NCERT Solutions Class 11 भौतिकी विज्ञान Chapter-15 (तरंगें)
Class 11 (भौतिकी विज्ञान )
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
पाठ-15 (तरंगें)
प्रश्न 1.
2.50 kg द्रव्यमान की 20 cm लम्बी तानित डोरी पर 200 N बल का तनाव है। यदि इस डोरी के एक सिरे को अनुप्रस्थ झटका दिया जाए, तो उत्पन्न विक्षोभ कितने समय में दूसरे सिरे तक पहुँचेगा?
उत्तर :
डोरी का द्रव्यमान m = 250 kg, लम्बाई l = 20 cm = 0.2 m
तथा डोरी का तनाव T = 200 N
प्रश्न 2.
300 m ऊँची मीनार के शीर्ष से गिराया गया पत्थर मीनार के आधार पर बने तालाब के पानी से टकराता है। यदि वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 है तो पत्थर के टकराने की ध्वनि मीनार के शीर्ष पर पत्थर गिराने के कितनी देर बाद सुनाई देगी?(g = 9. 8 ms-2)
उत्तर :
माना पत्थर को तालाब तक पहुँचने में t1 तथा ध्वनि को तालाब से मीनार के शीर्ष तक पहुँचने में t2 समय लगता है।
पत्थर की मीनार के शीर्ष से तालाब तक गति ।
u = 0, h = 300 m, g = 9.8 ms-2, समय = t1
प्रश्न 3.
12.0 m लम्बे स्टील के तार का द्रव्यमान 2.10 kg है। तीर में तनाव कितना होना चाहिए ताकि उस तार पर किसी अनुप्रस्थ तरंग की चाल 20°C पर शुष्क वायु में ध्वनि की चाल (343 ms-1) के बराबर हो।
उत्तर :
यहाँ L = 120 मीटर लम्बे तार का द्रव्यमान M = 2.10 किग्रा तथा तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल v = 343 मी-से-1
प्रश्न 4.
का उपयोग करके स्पष्ट कीजिए कि वायु में ध्वनि की चाल क्यों
(a) दाब पर निर्भर नहीं करती,
(b) ताप के साथ बढ़ जाती है, तथा
(c) आर्द्रता के साथ बढ़ जाती है?
उत्तर :
(a) वायु में ध्वनि की चाल पर दाब का प्रभाव-वायु में ध्वनि की चाल के सूत्र
से। प्रतीत होता है कि दाब P के बदलेने पर ध्वनि की चाल v का मान भी बदल जाएगा परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता।
माना’ परमताप T पर किसी गैस के 1 ग्राम-अणु द्रव्यमान का आयतन V तथा दाब P है।
यदि गैस का अणुभार M तथा घनत्व d हो तो
(c) वायु में ध्वनि की चाल पर आर्द्रता का प्रभावे-आर्द्र वायु (जलवाष्प मिली हुई) का घनत्व d, शुष्कं वायु के घनत्व की तुलना में कम होता है। इस कारण आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल शुष्क वायु की तुलना में बढ़ जाती है।
प्रश्न 5.
आपने यह सीखा है कि एक विमा में कोई प्रगामी तरंग फलन y = f (x t) द्वारा निरूपित की जाती है, जिसमें x तथा t को x – vt अथवा x + vt है अर्थात y = f (x ± vt) संयोजन में प्रकट होना चाहिए। क्या इसका प्रतिलोम भी सत्य है? नीचे दिए गए y के प्रत्येक फलन का परीक्षण करके यह बताइए कि क्या वह किसी प्रगामी तरंग को निरूपित कर सकता है
उत्तर :
इसका प्रतिलोम सत्य नहीं है। फलन f(x ± ut) को प्रगामी तरंग निरूपित करने के लिए इस फलन को प्रत्येक क्षण तथा प्रत्येक बिन्दु पर निश्चित तथा परिमित होना चाहिए।
(a) जब x →∞ अथवा t →∞ तो फलन (x – vt)² अपरिमित हो जाएगा; अत: यह फलन प्रगामी तरंग को निरूपित नहीं कर सकता।
(b) जब x →∞ अथवा t →∞ तो फलन log अपरिमित हो जाएगा; अत: यह फलन प्रगामी तरंग को निरूपित नहीं कर सकता।
(c) जब x →∞ अथवा t →∞ तो यह फलन परिमित बना रहेगा; अत: यह फलन सम्भवतया प्रगामी तरंग को निरूपित कर सकता है।
प्रश्न 6.
कोई चमगादड़ वायु में 1000 kHz आवृत्ति की पराश्रव्य ध्वनि उत्सर्जित करता है। यदि यह ध्वनि जल के पृष्ठ से टकराती है तो
(a) परावर्तित ध्वनि, तथा (b) पारगमित ध्वनि की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु तथा जल में ध्वनि की चाल क्रमशः 340 ms-1 तथा 1486 ms-1है।
उत्तर :
यहाँ आपतित तरंग की आवृत्ति ,
n = 1000 kHz = 106 Hz = 106 सेकण्ड-1
वायु में ध्वनि की चाल υ1 = 340 मी-से-1
जल में ध्वनि की चाल υ2 = 1486 मी-से-1
(a) परावर्तित ध्वनि वायु में ही गति करेगी। अतः उसकी तरंगदैर्घ्य ।
(b) पारगमित ध्वनि की आवृत्ति भी n ही होगी क्योंकि अपवर्तन से आवृत्ति नहीं बदलती है तथा यह जल में, गति करेगी। अतः इसकी तरंगदैर्घ्य
प्रश्न 7.
किसी अस्पताल में ऊतकों में ट्यूमरों का पता लगाने के लिए पराश्रव्य स्कैनर का प्रयोग किया जाता है। उस ऊतक में ध्वनि में तरंगदैर्ध्य कितनी है जिसमें ध्वनि की चाल 1.7 kms-1 है? स्कैनर की प्रचालन आवृत्ति 4.2 MHz है।
उत्तर :
ध्वनि की चाल v = 1.7 किमी-से-1 = 1.7 x 103 मी-से-1
आवृत्ति n = 4.2 MHz = 4.2×106 से-1
प्रश्न 8.
किसी डोरी पर कोई अनुप्रस्थ गुणावृत्ति तरंग का वर्णन
द्वारा किया जाता है। यहाँ x तथा y सेण्टीमीटर में तथा t सेकण्ड में है। x की धनात्मक दिशा बाएँ से दाएँ है।
(a) क्या यह प्रगामी तरंगे है अथवा अप्रगामी ? यदि यह प्रगामी तरंग है तो इसकी चाल तथा संचरण की दिशा क्या है?
(b) इसका आयाम तथा आवृत्ति क्या है?
(c) उद्गम के समय इसकी आरम्भिक कला क्या है?
(d) इस तरंग में दो क्रमागंत शिखरों के बीच की न्यूनतम दूरी क्या है?
उत्तर :
(a) दिए गए समी० को पुनर्व्यवस्थित करके निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है
प्रश्न 9.
प्रश्न 8 में वर्णित तरंग के लिए x = 0 cm, 2 cm तथा 4 cm के लिए विस्थापन (y) और समयं (t) के बीच ग्राफ आलेखित कीजिए। इन ग्राफों की आकृति क्या है? आयाम, आवृत्ति अथवा कला में से किन पहलुओं में प्रगामी तरंग में दोलनी गति एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर भिन्न है?
उत्तर :
दी गयी प्रगामी तरंग का समीकरण
प्रश्न 10.
प्रगामी गुणावृत्ति तरंग y (x,t) = 20 cos 2π (10t – 0.0080x + 0.35) जिसमें x तथा y को m में तथा t को s में लिया गया है, के लिए उन दो दोलनी बिन्दुओं के बीच कलान्तर कितना है जिनके बीच की दूरी है
(a) 4m
(b) 0.5 m
(c)
(d)
उत्तर :
दिए गये समी० y (x,t) = 20 cos 2π (10t – 0.0080x + 0.35) की तुलना प्रामाणिक समीकरण
प्रश्न 11.
दोनों सिरों पर परिबद्ध किसी तानित डोरी पर अनुप्रस्थ विस्थापन को इस प्रकार व्यक्त किया गया है
जिसमें x तथा y को मीटर में तथा १ को सेकण्ड में लिया गया है। इसमें डोरी की लम्बाई 1.5 m है जिसकी संहति 30 x 10-2 kg है।है। निम्नलिखित का उत्तर दीजिए
(a) यह फलन प्रगामी रंग अथवा अप्रगामी तरंग में से किसे निरूपित करता है?
(b) इसकी व्याख्या विपरीत दिशाओं में गमन करती दो तरंगों के अध्यारोपण के रूप में करते | हुए प्रत्येक तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति तथा चाल ज्ञात कीजिए।
(c) डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
(a) दिया गया फलन दो आवर्तफलनों के गुणनफल के रूप में हैं जिसमें एक x का ज्या फलन तथा दूसरा t का कोज्या फलन है। अत: यह अप्रगामी तरंग को व्यक्त करता है।
(b) ∵ 2 sin A• cos B = sin (A + B) + sin (A – B)
प्रश्न 12.
(i) प्रश्न 11 में वर्णित डोरी पर तरंग के लिए बताइए कि क्या डोरी के सभी बिन्दु समान (a) आवृत्ति, (b) कला, (c) आयाम से कम्पन करते हैं? अपने उत्तरों को स्पष्ट कीजिए।
(ii) एक सिरे से 0.375 m दूर के बिन्दु का आयाम कितना है?
उत्तर :
(i) (a) निस्पन्द के अतिरिक्त डोरी के सभी बिन्दुओं की आवृत्ति n = 60 सेकण्ड-1 समान है।
(b) एक लूप में सभी बिन्दु समान कला में कम्पन करते हैं। (निस्पन्द के अतिरिक्त)
(c) दी गयी अप्रगामी तरंग फलन से x दूरी पर तुरंग का आयाम
प्रश्न 13.
नीचे किसी प्रत्यास्थ तरंग (अनुप्रस्थ अथवा अनुदैर्घ्य) के विस्थापन को निरूपित करने वाले x तथा t के फलन दिए गए हैं। यह बताइए कि इनमें से कौन (i) प्रगामी तरंग को, (ii) अप्रगामी तरंग को, (iii) इनमें से किसी भी तरंग को निरूपित नहीं करता है।
(a) y = 2 cos (3x) sin 10t
(b) y = 2√x-vt
(c) = 3 sin (5x – 0.5t) + 4 cos (5x – 0.5t)
(d) y = cos x sint + cos 2x sin 2t
उत्तर :
(a) यह फलन एक अप्रगामी तरंग निरूपित करता है।
(b) x→∞ अथवा t →∞ पर फलन अपरिमित हो जाता है; अत: यह किसी भी प्रकार की तरंग को निरूपित नहीं करता।
(c) दिया गया फलन -अक्ष की धन दिशा (एक ही दिशा) में चलने वाली दो तरंगों, जिनके बीच का कलान्तर है, के अध्यारोपण से बनी तरंग को प्रदर्शित करता है; अत: यह एक प्रगामी तरंग है।
(d) दिया गया फलन y = cosxsint + cos2xt sin 2t, दो अप्रगामी तरंगों के अध्यारोपण को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 14.
दो दृढ़ टेकों के बीच तानित तार अपनी मूल विधा में 45 Hz आवृत्ति से कम्पन करता है। इस तार का द्रव्यमान 3.5 x 10-2 kg तथा रैखिक द्रव्यमान घनत्व 40 x 10-2 kg m-1 है। (a) तार पर अनुप्रस्थ तरंग की चाल क्या है, तथा (b) तार में तनाव कितना है?
उत्तर :
तार की मूल आवृत्ति n = 45 हज = 45 सेकण्ड-1
तार का रैखिक घनत्व अर्थात् एकांक लम्बाई का द्रव्यमान
प्रश्न 15.
एक सिरे एर खुली तथा दूसरे सिरे पर चलायमान पिस्टन लगी 1 m लम्बी नलिका, किसी नियत आवृत्ति के स्रोत (340 Hz आवृत्ति का स्वरित्र द्विभुज) के साथ, जब नलिका में वायु कॉलम 25.5 cm अथवा 79.3 cm होता है तब अनुनाद दर्शाती है। प्रयोगशाला के ताप पर वायु में ध्वनि की चाल का आकलन कीजिए। कोर के प्रभाव को नगण्य मान सकते हैं।
उत्तर :
यदि अनुनादित वायु-स्तम्भों की पहली दो क्रमिक लम्बाइयाँ l1 व l2 हैं तथा स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति n हो, तो वायु-स्तम्भ में ध्वनि की चाल ।
v = 2n(l2 – l1)
= 2x 340 सेकण्ड-1 x (79.3-25.5) सेमी
= 36584 सेमी/सेकण्ड ।
= 365.84 मीटर/सेकण्डे
प्रश्न 16.
100 cm लम्बी स्टील-छड़ अपने मध्य बिन्दु पर परिबद्ध है। इसके अनुदैर्ध्य कम्पनों की मूल आवृत्ति2.53 kHz है। स्टील में ध्वनि की चाल क्या है?
उत्तर :
l = 100 सेमी = 1.00 मीटर की छड़ के मध्यबिन्दु पर परिबद्ध होने पर इसमें अनुदैर्ध्य कम्पन दिए चित्र 15.4 की भाँति होंगे। मध्य बिन्दु पर निस्पन्द तथा छड़ के स्वतन्त्र सिरों पर प्रस्पन्द बनेंगे। चित्र से स्पष्ट है कि
प्रश्न 17.
20 cm लम्बाई के पाइप का एक सिरा बन्द है। 430 Hz आवृत्ति के स्रोत द्वारा इस पाइप की कौन-सी गुणावृत्ति विधा अनुनाद द्वारा उत्तेजित की जाती है? यदि इस पाइप के दोनों | सिरे खुले हों तो भी क्या यह स्रोत इस पाइप के साथ अनुनाद करेगा? वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 है।
उत्तर :
बन्द ऑर्गन पाइप की लम्बाई l = 20 सेमी = 0.20 मीटर
वायु में ध्वनि की चाल v = 340 मी/से
∴ बन्द ऑर्गन पाइप की मूल आवृत्ति
यह प्रथम संनादी होगा इसके तृतीय एवं पाँचवें संनादी की आवृत्ति क्रमशः 3nc = 1275 Hz तथा 5nc = 2125 Hz होंगी। अतः 430 Hz आवृत्ति के स्रोत द्वारा पाइप की पहली गुणावृत्ति (मूलस्वरक) अनुनाद द्वारा उत्तेजित की जा सकती है।
पाइप के दोनों सिरे खुले होने पर उसकी (खुले ऑर्गन पाइप) मूल आवृत्ति
= 2x 425 = 850 Hz
इनके द्वितीय, तृतीय…. संनादी की आवृत्तियाँ क्रमशः 2n0 = 1700 Hz, 3n0 = 2550 Hz होंगी। अतः 430 Hz आवृत्ति के स्रोत से इसका कोई भी संनादी उत्तेजित नहीं हो सकेगा। इसलिए पाइप के दोनों सिरे खुले होने पर दिया हुआ 430 Hz आवृत्ति वाला स्रोत इसके साथ अनुनाद नहीं करेगा।
वैकल्पिक विधि-माना 430 Hz आवृत्ति का स्वरित्र N वें संनादी के साथ अनुनाद करता है।
परन्तु N पूर्णांक होना चाहिए। अतः दोनों सिरों पर खुला पाइप 430 Hz आवृत्ति के स्रोत दाब किसी भी विधा में अनुनाद द्वारा उत्तेजित नहीं हो सकता है।
प्रश्न 18.
सितार की दो डोरियाँ A तथा B एक साथ ‘गा’ स्वर बजा रही हैं तथा थोड़ी-सी बेसुरी होने के कारण 6 Hz आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न कर रही हैं। डोरी A का तनाव कुछ घटाने पर । विस्पन्द की आवृत्ति घटकर 3 Hz रह जाती है। यदि A की मूल आवृत्ति 324 Hz है तो B की आवृत्ति क्या है ?
उत्तर :
दिया है डोरी A की आवृत्ति nA = 324 Hz
प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या x = 6
∴डोरी B की सम्भव आवृत्तियाँ nB = nA ± x = (324 ± 6) Hz
= 330 Hz अथवा 318 Hz
तनी हुई डोरी की आवृत्ति n ∝√T (तनाव के नियम से)
अत: डोरी A पर तनाव घटाने से इसकी आवृत्ति घटेगी। यदि B की सही आवृत्ति 330 Hz मान ली जाए। तो nA = 324 Hzके घटने पर 330 Hz से उसका अन्तर 6 से अधिक आयेगा अर्थात् विस्पन्द बढ़ेंगे परन्तु विस्पन्द आवृत्ति घट रही है, अत: B की सही आवृत्ति 330 Hz न होकर 318 Hz ही होगी; चूँकि तनाव घटाने पर जब A की आवृत्ति 324 से घटकर 321 रह जायेगी तब 318 से इसका अन्तर 3 आयेगा, जो प्रश्न के अनुकूल है।
प्रश्न 19.
स्पष्ट कीजिए क्यों (अथवा कैसे)-
(a) किसी ध्वनि तरंग में विस्थापन निस्पन्द, दाब प्रस्पन्द होता है और विस्थापन प्रस्पन्द, दाब निस्पन्द होता है।
(b) आँख न होने पर भी चमगादड़ अवरोधकों की दूरी, दिशा, प्रकृति तथा आकार सुनिश्चित कर लेते हैं।
(c) वायलिन तथा सितार के स्वरों की आवृत्तियाँ समान होने पर भी हम दोनों से उत्पन्न स्वरों में भेद कर लेते हैं।
(d) ठोस अनुदैर्घ्य तथा अनुप्रस्थ दोनों प्रकार की तरंगों का पोषण कर सकते हैं जबकि गैसों में केवल अनुदैर्ध्य तरंगें ही संचरित हो सकती हैं, तथा ।
(e) परिक्षेपी माध्यम में संचरण के समय स्पन्द की आकृति विकृत हो जाती है।
उत्तर :
(a) ध्वनि तरंगों में जहाँ माध्यम के कणों का विस्थापन न्यूनतम (विस्थापन निस्पन्द) होता है वहाँ कण अत्यधिक पास-पास होते हैं अर्थात् वहाँ दाब अधिकतम (दाब प्रस्पन्द) होता है तथा जहाँ विस्थापन महत्तम (विस्थापन-प्रस्पन्द) होता है वहाँ कण दूर-दूर होते हैं अर्थात् वहाँ दाब न्यूनतम (दाब निस्पन्द) होता है।
(b) चमगादड़ उच्च आवृत्ति की पराश्रव्य तरंगें उत्सर्जित करते हैं। ये तरंगें अवरोधकों से टकराकर वापस लौटती हैं तो चमगादड़ इन्हें अवशोषित कर लेते हैं। परावर्तित तरंग की आवृत्ति तथा तीव्रता की प्रेषित तरंग से तुलना करके चमगादड़ अवरोधकों की दूरी, दिशा, प्रकृति तथा आकार सुनिश्चित कर लेते हैं।
(c) प्रत्येक स्वर में एक मूल स्वरक के साथ कुछ अधिस्वरक भी उत्पन्न होते हैं। यद्यपि वायलिन तथा सितार से उत्पन्न स्वरों में मूल स्वरकों की आवृत्तियाँ समान रहती हैं परन्तु उनके साथ उत्पन्न होने वाले अधिस्वरकों की संख्या, आवृत्तियाँ तथा आपेक्षिक तीव्रताओं में भिन्नता होती है। इसी भिन्नता के कारण इन्हें पहचान लिया जाता है।
(d) ठोसों में आयतन प्रत्यास्थता के साथ-साथ अपरूपण प्रत्यास्थती भी पाई जाती है; अत: ठोसों में दोनों प्रकार की तरंगें संचरित हो सकती हैं। इसके विपरीत गैसों में केवल आयतन प्रत्यास्थता ही पाई जाती है; अत: गैसों में केवल अनुदैर्ध्य तरंगें ही संचरित हो पाती हैं।
(e) प्रत्येक ध्वनि स्पन्द कई विभिन्न तरंगदैर्यों की तरंगों का मिश्रण होता है। जब यह स्पन्द परिक्षेपी माध्यम में प्रवेश करता है तो ये तरंगें अलग-अलग वेगों से गति करती हैं; अत: स्पन्द की आकृति विकृत हो जाती है।
प्रश्न 20.
रेलवे स्टेशन के बाह्य सिगनल पर खड़ी कोई रेलगाड़ी शान्त वायु में 400 Hz आवृत्ति की सीटी बजाती है।
(i) प्लेटफॉर्म पर खड़े प्रेक्षक के लिए सीटी की आवृत्ति क्या होगी जबकि रेलगाड़ी (a) 10 ms-1 चाल से प्लेटफॉर्म की ओर गतिशील है, तथा (b) 10 ms-1 चाल से प्लेटफॉर्म से दूर जा रही है?
(ii) दोनों ही प्रकरणों में ध्वनि की चाल क्या है? शान्त वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 लीजिए।
उत्तर :
(i) सीटी की आवृत्ति ν = 400 Hz,
रेलगाड़ी की चाल υs = 10 m s-1
शान्त वायु में ध्वनि की चाल υ = 340 ms-1
(a) जब रेलगाड़ी (ध्वनि-स्रोत) स्थिर प्रेक्षक की ओर गतिशील है तो प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति ।
(b) जब रेलगाड़ी (स्रोत) स्थिर प्रेक्षक से दूर जा रही है तो प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति,
(ii) दोनों प्रकरणों में ध्वनि की चाल 340 m s-1 (अपरिवर्तित) है।
प्रश्न 21.
स्टेशन यार्ड में खड़ी कोई रेलगाड़ी शान्त वायु में 400 Hz आवृत्ति की सीटी बजा रही है। तभी 10 ms-1 चाल से यार्ड से स्टेशन की ओर वायु बहने लगती है। स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर खड़े किसी प्रेक्षक के लिए ध्वनि की आवृत्ति, तरंगदैर्घ्य तथा चाल क्या हैं? क्या यह स्थिति तथ्यतः उस स्थिति के समरूप है जिसमें वायु शान्त हो तथा प्रेक्षक 10 ms-1 चाल से यार्ड की ओर दौड़ रहा हो? शान्त वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 ले सकते हैं।
उत्तर :
सीटी की आवृत्ति ν = 400 Hz, शान्त वायु में ध्वनि की चाल υ = 340 ms-1
वायु की (प्रेक्षक की ओर) चाल W = 10 m s-1
∵रेलगाड़ी (स्रोत) तथा प्रेक्षक दोनों स्थिर हैं; अतः υs = 0, υ0 = 0
नहीं, यदि प्रेक्षक यार्ड की ओर दौड़ेगा, तो प्रभावी तरंगदैर्घ्य घट जाएगी तथा आवृत्ति बढ़ जाएगी जबकि ध्वनि की चाल अपरिवर्तित रहेगी।
अतिरिक्त अभ्यास
प्रश्न 22.
किसी डोरी पर कोई प्रगामी गुणावृत्ति तरंग इस प्रकार व्यक्त की गई है।
(a) x = 1cm तथा t = 1s पर किसी बिन्दु का विस्थापन तथा दोलन की चाल ज्ञात कीजिए। क्या यह चाल तरंग संचरण की चाल के बराबर है?
(b) डोरी के उन बिन्दुओं की अवस्थिति ज्ञात कीजिए जिनका अनुप्रस्थ विस्थापन तथा चाल उतनी ही है जितनी x = 1cm पर स्थित बिन्दु की समय t = 2s,5 s तथा 11s पर है।
उत्तर :
प्रश्न 23.
ध्वनि का कोई सीमित स्पन्द (उदाहरणार्थ सीटी की ‘पिप) माध्यम में भेजा जाता है। (a) क्या इस स्पन्द की कोई निश्चित (i) आवृत्ति, (ii) तरंगदैर्घ्य, (iii) संचरण की चाल है? (b) यदि स्पन्द दर 1स्पन्द प्रति 20 s है अर्थात सीटी प्रत्येक 20 s के पश्चात सेकण्ड , के कुछ अंश के लिए बजती है तो सीटी द्वारा उत्पन्न स्वर की आवृत्ति (1/20) Hz अथवा 0.05 Hz है?
उत्तर :
(a) नहीं, किसी स्पन्द की कोई निश्चित आवृत्ति अथवा तरंगदैर्घ्य नहीं होती। स्पन्द के संचरण की चाल निश्चित है जो माध्यम में ध्वनि की चाल के बराबर है।
(b) नहीं, स्पन्द की आवृत्ति Hz अथवा 0.05 Hz नहीं है।
प्रश्न 24.
80 x 10-3 kg m-1 रैखिक द्रव्यमान घनत्व की किसी लम्बी डोरी का एक सिरा 256 Hz आवृत्ति के विद्युत चालित स्वरित्र द्विभुज से जुड़ा है। डोरी का दूसरा सिरा किसी स्थिर घिरनी के ऊपर गुजरता हुआ किसी तुला के पलड़े से बँधा है जिस पर 90 kg के बाट लटके हैं। घिरनी वाला सिरा सारी आवक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण इस सिरे से परावर्तित तरंगों का आयाम नगण्य होता है। t = 0 पर डोरी के बाएँ सिरे । (द्विभुज वाले सिरे) x = 0 पर अनुप्रस्थ विस्थापन शून्य है (y = 0) तथा वह y-अक्ष की धनात्मक दिशा के अनुदिश गतिशील है। तरंग का आयाम 5.0 cm है। डोरी पर इस तरंग का वर्णन करने वाले अनुप्रस्थ विस्थापन y को x तथा t के फलन के रूप में लिखिए।
उत्तर :
डोरी का रैखिक घनत्व m = 8.0 x 10-3 किग्रा/मीटर; ।
डोरी पर आरोपित तनाव T = Mg = 90 x 9.8 न्यूटन = 882 न्यूटन
∴तनी हुई डोरी में संचरित अनुप्रस्थ तरंग की चाल ।
डोरी में संचरित तरंग की आवृत्ति = इसके एक सिरे से जुड़े स्वरित्र की आवृत्ति = 256 Hz
प्रश्न 25.
किसी पनडुब्बी से आबद्ध कोई ‘सोनार निकाय 40.0 kHz आवृत्ति पर प्रचालन करता है। कोई शत्रु-पनडुब्बी 360 kmh-1 चाल से इस सोनार की ओर गति करती है। पनडुब्बी से परावर्तित ध्वनि की आवृत्ति क्या है? जल में ध्वनि की चाल 1450 ms-1 लीजिए।
उत्तर :
सोनार द्वारा प्रेषित तरंगे की आवृत्ति ν = 40.0 kHz
जल में ध्वनि की चाल υ = 1450 m s-1
प्रश्न 26.
भूकम्प पृथ्वी के भीतर तरंगें उत्पन्न करते हैं। गैसों के विपरीत, पृथ्वी अनुप्रस्थ (S) तथा अनुदैर्घ्य (P) दोनों प्रकार की तरंगों की अनुभूति कर सकती है।S तरंगों की प्रतिरूपी चाल लगभग 40 km s-1 तथा P तरंगों की प्रतिरूपी चाल लगभग 80 km s-1 है। कोई भूकम्प-लेखी किसी भूकम्प की PतथाS तरंगों को रिकार्ड करता है। पहली P तरंग, पहली S तरंग की तुलना में 4 मिनट पहले पहुँचती है। यह मानते हुए कि तरंगें सरल रेखामें गमन करती हैं यह ज्ञात कीजिए कि भूकम्प घटित होने वाले स्थान की दूरी क्या है?
उत्तर :
माना भूकम्प घटित होने वाले स्थान की भूकम्प-लेखी से दूरी x km है।
दिया है : S तरंगों की चाल υ1 = 4 km s-1 = 4 x 60 km/min
तथा P तरंगों की चाल υ2 = 8 km s-1 = 8 x 60 km/min
प्रश्न 27.
कोई चमगादड़ किसी गुफा में फड़फड़ाते हुए पराश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हुए उड़ रहा है। मान लीजिए चमगादड़ द्वारा उत्सर्जित पराश्रव्य ध्वनि की आवृत्ति 40 kHz है। किसी दीवार की ओर सीधा तीव्र झपट्टा मारते समय चमगादड़ की चाल ध्वनि की चाल की 0.03 गुनी है। चमगादड़ द्वारा सुनी गई दीवार से परावर्तित ध्वनि की आवृत्ति क्या है?
उत्तर :
माना ध्वनि की चाल = υr उत्सर्जित तरंग की आवृत्ति v = 40 kHzतब चमगादड़ की चाल υ1 = 0.03 υ
माना दीवार द्वारा ग्रहण की गई तरंग की आभासी आवृत्ति ν1 है।।
इस दशा में स्रोत, श्रोता की ओर गतिमान है जबकि श्रोता (दीवार) स्थिर है,,
परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु में ध्वनि की चाल N. T. P. पर 300 मी/से है। यदि वायुदाब बढकर चार गुना हो जाये तो ध्वनि की चाल होगी ।
(i) 150 मी/से
(ii) 300 मी/से
(iii) 600 मी/से
(iv) 120 मी/से
उत्तर :
(ii) 300 मी/से
प्रश्न 2.
ध्वनि की चाल अधिकतम है।
(i) वायु में
(ii) जल में ।
(iii) निर्वात् में
(iv) स्टील (इस्पात) में
उत्तर :
(iv) स्टील (इस्पात) में
प्रश्न 3.
वांगु में ध्वनि की चाल पर किस भौतिक राशि का प्रभाव नहीं पड़ता है? |
(i) ताप
(ii) दाब
(iii) आर्द्रता
(iv) वायु वेग
उत्तर :
(ii) दाब।
प्रश्न 4.
तनी हुई डोरी में तनाव T तथा डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m हो तो डोरी में तरंग संचरण का वेग होगा
उत्तर :
प्रश्न 5.
जब ध्वनि तरंगें किसी गैसीय माध्यम से चलती हैं तो माध्यम के किसी बिन्दु पर प्रक्रिया होती है ।
(i) समतापी
(ii) समदाबी
(iii) रुद्धोष्म
(iv) समआयतनिक
उत्तर :
(iii) रुद्धोष्म
प्रश्न 6.
0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 332 मी/से है। 35°C पर वायु में ध्वनि की चाल होगी
(i) 325 मी/से
(ii) 332 मी/से
(iii) 353 मी/से
(iv) 367 मी/से
उत्तर :
(iii) 353 मी/से
प्रश्न 7.
वायु में ध्वनि तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र है।
जहाँ P वायुमण्डलीय दाब तथा d वायु का घनत्व है।
उत्तर :
(ii)
प्रश्न 8.
किसी गैस A में 26°C ताप पर ध्वनि का वेग वही है जो एक दूसरी गैस B में 325°C पर है। A तथा B के अणभारों का अनुपात होगा।
(i) 26 : 235
(ii) 325 : 36
(iii) 1 : 2
(iv) 2 : 1
उत्तर :
(iii) 1 : 2
प्रश्न 9.
एक अनुप्रस्थ तरंग का समीकरण है
9 = 20 sin π (0.02 – 2t) जहाँ y और x सेमी में हैं तथा t सेकण्ड में है। इसकी तरंगदैर्ध्य सेमी में होगी
(i) 50
(ii) 100
(iii) 200
(iv) 10
उत्तर :
(ii) 100
प्रश्न 10.
दो ध्वनि तरंगों के समीकरण हैं- y = a sin (ωt – kr) तथा y =a cos (ωt – kx) जहाँ संकेतों के अर्थ सामान्य हैं। इनमें कलान्तर है।
उत्तर :
(iii) π/2
प्रश्न 11.
निम्नलिखित दो तरंगों-
तथा के बीच पधान्तर होगा
उत्तर :
(iii)
प्रश्न 12.
एक तरंग की चाल 360 मी/सेकण्ड तथा आवृत्ति 500 हर्ट्ज है। दो निकटवर्ती कणों के बीच कलान्तर 60° है। उनके बीच पथान्तर होगा।
(i) 0.72 मीटर
(ii) 12 सेमी
(iii) 120 सेमी
(iv) 0.72 सेमी
उत्तर :
(ii) 12 सेमी
प्रश्न 13.
यदि दो तरंगों की तीव्रता का अनुपात 1:16 है, तो उनके आयामों का अनुपात होगा
(i) 1:16
(ii) 1:4
(iii) 4:1
(iv) 8:1
उत्तर :
(ii) 1 : 4
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा समीकरण तरंग का है?
(i) y = A(ωt – kx)
(ii) y = Asin(ωt)
(iii) y = Acos(ωt)
(iv) y = Asin(at – bx + c)
उत्तर :
(ii) y = Asin(ωt)
प्रश्न 15.
एक प्रगामी तरंग का समीकरण, है,, जहाँ x व y सेमी में तथा t सेकण्ड में है। तरंग का वेग है।
(i) 100 मी/से
(ii) 150 मी/से
(iii) 200 मी/से
(iv) 50 मी/से
उत्तर :
(iv) 50 मी/से
प्रश्न 16.
व्यतिकरण की घटना का कारण है।
(i) कलान्तर
(ii) आयाम परिवर्तन
(iii) वेग परिवर्तन
(iv) तीव्रता
उत्तर :
(i) कलान्तर
प्रश्न 17.
विनाशी व्यतिकरण के लिए दो तरंगों के बीच पथान्तर होना चाहिए
(i) शून्य
(ii) 2 के बराबर
(iii) 2/2 का विषम गुणक
(iv) 2/2 का सम गुणक
उत्तर :
(iii) 2/2 का विषम गुणक
प्रश्न 18. लगभग समान आवृत्तियों के दो ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण से उत्पन्न विस्पन्द का वेग होता
(i) ध्वनि के वेग के बराबर
(ii) ध्वनि के वेग से अधिक
(iii) ध्वनि के वेग से कम ।
(iv) शून्य
उत्तर :
(iv) शून्य
प्रश्न 19.
दो तरंगें y = 0.1 sin 316 t तथा y = 0.1 sin 310 t एक ही दिशा में चल रही हैं तो विस्पन्द की आवृत्ति है।
(i) 37
(ii) 6
(iii) 3
(iv) 37
उत्तर :
(i) 3
प्रश्न 20.
यदि व्यतिकरण करने वाली दो तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात 16 : 9 है, तो व्यतिकरण प्रारूप में महत्तम एवं अनुपात है [संकेत : ]
(i) 4 : 3
(ii) 49 : 1
(iii) 25 : 7
(iv) 256 : 81
उत्तर :
(ii) 49 : 1
प्रश्न 21.
दो ध्वनि-स्रोत एक साथ बजने पर 0.25 सेकण्ड में 2 विस्पन्द उत्पन्न करते हैं। उनकी आवृत्तियों का अन्तर है।
(i) 2
(ii) 4
(iii) 8
(iv) 1
उत्तर :
(iii) 8
प्रश्न 22.
एक अज्ञात आवृत्ति का स्रोत S, 256 हर्ट्ज आवृत्ति के स्रोत के साथ 2 विस्पन्द/ सेकण्ड तथा 260 हर्ट्ज आवृत्ति के स्रोत के साथ 6 विस्पन्द/सेकण्ड उत्पन्न करता है। स्रोत S की आवृत्ति है।
(i) 258 हज
(ii) 254 हज़
(iii) 266 हज़
(iv) 262 हज़
उत्तर :
(ii) 254 हज
प्रश्न 23.
तनी हुई डोरी में उत्पन्न तरंगें होती हैं।
(i) अनुप्रस्थ प्रगामी ।
(ii) अनुदैर्ध्य प्रगामी
(iii) अनुप्रस्थ अप्रगामी
(iv) अनुदैर्ध्य अप्रगामी
उत्तर :
(iii) अनुप्रस्थ अप्रगामी
प्रश्न 24.
एक तने हुए तार के अनुप्रस्थ कम्पनों की आवृत्ति 50% बढ़ाने के लिए इसका तनाव बढ़ाना चाहिए।
(i) 150%
(ii) 125%
(iii) 100%
(iv) 50%
उत्तर :
(ii) 125%
प्रश्न 25.
तरंगदैर्घ्य λ की अप्रगामी तसंग के दो निकटवर्ती निस्पन्दों के बीच की दूरी है।
(i) 2λ
(ii) λ / 2
(iii) λ
(iv) λ/4
उत्तर :
(ii) λ/ 2
प्रश्न 26.
500 हर्ट्ज आवृत्ति की किसी अप्रगामी तरंग को एक निस्पन्द तथा निकटवर्ती प्रस्पन्द के बीच की दूरी 20 सेमी है। तरंग की चाल है।
(i) 200 मी/से।
(ii) 400 मी/से
(iii) 50 मी/से।
(iv) 100 मी/से
उत्तर :
(ii) 400 मी/से
प्रश्न 27.
एक स्वरमापी का तार द्वितीयक अधिस्वरक (overtone) में कम्पन कर रहा है। हम कह सकते हैं कि उसमें उपस्थित हैं।
(i) दो निस्पन्द, दो प्रस्पन्द
(ii) तीन निस्पन्द, दो पुस्पन्द
(iii) चार निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द
(iv) तीन निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द
उत्तर :
(iii) चार निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द
प्रश्न 28.
एक सिरे पर बन्द ऑर्गन पाइप में अनुनाद तब उत्पन्न होता है, जब पाइप की लम्बाई होती
(i) λ/8
(ii) λ/2
(iii) λ
(iv) λ/4
उत्तर :
(iv) λ/4
प्रश्न 29.
एक श्रोता किसी मिल के साइरन की ध्वनि सुन रहा है, जबकि वह मिल की ओर जा रहा है। श्रोता को साइरन की ध्वनि सुनायी देगी
(i) बढ़ती हुई
(ii) घटती हुई
(iii) अपरिवर्तित
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) बढ़ती हुई
प्रश्न 30.
जब श्रोता किसी स्थिर स्रोत से दूर जा रहा होता है तो सुने गए स्वर की आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति से होती है।
(i) अधिक
(ii) कम
(iii) बराबर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) कम
प्रश्न 31.
एक कार एक श्रोता की ओर आ रही है। उसके हॉर्न की ध्वनि की आवृत्ति श्रोता को 2.5% बढ़ी हुई प्रतीत होती है। यदि ध्वनि की चाल 338 मी/से हो, तो कार की चाल है।
(i) 8 मी/से ।
(ii) 6 मी/से
(iii) 800 मी/से
(iv) 7.5 मी/से
उत्तर :
(i) 8 मी/से
प्रश्न 32.
ध्वनि की प्रबलता L तथा तीव्रता I के बीच सम्बन्ध है।
(i) L = log I
(ii) L = k log I
(iii) I = k log L
(iv) I = log L
उत्तर :
(ii) L = k log I
प्रश्न 33.
किसी व्यक्ति की आवाज पहचानी जाती है उसकी
(i) प्रबलता से
(ii) तारत्व से
(iii) गुणता से।
(iv) स्वर-अन्तराल से
उत्तर :
(iii) गुणता से
प्रश्न 34.
सांगीतिक ध्वनि की गुणवत्ता निर्भर करती है।
(i) आवृत्ति पर
(ii) आयाम पर
(iii) तरंग वेग पर
(iv) संनादियों की संख्या पर
उत्तर :
(iv) संनादियों की संख्या पर
प्रश्न 35.
निम्नलिखित में से कौन-सी सांगीतिक विशेषता नहीं है?
(i) तारत्व
(ii) प्रबलता
(iii) गुणवत्ता
(iv) तीव्रता
उत्तर :
(iv) तीव्रता
प्रश्न 36.
ध्वनि का तारत्व निर्भर करता है।
(i) ध्वनि की तीव्रता पर
(ii) ध्वनि की आवृत्ति पर।
(iii) तरंग रूप पर
(iv) तीव्रता तथा तरंग रूप पर
उत्तर :
(ii) ध्वनि की आवृत्ति पर
प्रश्न 37.
एक ध्वनि-स्रोत, श्रोता से दूर जा रहा है। श्रोता को स्रोत की वास्तविक आवृत्ति की 25% से कम की ध्वनि आवृत्ति प्रतीत होती है। यदि ध्वनि की चाल υ है, तो स्रोत की चाल है।
(i) υ / 4
(ii) υ / 3
(iii) 3υ
(iv) 4υ
उत्तर :
(iii) 3υ
प्रश्न 38.
एक ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों एक-दूसरे की ओर एकसमान चाल u से गति कर रहे हैं। यदि श्रोता को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति, वास्तविक आवृत्ति की दोगुनी हो, तो ध्वनि की चाल है।
(i) 3v
(ii) 2u
(iii) u
(iv) u/ 2
उत्तर :
(ii) 2u
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नियत ताप पर वायु में आर्द्रता बढ़ने पर वायु में ध्वनि के वेग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
शुष्क वायु का घनत्व आर्द्र वायु (जलवाष्प मिली हुई) से अधिक होता है। अतः यदि आर्द्र वायु के लिएy का मान वही लें जोकि शुष्क वायु के लिए होता है तब सूत्र से स्पष्ट है कि आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल शुष्क वायु की अपेक्षा कुछ बढ़ जाती है। यही कारण है कि वर्षा ऋतु में रेल की सीटियाँ तथा अन्य ध्वनि ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा अधिक दूरी तक सुनाई देती है।
प्रश्न 2.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1 किलोमीटर की दूरी पर कान लगाकर बैठे दूसरे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनायी देती हैं। कारण बताइए।
उत्तर :
एक ध्वनि रेल की पटरी में होकर तथा दूसरी ध्वनि वायु में होकर आती है।
प्रश्न 3.
ध्वनि के वेग ज्ञात करने के न्यूटन के सूत्र में लाप्लास ने संशोधन क्यों किया?
या , लाप्लास संशोधन क्या है?
उत्तर :
लाप्लास ने बताया कि ध्वनि संचरण के समय विरलन के स्थान पर ताप घट जाता है तथा सम्पीडन के स्थान पर ताप बढ़ जाता है। अत: ध्वनि संचरण के अन्तर्गत माध्यम का ताप स्थिर नहीं रहता है, जबकि न्यूटन के अनुसार, ताप स्थिर बताया गया था। इसीलिए न्यूटन के सूत्र में लाप्लास ने संशोधन किया।
प्रश्न 4.
गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं होती हैं। क्यों?
उत्तर :
क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है।
प्रश्न 5.
शुष्क वायु की अपेक्षा नम वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है। क्यों?
उत्तर :
शुष्क वायु की अपेक्षा नमवायु का घनत्व कम होता है। अत: से d के कम होने से इसमें ध्वनि की चाल अधिक होती है।।
प्रश्न 6.
“ध्वनि की चाल उसकी आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती।” इस कथन के लिए अपने दैनिक जीवन का कोई उदाहरण दीज़िए।
उत्तर :
यदि किसी समय किसी स्थान पर विभिन्न वाद्य यन्त्रों से ध्वनियाँ उत्पन्न की जायें (जिनकी . आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं) तो कान पर विभिन्न ध्वनियाँ एक ही साथ सुनायी देती हैं। अत: ध्वनि की चाल, आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती।।
प्रश्न 7.
ध्वनि की चाल क्या आई हाइड्रोजन में शुष्क हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक होगी?
उत्तर :
हाइड्रोजन की अपेक्षा जल-वाष्प का घनत्व अधिक होता है, अत: आर्द्र हाइड्रोजन का घनत्व शुष्क हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक हो जाने के कारण उसमें ध्वनि की चाल कम हो जाती है।
प्रश्न 8.
आकाश में बिजली की गरज तथा दीप्ति एकसाथ उत्पन्न होती है, परन्तु बिजली की गरज उसकी दीप्ति के कुछ क्षणों के पश्चात् सुनायी पड़ती है, क्यों?
उत्तर :
क्योंकि ध्वनि की चाल की तुलना में प्रकाश की चाल बहुत अधिक होती है इसलिए बिजली की गरज (ध्वनि) उसकी चमक (दीप्ति अर्थात् प्रकाश) के कुछ देर बाद सुनायी पड़ती है।
प्रश्न 9.
लोहे की लम्बी नली के एक सिरे पर कान लगाया जाये और कोई दूसरे सिरे पर आघात करें, तो ठोंकने की आवाज दो बार सुनायी देती है, क्यों? कौन-सी ध्वनि पहले सुनायी देगी और क्यों?
उत्तर :
एक ध्वनि नली के पदार्थ अर्थात् लोहे में होकर जाती है तथा दूसरी वायु में होकर। लोहे एवं वायु में ध्वनि की चाल अलग-अलग होने से ध्वनि को समान दूरी तय करने में अलग-अलग समय लगता है जिससे दो ध्वनि सुनायी पड़ती हैं। ठोस में ध्वनि की चाल वायु की अपेक्षा 15 गुनी अधिक होती है। अत: जो ध्वनि लोहे में होकर जाती है वह पहले पहुँचती है।
प्रश्न 10.
वायु की अपेक्षा CO2 गैस में ध्वनि अधिक तीव्र क्यों सुनायी देती है?
उत्तर :
वायु की अपेक्षा CO2 गैस का घनत्व अधिक होने के कारण तीव्रता बढ़ जाती है।
प्रश्न 11.
यदि जल का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक 2.0×109 न्यूटन/मी 2 तथा घनत्व 1.0×103 किग्रा /मी3 हो तो जल में ध्वनि की चाल कितनी होगी?
उत्तर :
प्रश्न 12.
0°C तथा 1092 K तापों पर वायु में ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 13.
किसी माध्यम में एक तरंग की तरंगदैर्घ्य 0.5 भी है। इस माध्यम में इस तरंग के कारण दो बिन्दुओं के बीच कलान्तर π/5 है। इन दो बिन्दुओं के बीच न्यूनतम दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
कलान्तर ∆φ = (2π/λ) ∆x,
अतः , पथान्तर
प्रश्न 14.
एक प्रगामी तरंग की चाल 400 मी/से तथा आवृत्ति 500 हर्ट्ज है। यदि दो निकटवर्ती कणों के बीच कलान्तर π/4 रेडियन है तो उनके बीच पथान्तर ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 15.
किसी तरंग में दो बिन्दुओं के बीच पथान्तर है, तो उनके बीच कलान्तर कितना होगा?
उत्तर :
प्रश्न 16.
किसी समतल प्रगामी तरंग में कण के वेग का अधिकतम मान तरंग वेग का दोगुना है। तरंगदैर्घ्य तथा तरंग आयाम का अनुपात निकालिए।
उत्तर :
प्रश्न 17.
इस समतल प्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए जो धनात्मक X-अक्ष के अनुदिश चल रही है। जिसका आयाम 0.04 मी, आवृत्ति 440 हर्ट्ज तथा चाल 330 मी/से है।
उत्तर :
प्रश्न 18.
किसी गैस में ध्वनि तरंगों की चाल के लिए लाप्लास का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 19.
किसी गैस में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 20.
एक रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति 30 मेगाहर्ट्ज है। केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। (प्रकाश की चाल c = 3×108 मी/से)
उत्तर :
रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति (n) = 30 मेगाहर्ट्ज या 30×106 हज
रेडियो तरंग की चाल, υ = c = 3×108 मी/से ।
अतः केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्घ्य 10 मी होगी।
प्रश्न 21.
तरंगों का अध्यारोपण का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर :
तरंगों का अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of superposition of waves)—किसी माध्यम में दो अथवा दो से अधिक प्रगामी तरंगें एक साथ परन्तु एक-दूसरे की गति को बिना प्रभावित किये चल सकती हैं। अत: माध्यम के प्रत्येक कण का किसी क्षण परिणामी विस्थापन दोनों तरंगों द्वारा अलग-अलग उत्पन्न विस्थापनों के सदिश (vector) योग के बराबर होता है। इस सिद्धान्त को ‘अध्यारोपण का सिद्धान्त’ कहते हैं।
प्रश्न 22.
तरंगों के अध्यारोपण से कितने प्रकार के प्रभाव प्राप्त होते हैं? कौन-कौन से?
उत्तर :
तरंगों के अध्यारोपण से तीन प्रकार के प्रभाव प्राप्त होते हैं
(i) व्यतिकरण,
(ii) विस्पन्द,
(iii) अप्रगामी तरंगें।
प्रश्न 23.
समान तरंगदैर्घ्य और समान आयाम की दो तरंगें किसी बिन्द पर 180° कलान्तर पर, मिलती हैं। वहाँ पर परिणामी आयाम क्या होगा?
उत्तर :
प्रश्न 24.
समान आवृत्ति वाली दो तरंगों के आयामों का अनुपात 3:1 है। इनके अध्यारोपण से उत्पन्न परिणामी तरंग की अधिकतम तथा न्यूनतम तीव्रताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 25.
कला-सम्बद्ध स्रोतों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
ऐसे दो स्रोतों को जिनके बीच कलान्तर सदेव नियत रहता है, कला-सम्बद्ध स्रोत (coherent sources) कहते हैं। दो कला-सम्बद्ध स्रोतों से हम स्थायी (sustained) व्यतिकरण प्रतिरूप प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे स्रोत किसी युक्ति द्वारा एक ही स्रोत से प्राप्त किये जाते हैं।
प्रश्न 26.
ध्वनि के व्यतिकरण पर आधारित दो यन्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर :
क्विण्के की नली, स्वरित्र द्विभुज।।
प्रश्न 27.
प्रकाश के व्यतिकरण का एक प्राकृतिक तथा एक प्रायोगिक उदाहरण बताइए।
उत्तर :
तेल की परत का रंगीन दिखायी देना, यंग का प्रयोग।
प्रश्न 28.
विस्पन्द बनने की आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर :
अध्यारोपण करने वाली तरंगों की आवृत्तियों में बहुत थोड़ा अन्तर अवश्य होना चाहिए।
प्रश्न 29.
दो स्वरित्रों की आवृत्तियाँ 256 हर्ट्ज तथा 280 हर्टज हैं। एक ध्वनि स्रोत इन दोनों ही स्वरित्रों से 12 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है। इस स्रोत की आवृत्ति निकालिए।
उत्तर :
पहले स्वरित्र के साथ विस्पन्दों के आधार पर
ध्वनि स्रोत की सम्भव आवृत्तियाँ = 256 ± 12 = 268 या 244 Hz
दूसरे स्वरित्र के साथ विस्पन्दों के आधार पर
ध्वनि स्रोत की सम्भव्र आवृत्तियाँ = 280 ± 12 = 268 या 292 Hz
उपर्युक्त दोनों दशाएँ 268 हज उभयनिष्ठ है।
अत: स्रोत की सही आवृत्ति = 268 Hz
प्रश्न 30.
256 हर्ट्ज तथा 260 हंट्ज आवृत्ति के दो स्वरित्रों को एक साथ कम्पित कराने पर 1.5 सेकण्ड में बनने वाले विस्पन्दों की संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या = ध्वनि स्रोतों की आवृत्तियों का अन्तर
= 260 – 256 = 4
1.5 सेकण्ड में विस्पन्दों की संख्या = 4 x 1.5 = 6
प्रश्न 31.
समान आवृत्ति की दो तरंगें जिनकी तीव्रताएँ I तथा 9I0 हैं, अध्यारोपित की जाती हैं। यदि किसी बिन्दु पर परिणामी तीव्रता 7I हो तो उस बिन्दु पर तरंगों के बीच न्यूनतम कलान्तर ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
परिणामी तीव्रता I = I1 + I2 +
जहाँ φ किसी बिन्दु पर मिलने वाली तरंगों के बीच कलान्तर है।
कलान्तर φ = 120°
प्रश्न 32.
दो ध्वनि स्रोत एक साथ बजाने पर 0.20 सेकण्ड में 2 विस्पन्द उत्पन्न होते हैं। विस्पन्द की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
0.20 सेकण्ड में उत्पन्न विस्पन्द = 2
1 सेकण्ड में उत्पन्न विस्पन्द = = 10 विस्पंद/सेकण्ड = 10 हर्ट्ज़
प्रश्न 33.
किसी तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंगों की चाल का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ लिखिए।
उत्तर :
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल
जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है।
प्रश्न 34.
किसी तनी हुई डोरी के तनाव बल में 10% की वृद्धि कर देने पर, उसमें बनने वाली अनुप्रस्थ तरंग की चाल में कितने प्रतिशत परिवर्तन हो जाएगा?
उत्तर :
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल …(1)
जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है।
अत: प्रश्नानुसार, 10% वृद्धि करने पर तनाव =
प्रश्न 35.
किसी अप्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए। संकेतों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 36.
स्वरमापी के नाद पर दीवार में छिद्र क्यों बने होते हैं?
उत्तर :
ताकि नाद पट के भीतर की वायु का सम्बन्ध बाहरी वायु से बना रहे। ऐसा करने से स्वरित्र के तार के कम्पन सेतु से होकर नाद पट के भीतर की वायु में चले जाते हैं तथा छिद्रों से बाहर की वायु में आ जाते हैं। जिससे बाहर की वायु के कम्पित होने से ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है।
प्रश्न 37.
एक प्रगामी तरंग जिसकी आवृत्ति 500 हर्ट्ज है, 360 मी/से के वेग से चल रही है। उन दो बिन्दुओं के बीच की दूरी क्या होगी जिनमें 60° का कलान्तर हो?
उत्तर :
दिया है, तरंग की आवृत्ति (n) = 500 हर्ट्ज, वेग (υ) = 360 मी/से :
माना दो बिन्दुओं के बीच की दूरी = ∆x
सूत्र υ = nλ रे,
प्रश्न 38.
अप्रगामी तरंग बनने के लिए आवश्यक प्रतिबन्ध क्या है ?
या अप्रगार्मी’तरंगें बनने की प्रमुख शर्त बताइए।
उत्तर :
बद्ध माध्यम का होना अप्रगामी तरंग बनने के लिए आवश्यक प्रतिबन्ध है।
प्रश्न 39.
क्या कारण है कि खुले पाइप का स्वर बन्द पाइप के स्वर की अपेक्षा अधिक मधुर होता है?
उत्तर :
किसी स्वर के संनादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतना ही मधुर होता है। बन्द पाइप में केवल विषम संनादी जबकि खुले पाइप में सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं। अत: खुले पाइप में संनादियों की संख्या बन्द पाइप में संनादी की अपेक्षा अधिक होने से इसका स्वर मधुर होता है।
प्रश्न 40.
(i) एक तारा पृथ्वी की ओर 6 x 106 मी/से की चाल से गति कर रहा है। यदि उससे प्राप्त किसी स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 5800 Å है, तो उसकी पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। [प्रकाश की चाल 3×108 मी/से]
(ii) पृथ्वी की ओर 100 किमी/सेकण्ड की चाल से आते हुए दूरस्थ सितारे से निकली 5000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य में विस्थापन की गणना कीजिए।
(iii) एक तारा 10 किमी/से के वेग से हमसे दूर जा रहा है। इस तारे से उत्सर्जित 6000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य में विस्थापन की गणना कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 41.
पृथ्वी एक स्थिर तारे की ओर 2×103 किमी/सेकण्ड के वेग से गति कर रही है। यदि तारे के प्रकाश की वास्तविक तरंगदैर्घ्य 6000 Å हो, तो पृथ्वी पर उसकी आभासी तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। प्रकाश की चाल c = 3×108 मी/से है।
उत्तर :
प्रश्न 42.
खाली कमरे में ध्वनि तेज तथा भरे कमरे में मन्द सुनायी पड़ती है, क्यों?
उत्तर :
भरे कमरे में ध्वनि का कुछ भाग अवशोषित हो जाने के कारण ध्वनि की तीव्रता कम हो जाती है। जिससे ध्वनि मन्द सुनायी पड़ती है।
प्रश्न 43.
बाँसुरी और वायलिन में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर :
बाँसुरी एक ऑर्गन पाइप है, जबकि वायलिन तनी डोरी का वाद्य-यन्त्र है।
प्रश्न 44.
सितार में भिन्न-भिन्न आवृत्ति के स्वर उत्पन्न होते हैं, क्यों?
उत्तर :
तार का तनाव बदलकर स्वरमेल किया जाता है तथा तारों को हाथ से विभिन्न स्थानों पर दबाकर तार की कम्पित लम्बाई परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न किये जाते हैं।
प्रश्न 45.
वेबर-फैशनर नियम क्या है?
उत्तर :
L = k log I जहाँ, L= प्रबलता, I = तीव्रता, k = नियतांक है।
इसे वेबर-फैशनर नियम कहते हैं।
प्रश्न 46.
स्वर-अन्तराल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
दो शुद्ध स्वरों की आवृत्तियों की निष्पत्ति को उन दो स्वरों के बीच का स्वर-अन्तराल कहते हैं। यदि n1 व n2 आवृत्तियों के दो स्वर हैं, तो उनका स्वर-अन्तराल = n2/ n1.
प्रश्न 47.
सांगीतिक ध्वनि एवं शोर में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. जो ध्वनि हमारे कानों को सुखद अर्थात् प्रिय लगती है, सांगीतिक ध्वनि कहलाती है तथा जो ध्वनि हमारे कानों को अप्रिय लगती है, शोर ध्वनि कहलाती है।
2. सांगीतिक ध्वनि किसी वस्तु के एक निश्चित आवृत्ति के नियमित कम्पनों द्वारा उत्पन्न होती है, जबकि शोर ध्वनि वस्तुओं के अनियमित कम्पनों से उत्पन्न होती है।
प्रश्न 48.
ध्वनि की आवृत्ति तथा तारत्व में क्या अन्तर है?
उत्तर :
आवृत्ति का भौतिक मापन सम्भव है, तारत्व का नहीं।
प्रश्न 49.
माध्यम का घनत्व बढ़ा दिए जाने पर ध्वनि की प्रबलता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
माध्यम का घनत्व बढ़ाने से ध्वनि की तीव्रता (I = 2π² n² α² ρυ) बढ़ जाती है; अतः प्रबलता (L = k log I), I के बढ़ने पर बढ़ जाएगी; अर्थात् माध्यम का घनत्व बढ़ने से प्रबलता बढ़ती है।
प्रश्न 50.
एक तारे के H2 रेखाओं के स्पेक्ट्रम (6563Å) में डॉप्लर विस्थापन 6.563Å है। पृथ्वी से दूर जाते हुए तारे के वेग की गणना कीजिए।
उत्तर :
∆λ = 6.563Å
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु में ध्वनि की चाल पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
या किसी गैस में ध्वनि की चाल पर ताप के प्रभाव की विवेचना कीजिए। 1°C ताप बढाने पर वायु में ध्वनि की चाल पर कितना परिवर्तन होगा?
उत्तर :
वायु में ध्वनि की चाल …(1)
जहाँ P = दाब, d = घनत्व तथा γ = Cp/Cυ = 1.41
वायु के लिए (P/d) का मान वायु के ताप पर निर्भर करता है। वायु का ताप बढ़ाने पर दो सम्भावनाएँ। होती हैं। यदि वायु प्रसारित होने के लिए स्वतन्त्र है तो वह गर्म करने पर फैल जायेगी और उसका घनत्व (d) कम हो जायेगा, जबकि दाब (P) नहीं बदलेगा। इस प्रकार (P/d) का मान बढ़ जायेगा। यदि वायु एक बर्तन में बन्द है तो गर्म करने पर उसका दाब बढ़ जायेगा, जबकि घनत्व वही रहेगा। पुनः (P/d) का मान बढ़ेगा। अत: उपर्युक्त दोनों स्थितियों में वायु को गर्म करने पर (P/d) के बढ़ने से सूत्र (1) में ध्वनि की चाल बढ़ जायेगी।
सूत्र का निगमन–एक ग्राम-अणु गैस (वायु) का आयतन V = M/d,
जहाँ M गैस का अणुभार तथा d घनत्व है।
PV = RT सूत्र में V का मान रखने पर,
अत: किसी गैस (वायु) में ध्वनि की चाल गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है। 1°C ताप बढ़ाने पर वायु में ध्वनि की चाल 0.61 मी/से बढ़ जाती है।
प्रश्न 2.
एक सरल आवर्त प्रगामी तरंग के लिए समीकरण लिखिए। प्रयुक्त संकेतों का अर्थ लिखिए। आयाम तथा तरंगदैर्घ्य का अर्थ तरंग के सम्बन्ध में समझाइए।
उत्तर :
सरल आवर्त प्रगामी तरंग का समीकरण
जहाँ a कम्पन का आयाम, t समय, T आवर्तकाल, λ तरंगदैर्घ्य तथा x दूरी है।
तरंग के सम्बन्ध में आयाम एवं तरंगदैर्ध्य की परिभाषा ।
(i) तरंग का आयाम- माध्यम का कोई भी कण अपनी साम्यावस्था के दोनों ओर जितना अधिक-से-अधिक विस्थापित होता है, उस दूरी को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे a से निरूपित करते हैं।
(ii) तरंगदैर्घ्य- माध्यम के किसी भी कण के एक पूरे कम्पन के समय में तरंग जितनी दूरी तय करती है, उसे तरंगदैर्ध्य कहते हैं, अथवा किसी तरंग में समान कला वाले दो निकटतम कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। इसे λ से निरूपित करते हैं।
प्रश्न 3.
किसी प्रगामी तरंग में विस्थापन के लिए व्यंजक लिखिए। उसमें स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच कलान्तर (∆φ) तथा अथान्तर (∆x) के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर :
माना कि किसी माध्यम में सरल आवर्त प्रगामी तरंग +X दिशा में चल रही है। मूल बिन्दु से x दूरी पर स्थित माध्यम के कण का किसी समय t पर विस्थापन निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त होता है
…(1)इस समीकरण में sin का कोणांक (argument) है। यह इसे कण की, जिसकी स्थिति x है, समय t पर कला (φ) है। माना कि समय t पर दो कणों की कलाएँ, जिनकी मूल बिन्दु से दूरियाँ x1 व x2 हैं, क्रमशः φ1 व φ2 हैं। तब
यही अभीष्ट सम्बन्ध है। आवर्तकाल T के पदों में प्रगामी तरंग का समीकरण उपर्युक्त समी० (1) है।
प्रश्न 4.
किसी प्रगामी तरंग में स्थान x तथा समय t पर विस्थापन y है।
y (x, t) = 1.5 sin(1000t – 3.3x)
जहाँ y तथा x मीटर में तथा t सेकण्ड में है। तरंग की चाल तथा उसकी गति की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
दी, गई समीकरण y(x, t) = 1.5sin (1000t – 3.3x) की समीकरण
प्रश्न 5.
ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल 640 मी/से है। हीलियम तथा ऑक्सीजन के उस मिश्रण में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए जिसमें हीलियम तथा ऑक्सीजन के आयतनों का अनुपात 5:1 है। (MHe = 4, MO2, = 32)
उत्तर :
माना कि हीलियम तथा ऑक्सीजन के मिश्रण में हीलियम तथा ऑक्सीजन के आयतन क्रमशः VHe व VO हैं तथा घनत्व क्रमश: dHe एवं dO हैं। तब, मिश्रण में हीलियम तथा ऑक्सीजन के द्रव्यमान क्रमश: VHe, dHe व VO dO होंगे। यदि मिश्रण का घनत्व dmix हो, तब
प्रश्न 6.
X-अक्ष दिशा में आने वाली एक प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.06 sin 2π (200t – x) है। यह तरंग एक दृढ तल से परावर्तित होती है तो उसका आयाम पहले का 1/3 रह जाता है। परावर्तित तरंग का समीकरण ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
दिया है, X-अक्ष दिशा में जाने वाली प्रगामी तरंग का समीकरण,
y = 0.06 sin 2π(200 t – 3) …(1)
समीकरण (1) से आयाम a = 0.06
प्रश्नानुसार, परावर्तित तरंग का आयाम = 0.06 x = 0.02
अतः परावर्तित तरंग का समीकरण, y = -0.02 sin 2π (200 t + x)
प्रश्न 7.
किसी गैस में ध्वनि की चाल तथा उसी गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल υrms में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
किसी गैस में ध्वनि की चाल
जहाँ P = गैस का दाब; d = गैस का घनत्व
इसी गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल
अर्थात् किसी गैस में ध्वनि की चाल, उस गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल से कम होती है।
प्रश्न 8.
एक प्रगामी तरंग y = 2sin(314t – 1.256x) की चाल ज्ञात कीजिए, जहाँ t सेकण्ड में तथा x मीटर में है।
उत्तर :
दिया है, प्रगामी तरंग का समीकरण,
y = 2 sin (314t – 1.256x) …(1)
प्रश्न 9.
समान तीव्रता की दो तरंगें व्यतिकरण कर रही हैं। संपोषी व्यतिकरण के स्थान पर परिणामी तीव्रता एक तरंग की तीव्रता की कितनी गुनी होगी?
उत्तर :
(संपोषी व्यतिकरण के लिए φ = 2kπ, जहाँ k = 0,1, 2, …..)
प्रश्न 10.
कभी-कभी दूर के रेडियो स्टेशन तो सुने जाते हैं किन्तु पास वाले स्टेशन सुनायी नहीं देते क्यों?
उत्तर :
पास वाले रेडियो स्टेशन से आने वाली रेडियो तरंगों तथा पृथ्वी से अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित आयनमण्डल से परावर्तित होकर आने वाली रेडियो तरंगों के बीच पथान्तर (λ/2) का विषम गुणक रह जाने के कारण पास वाले रेडियो स्टेशन सुनायी नहीं दे पाते, जबकि दूर वाले स्टेशन से आने वाली रेडियो तरंगों तथा आयनमण्डल से परावर्तित तरंगों के बीच पथान्तर (λ/2) का पूर्ण-गुणक होने के कारण ये स्टेशन सुनायी देते है।
प्रश्न 11.
दो तरंगों की तरंगदैर्ध्य क्रमशः 49 सेमी तथा 50 सेमी हैं। यदि कमरे का ताप 30°C हो, तो दोनों तरंगों में प्रति सेकण्ड कितने विस्पन्द उत्पन्न होंगे ? 0°C पर ध्वनि का वेग 332 मी/से है।
उत्तर :
प्रश्न 12.
16 स्वरित्र श्रेणी क्रम में इस प्रकार रखे हैं कि प्रत्येक स्वरिंत्र के साथ 2 विस्पन्द/सेकण्ड उत्पन्न करता है। यदि अन्तिम स्वरित्र की आवृत्ति पहले स्वरित्र की आवृत्ति की दोगुनी हो तो पहले स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
माना पहले स्वरित्र की आवृत्ति n है तो दूसरे की (n + 2). तीसरे की (n + 4) तथा 16 वें की n + (16 – 1) x 2 = n + 30 होगी।
परन्तु n + 30 = 2n
⇒n = 30
अत: पहले स्वरित्र की आवृत्ति 30 हर्ट्ज़ होगी।
प्रश्न 13.
एक ध्वनि स्रोत 262 Hz तथा 278 Hz आवृत्तियों के दो स्वरित्रों (द्विभुजों में से प्रत्येक के साथ 8 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है। स्रोत की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
पहली शर्त के अनुसार सम्भव आवृत्तियाँ = 262 ± 8 = 270 या 254 हज
इसी प्रकार दूसरी शर्त के अनुसार, सम्भव आवृत्तियाँ = (278 ± 8) = 286 या 270 हर्ट्ज
∵ दोनों में 270 हर्ट्ज उभयनिष्ठ है।
अतः स्रोत की आवृत्ति 270 हर्ट्ज है।
प्रश्न 14.
मूल आवृत्ति, संनादी तथा अधिस्वरक में अन्तर लिखिए।
उत्तर :
मूल आवृत्ति, संनादी तथा अधिस्वरक में अन्तर- किसी भी वाद्ययन्त्र से उत्पन्न विभिन्न आवृत्तियों के स्वरों में न्यूनतम आवृत्ति मूल आवृति कहलाती है। इसके अतिरिक्त अन्य आवृत्तियों वाले स्वर अधिस्वरक कहलाते हैं तथा जो आवृत्तियाँ मूल आवृत्ति की पूर्ण गुणक होती हैं; वे संनादी कहलाते हैं।
प्रश्न 15.
संनादी से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :
जिन अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ मूल-स्वरक की आवृत्ति की पूर्ण गुणज होती हैं, उन स्वरकों को संनादी कहते हैं। मूल स्वर प्रथम संनादी कहलाता है। जिस अधिस्वरक की आवृत्ति, मूल-स्वरक की आवृत्ति से दोगुनी होती है, उसे द्वितीय संनादी कहते हैं। दूसरे, चौथे, छठे इत्यादि संनादी को सम संनादी (even harmonic) तथा तीसरे, पाँचवें, सातवें इत्यादि संनादी को विषम संनादी (odd harmonic) कहते हैं। उदाहरणार्थ-तनी हुई डोरी अथवा वायु स्तम्भों में उत्पन्न संनादी। किसी ध्वनि में संनादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतनी ही मधुर प्रतीत होती है।
प्रश्न 16.
दो बन्दनलिकाओं को एक साथ कम्पन कराने से 5 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न होते हैं। यदि उनकी लम्बाइयों का अनुपात 21:20 हो, तो उनकी आवृत्तियाँ क्या होंगी ?
उत्तर :
प्रश्न 17.
एक बन्द ऑर्गन पाइप के प्रथम अधिस्वरक की आवृत्ति वही है जो खुले ऑर्गन पाइप के । प्रथम अधिस्वरक की है। यदि बन्द ऑर्गन पाइप की लम्बाई 30 सेमी हो तो खुले ऑर्गन | पाइप की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
एक अप्रगामी तरंगे का समीकरण है- y = 4.0 sin 6.28 x cos 314 t, जहाँ y तथा x सेमी में एवं t सेकण्ड में हैं। दो अध्यारोपित तरंगों की चाल एवं दो क्रमागत निस्पन्दों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
यदि प्रगामी तरंग का आयाम a, कम्पन-काल T तथा तरंगदैर्घ्य λ हो तो इनसे उत्पन्न अप्रगामी तरंग की समीकरण इस प्रकार होगी
इसकी दी हुई समीकरण y = 4.0 sin 6.28x cos 314t से तुलना करने पर
प्रश्न 19.
एक स्वरित्र द्विभुज को एक सोनोमीटर तार के साथ कम्पन कराते हैं। जब तार की लम्बाई 105 सेमी तथा 95 सेमी होती है तो दोनों अवस्थाओं में 5 विस्पन्द प्रति सेकण्ड सुनाई देते हैं। ज्ञात कीजिए (i) स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति, (ii) दोनों दशाओं में तार के कम्पन की आवृत्ति।
उत्तर :
(i), माना स्वरित्र की आवृत्ति = n चूँकि n ∝ 1/l,
अतः l1 = 105 सेमी पर तार की आवृत्ति n1 = n – 5
तथा l2 = 95 सेमी पर तार की आवृत्ति n2 = n + 5
∴n1l1 = n2l2
अतः (n – 5) x 105 = (n + 5) x 95
105 n – 525 = 95n + 475
या (105n – 95n) = 475 + 525
10n = 1000 या n = 100 हर्ट्ज़
(ii) ∴ पहली दशा में तार की आवृत्ति = n – 5 = 100 – 5 = 95 हज
तथा दूसरी दशा में तार की आवृत्ति = n + 5 = 100 + 5 = 105 हज
प्रश्न 20.
एक स्वरित्र द्विभुज सोनोमीटर के 40 सेमी लम्बे तार के साथ कम्पन करता है, तो 4 विस्पन्द प्रति सेकण्ड सुनायी पड़ते हैं, जबकि तार पर तनाव 64 न्यूटन है। तार के तनाव को घटाकर 49 न्यूटन कर देने पर फिर उतने ही विस्पन्द सुनाई पड़ते हैं। द्विभुज की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
माना स्वरित्र की आवृत्ति n है। यह दोनों तनावों पर तार के साथ 4 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है तथा तनाव के नियम से, तने तार की आवृत्ति n ∝√T; अत: T1 = 64 न्यूटन
तनाव पर आवृत्ति n1 = (n + 4) तथा T2 = 49 न्यूटन
तनावे पर आवृत्ति n2 = (n – 4), अतः तनाव के उपर्युक्त नियमानुसार,
प्रश्न 21.
अनुनाद नली के अंत्य संशोधन का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर :
अनुनाद नली द्वाराअंत्यसंशोधन ज्ञात करना- अनुनाद नली में प्रस्पन्द ठीक खुले सिरे पर न बनकर थोड़ा बाहर की ओर e दूरी पर बनता है। अतः अनुनाद की पहली व दूसरी स्थिति में वायु स्तम्भ की लम्बाई l1 + e तथा l2 + e होगी।
इस सूत्र से अनुनाद नली का अंत्य संशोधन ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 22.
एक खुली ऑर्गन नलिका की मूल आवृत्ति 512 हर्ट्ज है। यदि इसका एक सिरा बन्द कर दिया जाए तो इसकी आवृत्ति क्या होगी?
उत्तर :
प्रश्न 23.
प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव क्या है?
उत्तर :
प्रकाश में डॉप्लर का प्रभाव- यदि कोई प्रकाश-स्रोत किसी प्रेक्षक की ओर आ रहा है तो प्रकाश की आभासी आवृत्ति बढ़ जाती है (अर्थात् तरंगदैर्घ्य घट जाती है)। अत: इसकी स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के बैंगनी भाग की ओर को विस्थापित हो जाती हैं। इसके विपरीत, यदि प्रकाश-स्रोत प्रेक्षक से दूर जा रहा है तो स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के लाल भाग की ओर को विस्थापित हो जाती हैं। प्रकाश-स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गति के कारण, प्रकाश की आवृत्ति (अथवा तरंगदैर्ध्य) में प्रेक्षित आभासी परिवर्तन को ‘प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव’ कहते हैं।
प्रश्न 24.
स्पेक्ट्रमी रेखाओं के डॉप्लर विस्थापन के लिए एक व्यंजक का निगमन कीजिए। तारों की ।। गति के अध्ययन में इसके अनुप्रयोग की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
डॉप्लर विस्थापन- प्रकाश-स्रोत तथा प्रेक्षक के बीच दूरी परिवर्तन के कारण प्रकाश-स्रोत से उत्सर्जित प्रकाश की वास्तविक तरंगदैर्घ्य तथा प्रेक्षित तरंगदैर्घ्य (आभासी तरंगदैर्ध्य) का अन्तर डॉप्लर विस्थापन कहलाता है। इसको निम्नांकित सूत्र से व्यक्त किया जाता है
डॉप्लर विस्थापन ∆λ = λ
जहाँ, v = प्रकाश-स्रोत या प्रेक्षक का वेग, c = प्रकाश का वेग तथा λ = वास्तविक तरंगदैर्घ्य
जब प्रेक्षक तथा प्रकाश-स्रोत के बीच की दूरी घट रही हो, तो– सापेक्षिकता के सिद्धान्त (theory of relativity) से यह सिद्ध किया जा सकता है कि स्रोत की आभासी आवृत्ति
जहाँ v प्रकाश की वास्तविक आवृत्ति,υ प्रकाश स्रोत अथवा प्रेक्षक की चाल तथा c प्रकाश की चाल है। स्पष्ट है कि इस दशा में प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति बढ़ी हुई प्रतीत होगी, अर्थात् स्पेक्ट्रमी रेखा स्पेक्ट्रम के बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होंगी।
डॉप्लर विस्थापन ज्ञात करने के लिए, माना स्रोत से उत्सर्जित प्रकाश की वास्तविक तिरंगदैर्घ्य λ तथा आभासी तरंगदैर्घ्य λ है।।
जब स्रोत व प्रेक्षक के बीच की दूरी बढ़ रही हो ।
तब स्रोत की आभासी आवृत्ति
स्पष्ट है कि इस दशा में प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति घटी हुई अर्थात् तरंगदैर्घ्य बढ़ी हुई प्रतीत होगी। इसलिए स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के लाल भाग की ओर विस्थापित हो जाएँगी। परन्तु उपर्युक्त की भाँति गणना करने पर तरंगदैर्घ्य विस्थापन का निम्नलिखित समी० प्राप्त होगा
अत: उपर्युक्त समी० (2) व (4) से स्पष्ट है कि दोनों दशाओं में डॉप्लर विस्थापन का सूत्र समान है। डॉप्लर विस्थापन से तारों की गति का अनुमान- तारे तथा गैलेक्सी प्रकाशमान होने से प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इनके वेग का अनुमान लगाने के लिए उनसे प्राप्त प्रकाश के स्पेक्ट्रम का चित्र खींचा जाता है। स्पेक्ट्रम में कुछ तत्त्वों; जैसे—हाइड्रोजन, हीलियम, पारा इत्यादि की रंगीन रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य ज्ञात की जाती है। ये रेखाएँ प्रयोगशाला में भी इस तत्त्व का स्पेक्ट्रम लेकर देखी जा सकती हैं तथा इनकी तरंगदैर्घ्य निश्चित होती है। यदि इन स्पेक्ट्रमों की तुलना करने पर यह ज्ञात होता है। कि तारे के स्पेक्ट्रम में किसी रेखा की तरंगदैर्घ्य, प्रयोगशाला में लिये गये स्पेक्ट्रम में उसी रेखा की तरंगदैर्ध्य से अधिक है, तो तारा पृथ्वी से दूर जा रहा है और यदि कम है, तो तारा पृथ्वी की ओर आ ; रहा है। यदि किसी रेखा के लिए तरंगदैर्ध्य में यह अन्तर ∆λ हो, तब,
प्रश्न 25.
दूर स्थित तारे से आते हुए प्रकाश का स्पेक्ट्रोमीटर से फोटोग्राफ लिया जाता है और यह देखा जाता है कि तरंगदैर्ध्य में बड़ी तरंगदैर्घ्य की ओर 0.50% का विचलन मिलता है। तारे का वेग ज्ञात कीजिए। (प्रकाश का वेग = 3 x 108 मी/से)
उत्तर :
∆λ = λ का 0.05% = 5 x 10-4 λ
प्रश्न 26.
किसी तारे से आने वाली 6000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 5980 Å में मिलती है। बताइए कि
(i) तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है अथवा इससे दूर जा रहा है।
(ii) नक्षत्र (तारे) का वेग क्या है?
उत्तर :
(i) ∆λ = 20 Å तरंगदैर्घ्य घट रही है, अत: तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है।
(ii)
प्रश्न 27.
एक तारा पृथ्वी की ओर 9 x 106 मी/से की चाल से गति कर रहा है। यदि उससे प्राप्त किसी स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 6000 Å हो, तो उसकी पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
(प्रकाश की चाल = 3 x 108 मी/से)
उत्तर :
चूँकि तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है अर्थात् प्रकाश-स्रोत के बीच की दूरी घट रही है, अत: तरंगदैर्घ्य भी घटेगी, अतः पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य λ’ = λ – ∆λ = 6000 Å -180 Å = 5820 Å
प्रश्न 28.
एक तारा पृथ्वी से 105 मी/से वेग से दूर जा रहा है। यदि उससे प्राप्त स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य 6000 Å है तो प्रयोगशाला में इस स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य क्या होगी? ।(प्रकाश का वेग c = 3 x 108 मी/से)
उत्तर :
प्रश्न 29.
जब कोई इंजन किसी स्थिर ध्वनि से दूर जाता है तो इंजन की सीटी की आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति की 6/7 गुनी प्रतीत होती है। इंजन की चाल की गणना कीजिए। (वायु में ध्वनि की चाल 330मी/से) है।
उत्तर :
इंजन किसी स्थिर ध्वनि से दूर जाता है, तो आभासी आवृत्ति
प्रश्न 30.
एक ध्वनि स्रोत एवं श्रोता एक-दूसरे के विपरीत दिशा में, एकसमान चाल 36 किमी/घण्टा से गति करते हैं। यदि स्रोत से आने वाली ध्वनि की आवृत्ति श्रोता को 1980 हर्ट्ज की प्राप्त हो तो स्रोत की वास्तविक आवृत्ति क्या है? (वायु में ध्वनि की चाल = 340 मी/से है)।
उत्तर :
यदि ध्वनि-स्रोत तथा श्रोता क्रमशः υs व υo वेगों से ध्वनि की दिशा में चल रहे हों तो श्रोता को सुनाई देने वाली आभासी आवृत्ति ।
जहाँ n स्रोत की वास्तविक आवृत्ति है तथा υ ध्वनि की चाल है।
प्रश्नानुसार, स्रोत (मोटरकार) ध्वनि की दिशा में चल रहा है तथा श्रोता (सिपाही) स्थिर है (चित्र 15.5)। इस प्रकार
प्रश्न 31.
एक इंजन 60 मीटर/सेकण्ड की चाल से एक स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है। उसकी वास्तविक आवृत्ति 400 हर्ट्ज है। श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति की गणना कीजिए। ध्वनि की चाल 360 मीटर/सेकण्ड है।
उत्तर :
इंजन की चाल (υs) = 60 मीटर/सेकण्ड
वास्तविक आवृत्ति (n) = 400 हर्ट्ज ।
चूँकि इंजन स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब आभासी आवृत्ति
अतः श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति 480 हर्ट्ज है।
प्रश्न 32.
पृथ्वी से दूर जाते हुए तारे के प्रकाश की प्रेक्षित तरंगदैर्घ्य वास्तविक तरंगदैर्ध्य से 0.2 प्रतिशत अधिक प्रतीत होती है। तारे की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 33.
एक ध्वनि-स्रोत स्थिर श्रोता की ओर 20 मी/से की चाल से आ रहा है। यदि श्रोता को सुनाई देने वाली आभासी आवृत्ति 664 कम्पन/सेकण्ड है तो ध्वनि सोत की वास्तविक आवृत्ति ज्ञात कीजिए। ध्वनि की चाल 332 मीटर/सेकण्ड है।
उत्तर :
ध्वनि-स्रोत की चाल υs = 20 मी/से
आभासी आवृत्ति (n’) = 664 कम्पन/सेकण्ड
∵ ध्वनि-स्रोत स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब वास्तविक आवृत्ति
अतः ध्वनि-स्रोत की वास्तविक आवृत्ति 624 हर्ट्ज है।
प्रश्न 34.
यदि एक गतिमान मनुष्य को स्थिर स्रोत की ध्वनि का तारत्व 10 प्रतिशत गिरा हुआ लगता है तो उसकी चाल एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
श्रोतों को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति
जहाँ n वास्तविक आवृत्ति है तथा υo व υs क्रमशः श्रोता के स्रोत के ध्वनि की दिशा में वेग हैं।
प्रश्न 35.
एक इंजन 1240 हर्ट्ज आवृत्ति की सीटी बजाता हुआ 90 किमी/घण्टा के वेग से एक पहाड़ी की ओर जा रहा है। एक स्पष्ट प्रति ध्वनि ड्राइवर को सुनाई देती है। प्रति ध्वनि की आभासी आवृत्ति इस ड्राइवर को कितनी प्रतीत होगी? ध्वनि की चाल 335 मी/से है।।
उत्तर :
इंजन की चाल (υs) = 90 किमी/घण्टा = मी/से = 25 मी/से
वास्तविक आवृत्ति (n) = 1240 हज़।
चूँकि इंजन स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब प्रतिध्वनि की आभासी आवृत्ति
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एक समतल प्रगामी तरंग के विस्थापन समीकरण की स्थापना कीजिए।
उत्तर :
यदि किसी माध्यम में तरंग के संचरित होने पर माध्यम के कण अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर सरल आवर्त गति करते हैं, तो इस तरंग को सरल आवर्त अथवा समतल प्रगामी तरंग (progressive wave) कहते हैं।
माना किसी माध्यम में ध्वनि तरंग धनात्मक X-अक्ष की दिशा में संचरित हो रही है तथा इसकी चाल है। माना कि हम समय का मापन उस क्षण से प्रारम्भ करते हैं जब मूल बिन्दु O पर स्थित कण अपना कम्पन प्रारम्भ करता है। यदि t सेकण्ड पश्चात् इस कण का विस्थापन y हो, तो ।
y = a sin ωt …(1)
जहाँ a कम्पन का आयाम, ω = 2πn तथा n तरंग की आवृत्ति है। समीकरण (1) बिन्दु O पर स्थित कण के लिए सरल आवर्त गति का समीकरण है। ज्यों-ज्यों तरंग O से आगे अन्य कणों तक पहुँचती है, त्यों-त्यों ये कम्पन करने लगते हैं।
यदि तरंग की चाल υ हो तो वह कण 1 से x दूरी पर स्थित कण 6 तक x/υ सेकण्ड में पहुँचेगी। अतः कण 6, कण 1 से x/υ सेकण्ड के बाद अपना कम्पन प्रारम्भ करेगा। इस प्रकार किसी समय कण 6 का विस्थापन वही है जो उस समय से x/υ सेकण्ड पहले कण 1 का था, अर्थात् t पर कण 6 का विस्थापन वही होगा जो (t – x/υ) पर कण 1 का था। समीकरण (1) में t के स्थान पर (t – x/υ) रखकर हम कण 1 का समय है t – (x/υ) पर विस्थापन प्राप्त कर सकते हैं। अतः मूल बिन्दु (कण 1) से x दूरी पर स्थित कण (6) की समय t पर विस्थापन होगा।
समीकरण (3), (4) वे (5) + X दिशा में चलने वाली सरल आवर्त प्रगामी तरंग की समीकरण है। यदि तरंग -X दिशा में चल रही है तो उपर्युक्त समीकरणों में sin के कोणांक में (-) के स्थान पर (+) लिखना होगा।
यदि +X दिशा में चलने वाली तरंग तथा किसी अन्य तरंग में कलान्तर φ हो तो उस तरंग का समीकरण होगा।
प्रश्न 2.
एक समतल प्रगामी तरंग का विस्थापन समीकरण निम्नवत् है
y = 0.5 sin(314t – 1.57x) मीटर
इस तरंग का आयाम, आवृत्ति एवं चाल ज्ञात कीजिए। इसके चलने की दिशा भी बताइए।
उत्तर :
दिया है, y = 0.5sin(314t – 1.57x) दी गयी समीकरण की तुलना
प्रश्न 3.
किसी माध्यम (गैस) में अनुदैर्घ्य (ध्वनि) तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए। इस सूत्र में लाप्लास के संशोधन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
सर्वप्रथम न्यूटन ने गणना द्वारा यह सिद्ध किया कि यदि किसी माध्यम को प्रत्यास्थता गुणांक E तथा घनत्व d हो, तो उसे माध्यमं में ध्वनि की चाल υ निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त की जाती है
यह किसी भी माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल का व्यापक सूत्र है।
न्यूटन के अनुसार, जब अनुदैर्ध्य तरंग किसी गैस माध्यम में चलती है तो गैस का ताप अपरिवर्तित रहता है। अत: उपर्युक्त सूत्र में E को गैस का समतापी आयतन प्रत्यास्थता गुणांक ले सकते हैं जिसका मान गैस के प्रारम्भिक दाब P के बराबर होता है। अत: न्यूटन के अनुसार किसी गैस में ध्वनि की चाल होती है।
…(1)इस सूत्र द्वारा जब 0°C पर, P (= 1.01 x 105 न्यूटन/मीटर2) तथा d ( = 1.29 किग्रा/मीटर3) के मान रखकर υ के मान की गणना करते हैं तो इसका मान 279.8 मीटर/सेकण्ड प्राप्त होता है। परन्तु प्रयोगों द्वारा 0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 331 मीटर/सेकण्ड प्राप्त होती है। अत: न्यूटन के सूत्र में कुछ त्रुटि सम्मिलित है। इस त्रुटि का संशोधन लाप्लास ने किया। लाप्लास का संशोधन-लाप्लास के अनुसार, जब गैस में अनुदैर्ध्य तरंगें चलती हैं तो सम्पीडन एवं विरलन एकान्तर क्रम में बहुत ही शीघ्रता से होते हैं। इस कारण सम्पीडन के समय उत्पन्न ऊष्मा माध्यम से बाहर नहीं जा पाती और न ही विरलन के समय ऊष्मा की कमी को माध्यम के बाहर से ऊष्मा प्राप्त कर पूरा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ऊष्मा का यह आदान-प्रदान गैस का ऊष्मा का कुचालक होने के कारण भी सम्भव नहीं है। इस प्रकार गैस में ध्वनि संचरण के समय ऊष्मा की मात्रा स्थिर रहती है, परन्तु ताप बदल जाता है। इस प्रकार न्यूटन के सूत्र में E गैस का रुद्धोष्म आयतन-प्रत्यास्थता गुणांक होना चाहिए जिसका मान γP होता है।
यह मान प्रयोगों द्वारा प्राप्त मान के बराबर है।
अत: लाप्लासे का संशोधन ध्वनि की वायु में चाल के प्रेक्षित मान की पुष्टि करता है।
समी० (2) वायु अर्थात् गैसीय माध्यम में ध्वनि की चाल के लिए लाप्लास का सूत्र भी कहलाता है जो लाप्लास द्वारा किया गया न्यूटन के सूत्र का संशोधित रूप है।
प्रश्न 4.
गैस में ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक क्या हैं? गैस में ध्वनि की चाल पर ताप वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ता है? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
उत्तर :
गैस में ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित होते हैं
(i) दाब का प्रभाव-ध्वनि की चाल (υ) =
स्थिर ताप पर, = नियतांक
अत: स्थिर ताप पर ध्वनि की चाल पर गैस के दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ii) ताप का प्रभाव-ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ती है।
ध्वनि की चाल
अर्थात् किसी गैस में ध्वनि की चाल गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है।
(iii) आर्द्रता का प्रभाव-आर्द्रता बढ़ने पर वायु का घनत्व घट जाता है, अत: सूत्र के परिणामस्वरूप वायु में ध्वनि की चाल बढ़ जाती है। समान तापक्रम पर नम वायु (बारिश) में , ध्वनि की चाल शुष्क वायु (गर्मियों में) की तुलना में अधिक होती है।
d नम वायु υ शुष्क वायु
(iv) माध्यम की गति का प्रभाव–यदि माध्यम (गैस वायु) ω वेग से ध्वनि संचरण की दिशा में गतिशील हो, तब
ध्वनि का परिणामी वेग = υ + ω cos θ
(v) आवृत्ति अथवा तरंगदैर्घ्य का प्रभाव-ध्वनि तरंगों की आवृत्ति अथवा तरंगदैर्ध्य का ध्वनि की चाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 5.
सामान्य ताप व दाब पर 4 ग्राम हीलियम 22.4 लीटर आयतन घेरती है। इस अवस्था में हीलियम में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए। दिया गया है—γ = 1.67 तथा 1 वायुमण्डल दाब = 105 न्यूटन/मी2।
उत्तर :
यहाँ सामान्य दाब P =1 वायुमण्डल दाब = 105 न्यूटन/मीटर2
सामान्य ताप व दाब पर हीलियम का घनत्व
प्रश्न 6.
किस ताप पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही होगी जो कि 14°C पर नाइट्रोजन में है? ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के अणुभार क्रमशः 32 व 28 हैं।
उत्तर :
यदि किसी गैस का अणुभार : M तथा परमताप T हो तो उस गैस में ध्वनि की चाल
जहाँ R सार्वत्रिक गैस-नियतांकं है।
माना कि ताप t पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही है जो 14°C पर नाइट्रोजन में है। अब
प्रश्न 7.
सामान्य ताप तथा दाब पर वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है। हाइड्रोजन गैस में ध्वनि की चाल की गणना कीजिए। हाइड्रोजन गैस वायु की तुलना में 16 गुनी हल्की है।
उत्तर :
किसी गैस में ध्वनि की चाल , जहाँ गैस का दाब है,d घनत्व है तथा γ गैस की दो विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात है। यहाँ स्पष्ट है कि समान दाब पर विभिन्न गैसों में ध्वनि की चाल υ∝l/√d अर्थात् घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रम में होगी। इसलिए यदि सामान्य ताप व दाब पर वायु तथा हाइड्रोजन में ध्वनि की चाल क्रमश: υa तथा υH2 एवं इनके घनत्व क्रमशः da तथा dH2 हों, तो
प्रश्न 8.
एक तरंग समीकरण
से प्रदर्शित है, जहाँ y तथा x सेमी में एवं t सेकण्ड में है। ज्ञात कीजिए
(i) तरंग की चाल
(ii) 2.0 सेमी दूर स्थित कणों के मध्य कलान्तर।
उत्तर :
दी गई तरंग की समीकरण है।
इसकी मानक समीकरण y = a sin(kx – ωt) से तुलना करने पर,
a = 3 सेमी
प्रश्न 9.
एक तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग चाल का व्यंजक लिखिए तथा उसमें प्रयुक्त प्रतीकों का अर्थ बताइए। एक तने हुए तार की लम्बाई 1.0 मीटर तथा द्रव्यमान 0.2 ग्राम है। यदि तार से 2.5 किग्रा को भार लटक रहा हो और तार दो खण्डों में कम्पन कर रहा हो, तो तार से उत्पन्न स्वर की आवृत्ति ज्ञात कीजिए। (g = 10 मी/से2)
उत्तर :
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल υ = (T/m)
(जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है। यदि डोरी के एक सिरे से M द्रव्यमान लटकाकर उसमें T तनाव आरोपित किया जाए तो T = Mg तथा डोरी की त्रिज्या r, घनत्व d
प्रश्न 10.
27°C पर हाइड्रोजन एवं 77°C पर नाइट्रोजन गैसों में ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
दिया है, हाइड्रोजन का ताप (TH) = 27°C या 27 + 273 = 300 K
नाईट्रोजन का ताप (TN) = 77°C
यो 77 + 273 = 350 K
प्रश्न 11.
एक तने हुए पतले तार में संचरित अनुप्रस्थ तरंग का विस्थापन समीकरण निम्नलिखित है-y = 0.021 sin (30t + 2) मी, जहाँ t सेकण्ड एवं x मीटर में है। यदि तार के पदार्थ का रेखीय घनत्व 1.6 x 10-4 किग्रा/मी हो तो तरंग-वेग तथा तार में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
दिया है, अनुप्रस्थ तरंग का विस्थापन समीकरण,
y = 0.021 sin (30t + 2x)
इसकी मानक समीकरण, y = sin (ωt – kx) से तुलना करने पर,
a = 0.021 सेमी, ω = 30, k = 2
प्रश्न 12.
व्यतिकरण से क्या तात्पर्य है? तरंगों के संपोषी तथा विनाशी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्ते व्युत्पादित कीजिए।
उत्तर :
व्यतिकरण-दो तरंगों के अध्यारोपण के कारण तीव्रता के पुनर्वितरण से तीव्रता के महत्तम व न्यूनतम होने की घटना को तरंगों का व्यतिकरण कहते हैं।
संपोषी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्ते
परिणामी तीव्रता के सूत्र से स्पष्ट है कि किसी बिन्दु पर संपोषी व्यतिकरण अर्थात् अधिकतम तीव्रता के लिए
अतः संपोषी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्त निम्न हैं
(i) दोनों तरंगों के बीच कलान्तर शून्य अथवा π का सम गुणक होना चाहिए, अर्थात् तरंगें एक ही कला में मिलनी चाहिए।
(ii) दोनों तरंगों के बीच पथान्तर शून्य अथवा तरंगदैर्घ्य λ का पूर्ण गुणक होना चाहिए।
अतः संपोषी व्यतिकरण की दशा में परिणामी तीव्रता के सूत्र में cos φ = 1 रखने पर,
परिणामी तीव्रता का अधिकतंम मान ।
प्रश्न 13.
विस्पन्द से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि प्रति सेकण्ड उत्पन्न विस्पन्दों की संख्या दो ध्वनि स्रोतों की आवृत्तियों के अन्तर के बराबर होती है।
उत्तर :
विस्पन्द (Beats)-जब ‘लगभग बराबर आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगें एक साथ उत्पन्न की जाती हैं, तो माध्यम में उनके अध्यारोपण से प्राप्त ध्वनि की तीव्रता बारी-बारी से घटती और बढ़ती रहती है। ध्वनि की तीव्रता में होने वाले इस चढ़ाव व उतराव को ‘विस्पन्द’ (beat) कहते हैं। एक चढ़ाव तथा एक उतराव को मिलाकर एक विस्पन्द’ (one beat) कहते हैं। प्रति सेकण्ड ध्वनि की तीव्रता में होने वाले चढ़ाव व उतराव की संख्या को ‘विस्पन्द आवृत्ति’ (beat frequency) कहते हैं।
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक दशा (condition) यह है कि दोनों स्रोतों की आवृत्तियों में थोड़ा अन्तर अवश्य होना चाहिए।
माना दो ध्वनि-स्रोतों की आवृत्तियाँ n1 व n2 हैं (n1 आवृत्ति n2 आवृत्ति से कुछ अधिक है)। माना प्रत्येक ध्वनि का आयाम a है तथा दोनों तरंगें एक ही दिशा में जा रही हैं। माना इन तरंगों द्वारा माध्यम के किसी कण का विस्थापन क्रमशः y1 व y2 है, तब सरल आवर्त गति के समीकरण के अनुसार,
इस समीकरण से स्पष्ट है कि दोनों तरंगों के अध्यारोपण से कण एक सरल आवर्त गति करता है जिसका आयाम a है तथा जो समय t पर निर्भर करता है। चूंकि cos π(n1 – n2) t का अधिकतम मान ±1 तथा न्यूनतम मान 0 हो सकता है; अत: A का अधिकतम मान ± 2a तथा न्यूनतम मान 0 होगा।
अत: इन क्षणों पर आयाम का मान अधिकतम होगा जिसके फलस्वरूप ध्वनि की तीव्रता (I = kA²) भी अधिकतम होगी।
दो लगातार अधिकतम तीव्रताओं के बीच समयान्तराल = 1/(n1 – n2) सेकण्ड है। अत: एक सेकण्ड में (n1 – n2) बार तीव्रता अधिकतम होगी।
अतः इन क्षणों पर आयाम न्यूनतम होगा जिसके फलस्वरूप ध्वनि की तीव्रता भी न्यूनतम होगी। उपर्युक्त समीकरणों (1) तथा (2) से स्पष्ट है कि अधिकतम तीव्रताओं के ठीक बीच-बीच में न्यूनतम तीव्रताएँ आती
दो लगातार न्यूनतम तीव्रताओं के बीच समयान्तराल = \frac { 1 }{ n1 - n2 }सेकण्ड अर्थात् प्रति सेकण्ड (n1 – n2) बार तीव्रता न्यूनतम होती है।
इससे स्पष्ट है कि ध्वनि की तीव्रता में एक सेकण्ड में (n1 – n2) चढ़ाव तथा (n1 – n2) उतराव आते हैं, जबकि एक चढ़ाव तथा एक उतराव को मिलाकर एक विस्पन्द कहते हैं, अर्थात् एक सेकण्ड में n1 – n2 विस्पन्द सुनाई देंगे।
अत: विस्पन्दों की प्रति सेकण्ड संख्या (अर्थात् विस्पन्द-आवृत्ति)
= n1 – n2 = ध्वनि-स्रोतों की आवृत्तियों का अन्तर
प्रश्न 14.
अप्रगामी तरंग समीकरण व्युत्पन्न कीजिए। प्रस्पन्द तथा निस्पन्द बनने की शर्ते बताइए। दर्शाइए कि दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य की आधी होती है।
उत्तर :
अप्रगामी तरंग की समीकरण (Equation of stationary wave)-माना कि आयाम a की एक समतल प्रगामी तरंग चाल υ में X-अक्ष की धन दिशा में चल रही है। इस तरंग की समीकरण निम्न
जहाँ λ प्रगामी तरंग की तरंगदैर्घ्य है तथा T कम्पन-काल है। माना कि यह तरंग किसी मुक्त (free) सिरे से टकराती है और परावर्तित तरंग X-अक्ष की ऋण दिशा में अग्रसर होती है। तब परावर्तित तरंग की समीकरण निम्न होगी
परन्तु यदि यही तरंग किसी दृढ़ (rigid) सिरे से परावर्तित हो तब परावर्तित तरंग की समीकरण निम्न होगी
दोनों परावर्तित तरंगों में से किसी को भी लेकर अप्रगामी तरंग की समीकरण प्राप्त की जा सकती है।
नीचे मुक्त सिरे से परावर्तित तरंग लेकर अप्रगामी तरंग का समीकरण प्राप्त किया गया है।
माना कि आपतित तरंग के कारण किसी बिन्दु x का किसी क्षण t पर विस्थापन y1 है तथा परावर्तित
तरंग के कारण विस्थापन y2 है। तब, अध्यारोपण के सिद्धान्त से,
उस बिन्दु का परिणामी विस्थापन y = y1 + y2
यही अप्रगामी तरंग की समीकरण है। इस समी० में x = 0, λ/2, 2λ/2, 3λ/2,…….. रखने पर cos (2π x/λ) को मान एकान्तर क्रम से +1 तथा -1 हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि इन बिन्दुओं पर अन्य बिन्दुओं की तुलना में विस्थापन y सदैव अधिकतम होता है। ये बिन्दु ही ‘प्रस्पन्द’ (antinodes) हैं तथा एक-दूसरे से λ/2 की दूरी पर स्थित हैं। इसी प्रकार, x = λ/4,3λ/4,5λ/4,…… रखने पर cos (2π x/λ) का मान शून्य हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि इन बिन्दुओं पर विस्थापन y शून्य हो जाता है। ये बिन्दु ही ‘निस्पन्द’ (nodes) हैं तथा ये भी एक दूसरे से λ/2 की दूरी पर हैं।
यदि हम दृढ़ सिरे से परावर्तित तरंग लें तब अप्रगामी तरंग की निम्न समीकरण प्राप्त होगी—
इस दशा में x = 0,λ/2, 2λ/2, 3λ/2,…… पर निस्पन्द तथा x = λ/4,3λ/4,5λ/4,…… पर प्रस्पन्द होंगे। यहाँ से स्पष्ट है कि दो क्रमागत निस्पन्दों तथा दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य की आधी (λ/2) होती है।
प्रश्न 15.
अप्रगामी तरंगों से आप क्या समझते हैं? इनकी मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
अप्रगामी तरंगें (Stationary waves)–जब किसी बद्ध माध्यम में सभी प्रकार से समान दो अनुदैर्घ्य अथवा दो अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगें एक ही चाल से परन्तु विपरीत दिशाओं में चलती हैं, तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप उत्पन्न नयी तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है। इस प्रकार प्राप्त नयी तरंग अप्रगामी तरंग कहलाती है।
अप्रगामी तरंगों की मुख्य विशेषताएँ-अप्रगामी तरंगों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं|
1. बद्ध माध्यम के कुछ कण सदैव अपने ही स्थान पर स्थिर रहते हैं; अर्थात् उनका विस्थापन शून्य होता है। ये निस्पन्द कहलाते हैं। ये समान दूरियों पर स्थित होते हैं। अप्रगामी तरंगों के अनुदैर्घ्य होने की दशा में निस्पन्दों पर दाब तथा घनत्व में परिवर्तन महत्तम होता है।
2. अप्रगामी तरंग में निस्पन्दों के बीच में कुछ बिन्दु ऐसे होते हैं जिनका विस्थापन महत्तम होता है। ये प्रस्पन्द कहलाते हैं। अप्रगामी तरंगों के अनुदैर्ध्य होने की दशा में प्रस्पन्दों पर दाब तथा घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता।
3. दो क्रमागत निस्पन्दों अथवा दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है। एक निस्पन्द तथा उसके पास वाले प्रस्पन्द की दूरी λ/4 होती है।
4. किसी भी क्षण दो पास-पास स्थित निस्पन्दों के बीच सभी कणों की कला समान होती है। वे साथ-साथ गति करते हुए अपनी-अपनी अधिकतम विस्थापने की स्थिति में पहुँचते हैं तथा साथ-ही-साथ अपनी साम्यावस्था से गुजरते हैं।
5. किसी भी क्षण किसी निस्पन्द के दोनों ओर के कणों का कलान्तर 180° होता है, अर्थात् दोनों ओर के कण विपरीत कला में कम्पन करते हैं।
6. माध्यम के सभी बिन्दु एक आवर्तकाल में दो बार एक साथ अपनी-अपनी साम्यावस्था में से गुजरते हैं। दूसरे शब्दों में, दो बार अप्रगामी तरंग एक सीधी रेखा का रूप ग्रहण करती है।।
प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगों की तुलना
प्रश्न 16.
एक अप्रगामी तरंग का समीकरण y = 10 coscos 100 πt है, जहाँ y तथा x सेमी में तथा t सेकण्ड में है। ज्ञात कीजिए–
(i) मूल प्रगामी तरंगों की आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य
(ii) मूल प्रगामी तरंगों के समीकरण।
उत्तर :
(i) जब X-अक्ष की धन दिशा में जाती प्रगामी तरंग को लिया जाए तो,
y = a cos (ωt – kx) लिया जाए तो मुक्त तल से परावर्तित तरंग।
y = a cos (ωt + kx) होगी।
इन दोनों के अध्यारोपण से उत्पन्न अप्रगामी तरंग का समीकरण होगा
y = 2a cos ωt · cos kx ….(1)
प्रश्न 17.
एक सिरे पर बन्द वायु स्तम्भ की मूल-आवृत्ति का सूत्र निगमित कीजिए तथा समझाइए कि उसमें केवल विषम प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर :
बन्द ऑर्गन पाइप में वायु स्तम्भ के कम्पन-
किसी बन्द पाइप के खुले सिरे पर फेंक मारने पर पाइप की वायु में अनुदैर्ध्य तरंगें खुले सिरे से बन्द सिरे की ओर चलती हैं। बन्द सिरा एक दृढ़ परिसीमा की भाँति इस तरंग को परावर्तित (विरलन की दशा को विरलन के रूप में और संपीडन की दशा को संपीडन के रूप में) करता है और परावर्तित तरंग खुले सिरे की ओर चलती हैं। खुला सिरा एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित (विरलन की दशा को संपीडन के रूप में और संपीडन की दिशा को विरलन के रूप में) करके पुनः बन्द सिरे की ओर भेजता है। इस प्रकार पाइप के वायु स्तम्भ में दो ।
अनुदैर्ध्य तरंगें विपरीत दिशाओं में चलने लगती हैं। इनके अध्यारोपण से अप्रगामी अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न होती हैं। पाइप के बन्द सिरे पर वायु के कणों को कम्पन करने की बिल्कुल स्वतन्त्रता नहीं होती। अत: वहाँ सदैव निस्पन्द (node) बनता है। इसके विपरीत पाइप के खुले सिरे पर वायु के कणों को कम्पन करने की सबसे अधिक स्वतन्त्रता होती है; अतः वहाँ सदैव प्रस्पन्द (antinode) होता है। बन्द पाइप के खुले सिरे पर ‘धीरे-से’ फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में कम्पन चित्रे 15.7 (a) की भाँति होंगे अर्थात् खुले सिरे पर प्रस्पन्द (A) तथा बन्द सिरे पर निस्पन्द (N) होगा। एक निस्पन्द और पास वाले प्रस्पन्द के बीच की दूरी (λ1/4) होती है। अत: यदि पाइप की लम्बाई l तथा तरंगदैर्घ्य λ1 हो, तो ।
इस प्रकार पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति होगी
इस स्वरक को पाइप का ‘मूल-स्वरक’ (fundamental node) अथवा ‘पहला संनादी’ (first harmonic) कहते हैं। स्पष्ट है कि मूल-स्वरक की आवृत्ति पाइप की लम्बाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
बन्द पाइप के खुले सिरे पर जोर से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में मूल-स्वरक से ऊँची आवृत्ति के स्वरक उत्पन्न किये जा सकते हैं, जिन्हें ‘अधिस्वरक’ (overtones) कहते हैं। तब वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.7 (b) तथा 15.7 (c) के अनुसार होते हैं जिनमें पाइप के खुले तथा बन्द सिरों के बीच में भी निस्पन्द व प्रस्पन्द होते हैं।
चित्र 15.7 (b) में एक पाइप के बन्द व खुले सिरों के बीच में एक प्रस्पन्द (A) व एक निस्पन्द (N) है। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ2, हो, तो
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति की तीन गुनी है। अत: यह बन्द पाइप का पहला अधिस्वरक’ है। इसे ‘तीसरा संनादी’ भी कह सकते हैं।
चित्र 15.7 (c) में पाइप के बन्द व खुले सिरों के बीच में दो निस्पन्द व दो प्रस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ3 हो, तो
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति की पाँच गुनी है। अतः यह ‘पाँचवाँ संनादी’ अथवा ‘दूसरा अधिस्वरक’ है। इसी प्रकार आगे के अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ भी ज्ञात की जा सकती हैं। समीकरण (1), (2) व (3) से स्पष्ट है कि |
n1 : n2 : m3 ………….= 1: 3: 5:…………..
अर्थात् बन्द पाइप से केवल ‘विषम संनादी’ ही उत्पन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 18.
सिद्ध कीजिए कि दोनों ओर खुले ऑर्गन पाइप में सम और विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर :
अप्रगामी तरंग का समीकरण
खुले ऑर्गन पाइप में वायु स्तम्भ के कम्पन–किसी खुले पाइप के एक सिरे पर फेंक मारने पर पाइप की वायु में अनुदैर्ध्य तरंगें एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर चलती हैं। दूसरा सिरा एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित (विरलन की दशा को संपीडन के रूप में और संपीडन की दशा को विरलन के रूप में) करता है और परावर्तित तरंग पहले सिरे की ओर चलती है। पहला सिरा भी एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित करके पुन: दूसरे सिरे की ओर भेजता है। इस प्रकार पाइप के वायु स्तम्भ में दो अनुदैर्ध्य तरंगें विपरीत दिशाओं में चलने लगती हैं। उनके अध्यारोपण से अप्रगामी अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न होती हैं। चूँकि पाइप दोनों सिरों पर खुला है; अत: दोनों सिरों पर सदैव प्रस्पन्द होते हैं। पाइप के सिरे पर धीरे-से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.8 (a) की भाँति होंगे अर्थात् दोनों सिरे प्रस्पन्द (A) तथा उनके बीच एक निस्पन्द (N) होगा। दो प्रस्पन्दों के बीच की दूरी (λ/2) होती है। अतः यदि पाइप की लम्बाई । से तथा तरंगदैर्घ्य λ1 हो, तो
जहाँ υ वायु में ध्वनि की चाल है। पाइप से उत्पन्न कम-से-कम आवृत्ति के इस स्वरक को ‘मूलस्वरक’ अथवा ‘पहला संनादी’ कहते हैं।
पाइप के सिरे पर जोर से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में मूल-स्वरके से ऊँची आवृत्ति के स्वरक उत्पन्न किये जा सकते हैं, जिन्हें ‘अधिस्वरक’ कहते हैं। तब वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.8 (b) तथा 15.8 (c) के अनुसार होते हैं।
चित्र 15.8 (b) में पाइप के सिरों के बीच दो निस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ2, हो, तो
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति से दो गुनी है। अत: यह ‘द्वितीय संनादी’ अथवा ‘पहला अधिस्वरक’ है।।
चित्र 15.8 (c) में पाइप के सिरों के बीच तीन निस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ3 हो, तो
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति से तीन गुनी है। अत: यह तीसरा संनादी अथवा ‘दूसरा अधिस्वरक’ है। इस प्रकार आगे के अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ भी ज्ञात की जा सकती हैं। समीकरण (1), (2) व (3) से स्पष्ट है कि खुले पाइप के मूल स्वरक तथा अधिस्वरकों में निम्नलिखित सम्बन्ध है
n1 : n2 : n3 ….= 1: 2: 3….
अर्थात् खुले ऑर्गन पाइप से सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 19.
संनादी से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि तनी हुई डोरी में सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर :
संनादी (Harmonics)– यदि किसी ध्वनि-स्रोत से उत्पन्न मूल-स्वरक तथा अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ हारमोनिक श्रेणी में हों तो इन स्वरकों को संनादी कहते हैं। डोरी के मूल-स्वरक तथा अधिस्वरक
-जब किसी तनी हुई डोरी (अथवा तार) के मध्य-बिन्दु को धीरे से खींचकर छोड़ते हैं तो डोरी एक खण्ड में कम्पन करती है, तब इसके सिरों पर निस्पन्द (N) तथा बीच में प्रस्पन्द (A) बनते हैं,
चित्र 15.9 (a)। इस दशा में डोरी में उत्पन्न स्वरक को ‘मूल-स्वरक’ कहते, हैं। दो पास-पास वाले निस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है, (λ तरंगदैर्घ्य)। यदि मूल-स्वरक की स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ1 हो तथा डोरी की लम्बाई l हो, तो
यह डोरी (अथवा तार) की मूल आवृत्ति है।
यदि डोरी के मध्य-बिन्दु को किसी हल्के पंख से छूते हुए उसे किसी सिरे से चौथाई लम्बाई पर लम्बवत् खींचकर छोड़ दें तो डोरी दो खण्डों में कम्पन करने लगती है, चित्र 15.9 (b)। यदि इस दशा में तरंगदैर्घ्य λ2 हो, तो।
प्रश्न 20.
एक बन्द ऑर्गन पाइप के दूसरे अधिस्वरक तथा उसी लम्बाई के खुले ऑर्गन पाइप के ‘ पहले अधिस्वरक की आवृत्तियों में 150 हर्ट्ज का अन्तर है। बन्द व खुले पाइपों की मूल आवृत्तियाँ क्या हैं?
उत्तर :
माना कि बन्द व खुले पाइपों की मूल आवृत्तियाँ क्रमशः n1 व n2 हैं, प्रत्येक पाइप की लम्बाई l है तथा वायु में ध्वनि की चाल υ है। तब
प्रश्न 21.
एक अप्रगामी तरंग को उत्पन्न करने वाली अवयवी तरंगों के आयाम, आवृत्ति एवं वेग। क्रमशः 8 सेमी, 30 हर्ट्ज एवं 180 सेमी/सेकण्ड हैं। अप्रगामी तरंग का समीकरण प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
अप्रगामी तरंग उत्पन्न करने वाली अवयवी तरंगों का आयाम a = 8 सेमी
आवृत्ति n = 30 हर्ट्ज = 30 सेकण्ड-1 तथा वेग υ = 180 सेमी/सेकण्ड
प्रश्न 22.
डॉप्लर प्रभाव क्या है? एक स्थिर ध्वनि-स्रोत की ओर एक श्रोता एकसमान वेग से गति कर रहा है। श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
डॉप्लर प्रभाव-जब श्रोता और ध्वनि के स्रोत के बीच आपेक्षिक गति (relative motion) होती है, तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति बदलती हुई प्रतीत होती है। आपेक्षिक गति से जब श्रोता तथा ध्वनि-स्रोत के मध्य दूरी बढ़ रही होती है तो आवृत्ति घटती हुई और जब दूरी घट रही होती है तो आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। ध्वनि स्रोत तथा श्रोता के मध्य आपेक्षिक गति के कारण ध्वनि-स्रोत की आवृत्ति में उत्पन्न आभासी परिवर्तन (apparent change) का अध्ययन सर्वप्रथम डॉप्लर ने सन् 1842 में किया था, इसी कारण इसे डॉप्लर प्रभाव कहते हैं।
जब ध्वनि स्रोत स्थिर तथा श्रोता इसकी ओर गतिमान है तो आभासी आवृत्ति का व्यंजक- माना कि ध्वनि-स्रोत S स्थिर (υs – 0) है तथा श्रोता O चाल υ0 से ध्वनि के चलने की दिशा के विपरीत चलकर स्रोत की ओर तरंगें जा रहा है।
यदि ध्वनि-स्रोत की मूल आवृत्ति n हो तथा ध्वनि की चाल υ हो, तो तरंगदैर्घ्य
यदि श्रोता भी स्थिर होता तो वह 1 सेकण्ड में ध्वनि-स्रोत से आने वाली n तरंगें सुनता है [चित्र तरंगें 15.10 (a)] परन्तु चूँकि वह स्वयं 1 सेकण्ड में υ0 दूरी स्रोत की ओर तय कर लेता है [चित्रे 15.10 (b)]। अत: वह इन तरंगों के अतिरिक्त दूरी υ0 में फैली υ0/λ तरंगों को भी सुन सकेगा।
अतः 1 सेकण्ड में श्रोता द्वारा सुनी गयी कुल तरंगों की संख्या अर्थात् आभासी आवृत्ति ।
जो कि वास्तविक आवृत्ति n से अधिक है।
प्रश्न 23.
यदि कोई ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों ही एक-दूसरे की तरफ गति कर रहे हों तो ध्वनि की आभासी आवृत्ति के लिए सूत्र निगमन कीजिए।
उत्तर :
माना कि ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों ही ध्वनि की गति की दिशा में ध्वनि का वेग क्रमशः υ तथा υ वेग से चल रहे हैं (चित्र 15.11)। (ध्वनि की दिशा s सदैव ध्वनि स्रोत से श्रोता की ओर होती है।) आरम्भ में यदि यह माना जाये कि श्रोता स्थिर है, तो ध्वनि स्रोत की गति के कारण आभासी आवृत्ति
अब यदि श्रोता भी गतिमान हो जाए, तो n1, उसके लिए वास्तविक आवृत्ति होगी तथा माना श्रोता द्वारा सुनी गयी आवृत्ति n1 से बदलकर n’ हो जाती है तो
यदि स्रोत अथवा श्रोता में से किसी के चलने की दिशा ध्वनि की दिशा के विपरीत हो तो समीकरण (3) में उसके वेग υ अथवा υ का चिह्न बदल जायेगा।
प्रश्न 24.
किसी रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़ा एक व्यक्ति एक इंजन की सीटी को सुनता है जो एक स्थिर चाल से आकर बिना रुके हुए उसी चाल से आगे निकल जाता है। जैसे ही इंजन उससे आगे निकलता है, उस व्यक्ति को सीटी की आवृत्ति में 11 kHz से 9 kHz के अन्तर होने का आभास होता है। इंजन की चाल तथा सीटी की वास्तविक आवृत्ति की गणना कीजिए। (वायु में ध्वनि की चाल = 300 मी/से)।
उत्तर :
दिया है,υ0 = 0,υ = 300 मी/से, n’ = 11kHz = 11000 Hz, n” = 9 kHz = 9000 Hz, υ६ =?
जब इंजन व्यक्ति की ओर आ रहा है तब आवृत्ति
प्रश्न 25.
एक स्थिर श्रोता की ओर जाते हुए ध्वनि स्रोत की आभासी आवृत्ति के सूत्र का निगमन कीजिए।
या n आवृत्ति का एक गतिमान स्रोत υ चाल से एक स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है। ध्वनि का वेग υ कीजिए। है। श्रोता द्वारी सुनी गई आभासी आवृत्ति के लिए सूत्र का निगमन कीजिए।
या स्थिर श्रोता की ओर एक गतिमान स्रोत एकसमान वेग से जा रहा है तो आभासी आवृत्ति का सूत्र निगमित कीजिए।
उत्तर :
स्थिर श्रोता की ओर जाते हुए ध्वनि स्रोत की आभासी आवृत्ति का सूत्र- चित्र 15.12 में S व O क्रमशः ध्वनि-स्रोत तथा श्रोता की स्थितियों को व्यक्त करते हैं।
माना कि ध्वनि-स्रोत की मूल (वास्तविक) आवृत्ति n है तथा ध्वनि की चाल υ है। स्पष्ट है कि स्रोत से 1 सेकण्ड में n तरंगें निकलेंगी जो चाल υ से चलेंगी। यदि स्रोत अपने स्थान पर स्थिर है, तो यह n तरंगें SO = υ दूरी में फैल जायेंगी [चित्र 15.12 (a)]। इस प्रकार एक तरंग की लम्बाई अथवा तरंगदैर्घ्य
अब माना कि ध्वनि-स्रोत चाल υ से श्रोता की ओर गति करता है, अर्थात् स्रोत ध्वनि तरंगों के पीछे-पीछे चल रहा है। तब 1 सेकण्ड में निकलने वाली n तरंगें υ दूरी में न फैलकर υ – υ, दूरी में फैलेगी, क्योंकि 1 सेकण्ड में ध्वनि-स्रोत O की ओर υ दूरी चल लेता है [चित्र 15.12 (b)]। फलतः तरंगदैर्ध्य छोटी हो जायेगी। मान लीजिए यह λ है।
इस प्रकार श्रोता को λ’ तरंगदैर्घ्य की तरंगें प्राप्त होंगी। अत: उसको ध्वनि की आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होगी। मान लीजिए यह आभासी आवृत्ति n’ है। तब ।
जो कि वास्तविक आवृत्ति n से अधिक है।
प्रश्न 26.
एक रेडार स्टेशन से एक वायुयान की ओर 6 x 10 हर्ट्ज आवृत्ति के संकेत भेजे जाते हैं। यदि वायुयान से परावर्तित संकेत की आवृत्ति भेजे गये संकेत की आवृत्ति से 1x 10 हर्ट्ज अंधिक मालूम पड़े तो बताइए कि वायुयान किस दिशा में किस वेग से जा रहा है? (c = 30 x 10 मीटर/सेकण्ड).
उत्तर :
संकेतों की आभासी आवृत्ति बढ़ी हुई प्रतीत होती है; इसका अर्थ है कि रेडार स्टेशन तथा वायुयान के बीच दूरी घट रही है अर्थात् वायुयान रेडार स्टेशन की ओर आ रहा है।
माना कि भेजे गये रेडार संकेत की वास्तविक आवृत्ति ν है। यदि वायुयान का रेडार स्टेशन की ओर उपगमन वेग υ है, तब सापेक्षिकता के सिद्धान्त से,
= 250 मीटर/सेकण्ड
यह वायुयान का उपगमन वेग है।
प्रश्न 27.
एक श्रोता किसी वेग से एक स्थिर ध्वनि स्रोत की ओर आकर उसी वेग से दूसरी ओर चला जाता है। श्रोता के निकट आते समय तथा दूर जाते समय की आभासी आवृत्तियों का अनुपात है। श्रोता के वेग की गणना कीजिए। वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है।
उत्तर :
ना श्रोता का वेग υ है।
जब श्रोता स्रोत के निकट आता है तब आभासी आवृत्ति
अतः श्रोता का वेग 30 मी/से है।