NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-1 (संसाधन एवं विकास)

NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-1 (संसाधन एवं विकास)

NCERT Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 10 वीं कक्षा से Chapter-1 (संसाधन एवं विकास) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको5 इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 
हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी समकालीन भारत - 2 के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions Class 10 समकालीन भारत - 2 Chapter-1 (संसाधन एवं विकास)
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर

Class 10 समकालीन भारत - 2

पाठ-1 (संसाधन एवं विकास)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

पाठ-1 (संसाधन एवं विकास)

पृष्ठ संख्या: 13

अभ्यास 

1. वैकल्पिक प्रश्न

(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?

(क) नवीकरण योग्य 

(ख) प्रवाह 

(ग) जैव 

(घ) अनवीकरण योग्य

उत्तर (घ) अनवीकरण योग्य

(ii) ज्वारीय उर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?

(क) पुनः पूर्ति योग्य 

(ख) अजैव 

(ग) मानवकृत 

(घ) अचक्रीय

उत्तर (क) पुनः पूर्ति योग्य

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?

(क) गहन खेती 

(ख) अधिक सिंचाई 

(ग) वनोन्मूलन 

(घ) अतिपशुचारण

उत्तर (ख) अधिक सिंचाई

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रान्त में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?

(क) पंजाब 

(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान 

(ग) हरियाणा 

(घ) उत्तरांचल

उत्तर (घ) उत्तरांचल

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है?

(क) जम्मू और कश्मीर 

(ख) राजस्थान 

(ग) गुजरात 

(घ) झारखण्ड

उत्तर (ग) गुजरात

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है?

उत्तर

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कपास की खेती की जाती है।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर

पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(क) जलोढ़ मृदाएँ बहुत उपजाऊ होती हैं।

(ख) गन्ने, चावल, गेंहूँ और अन्य दलहन फसलों की खेती के लिए यह मिट्टी आदर्श मानी जाती है।

(ग) जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि के कारण जनसँख्या घनत्व अधिक होता है।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर

पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए समोच्च जुताई, फसलों के बीच घास की पट्टियाँ उगाकर पट्टी कृषि कर पवनों द्वारा जनित बल को कमजोर करना तथा पेड़ों को कतारों में लगाकर रक्षक मेखला बनाना जैसे उपाय उपयोग करना चाहिए।

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदहारण दें।

उत्तर

जैव संसाधन- जिन संसाधनों की प्राप्ति जीव मंडल से होती है तथा जिनमें जीवन व्याप्त हैं, जैव संसाधन कहलाते हैं जैसे- मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि।

अजैव संसाधन- निर्जीव वस्तुओं से बने सारे संसाधन अजैव संसाधन कहलाते हैं जैसे-चट्टानें और धातुएं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 130 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में भूमि उपयोग का प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?

उत्तर

भारत में भू-संसाधनों के उपयोग को विभिन्न भागों में बाँटा गया है - वनों के अंतर्गत भूमि, कृषि योग्य भूमि, चारागाह के लिए भूमि और बंजर भूमि। बंजर भूमि में पहाड़ी चट्टानें, सूखी और मरूस्थलीय भूमि शामिल हैं। गैर-कृषि प्रयोजनों में लगाई गयी भूमि में बस्ती, सड़कें, रेल लाइन, उद्योग आदि आते हैं। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 54 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य, 22.5 प्रतिशत भूमि वनों के अंतर्गत और 3.45 प्रतिशत भूमि चारागाह के लिए उपलब्ध है।

वर्ष 1960-61 से वनों के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है, क्योंकि स्वतंत्रता काल के बाद मुख्य रूप से हरित क्रांति के बाद अधिकतर भूमि कृषि के लिए, तथा आधारभूत संरचना की सुविधाओं के विकास के लिए भूमि का उपयोग किया गया जो वन-क्षेत्र के निकासी के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अतिरिक्त औद्योगीकरण तथा नगरीकरण भी वनोन्मूलन के लिए जिम्मेदार हैं। इस प्रकार 1960-61 से वनों के अंतर्गत भूमि का 4 प्रतिशत ही विस्तार हुआ है।

(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?

उत्तर

प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग होने के निम्नलिखित कारण हैं:

→ कृत्रिम उपकरण प्रौद्योगिकी विकास की देन हैं, परिणामस्वरूप उत्पादन में बढ़त के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग किया जाता है।

→ तकनीकी विकास के कारण आर्थिक विकास संभव है। जब किसी देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आती है तब लोगों की जरूरतें बढती है। फलस्वरूप संसाधनों का अधिक उपयोग होता है।

→ आर्थिक विकास नवीन तकनीकी विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। इस कारण नए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाता है।

परियोजना/क्रियाकलाप

3. वर्ग पहेली को सुलझाए, ऊध्वार्धर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूँढें।

नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।

(i) भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा

(ii) अनवीकरण योग्य संसधान का एक प्रकार

(iii) उच्च नमी रखाव वाली मृदा

(iv) मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ

(v) मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना

(vi) भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।

उत्तर

(i) Resources

(ii) Minerals

(iii) Black

(iv) Laterite

(v) Afforestation

(vi) Alluvial

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