे शब्दों को कारक कहते हैंइसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है।
• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए
उत्तर :
कारक चिह्न युक्त वाक्य
(क) बस कंपनी के हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे
(ख) डॉक्टर मित्र ने कहा, “डरो मत चलो।”
(ग) मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था
(घ) क्षीण चाँदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी
(ङ) धीरे-धीरे वृद्धा की आँखों की ज्योति जाने लगी
‘कि’योजक शब्द युक्त वाक्य
(क) हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है
(ख) मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है
(ग) मैं उम्मीद कर रहा था कि थोड़ी देर बाद बस कंपनी के हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेंगे
(घ) लोग इसलिए इसमें सफर नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा
3. “हम फौरन खिड़की से दूर सरक गएचाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थीदिए गए वाक्यों में आई “सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैंऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे-घूमना इत्यादिउन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर :
गति के लिए प्रयोग होने वाली कुछ क्रियाएँ और उनके वाक्य प्रयोग
टहलना-मरीज अब धीरे-धीरे टहलने लगा है
चलना-इस चिकने फर्श पर संभलकर चलना।
दौड़ना-पुलिस वालों को प्रतिदिन व्यायाम में दौड़ना पड़ता है।
धड़कना-तेज दौड़ने से उसका दिल जोर से धड़कने लगा।
चक्कर लगाना-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।
4. काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”
इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही
शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।
(क) जल (ख) फल (ग) हार
उत्तर :
अनेकार्थी शब्द वाक्य प्रयोग
(क) जल जल के बिना यह पृथ्वी आग के समान जल सकती है।
(ख) फल फल की चिंता किए बिना वह बाग में फल तोड़ने लगा।।
(ग) हार फूलों के हार की आशा लगाए बैठे नेताजी को चुनाव में हार मिली।
5. भाषा की दृष्टि से देखें तो हमारी बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फस्र्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
संख्यावाचक तथा गुणवाचक विशेषण के कुछ उदाहरण संख्यावाचक विशेषण-पाँच मित्रों, चार बजे, आठ-दस मील, पंद्रहबीस मील, फर्स्ट क्लास, दूसरा टायर। गुणवाचक विशेषण-समझदार, वयोवृद्ध, अनुभवी, विश्वसनीय, जवान, हरे-भरे, क्षीण, वृद्धा, क्रांतिकारी, महान।