NCERT Solutions Class 12 समाजशास्त्र (भारतीय समाज) Chapter-1 भारतीय समाज-एक परिचय
NCERT Solutions Class 12 समाजशास्त्र (भारतीय समाज) 12 वीं कक्षा से Chapter-1 भारतीय समाज-एक परिचय के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए।
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समाजशास्त्र Sociology के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
CBSE एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
Class 12 समाजशास्त्र Sociology
पाठ -1 भारतीय समाज-एक परिचय
1. भारत के राष्ट्रीय एकीकरण की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर- भारत के राष्ट्रीय एकीकरण की मुख्य समस्याएँ इस प्रकार है -क्षेत्रीयतावाद, पृथक राज्य की माँग, भाषाओं में भिन्नता , तथा आतंकवाद। ये सभी भारत के एकीकरण में रुकावट पैदा करते हैं। इन समस्याओं के कारण अकसर दंगे ,हड़ताले तथा परस्पर विरोध होते रहते हैं। इन्हीं कारणों के होता हैं।
2. अन्य विषयों की तुलना में समाजशास्त्र एक भिन्न विषय क्यों है?
उत्तर- अन्य विषयों की तुलना में समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है, जिसके माध्यम से कोई समाज के बारे में कुछ जानता है। अन्य विषयों की शिक्षा हमें घर, विद्यालय या अन्य स्थानों से प्राप्त होती है, जबकि समाज के बारे में हमारा अधिकतर ज्ञान बिना किसी सुस्पष्ट शिक्षा के प्राप्त होता है। समय के साथ बढ़ने वाला यह एक अभिन्न अंग की तरह हैं, जो स्वाभाविक तथा स्वतः स्फूर्त तरीके से प्राप्त होता है।
3. समाज के आधारभूत कार्य क्या हैं?
उत्तर- समाजशास्त्रियों तथा सामाजिक मानवविज्ञानियों ने शब्द 'Function' (कार्य) को जीवविज्ञान से प्रक्रियाओं के लिए शारीरिक रचना के रख-रखाव हेतु किया जाता था। प्रत्येक समाज की निरंतरता तथा अस्तित्व को बनाए रखने के लिए निम्न कार्य महत्वपूर्ण हैं-
1. सदस्यों की नियुक्ति
2. सेवाओं का उत्पादन तथा वितरण एवं
3. आदेश का पालन
4. विशेषज्ञता
4. सामाजिक संरचना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- सामाजिक संरचना के तत्व :
1. महिला तथा पुरुष, विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक, वयस्क तथा बच्चे तथा धार्मिक समूह इत्यादि |
2. बच्चों ,माता-पिता, तथा विभिन्न समूहों के मध्य अंतर्सबंध।
3. अंत में, समाज के सभी अंग मिलते हैं तथा व्यवरथा अंतसंबंधित तथा पूरक अवधारणा बन जाती हैं।
5. भ्रमित करने वाले सामाजीकरण के द्वारा हमें बचपन में सामाजिक मानचित्र क्यों उपलब्ध कराया जाता है?
उत्तर- बचपन में सामाजिक मानचित्र माता-पिता, भाई-बहन, सगे-संबंधी तथा पड़ोसियों के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। यह विशिष्ट अथवा आंशिक हो सकता है। इसके द्वारा हमें आसपास की दुनिया को समझना तथा तौर-तरीके सिखाए जाते हैं। यह वास्तविक हो भी सकता है और नहीं भी। दूसरे प्रकार के मानचित्रों का निर्माण करते समय उसके समुचित प्रयोग तथा प्रभाव का ध्यान रखा जाना चाहिए | एक समाजशास्त्रिय परिप्रेक्ष्य आपको अनेक प्रकार के सामाजिक मानचित्र बनाना सिखाता हैं |
6. सामुदायिक पहचान क्या है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- सामुदायिक पहचान : यह जन्म तथा संबंधों पर आधारित होता है, न कि अर्जित योग्यता अथवा निपुणता पर। जन्म-आधारित पहचान को आरोपित कहा जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति विशेष की पसंदों का कोई महत्व नहीं होता। यह वस्तुत: निरर्थक तथा विभेदात्मक है। इस प्रकार की आरोपित पहचान आत्म-निरीक्षण के लिए बहुत ही हतोत्साहित करने वाली है | समुदाय के विस्तारित तथा अतिव्यापी समूहों के संबंध; जैसे- परिवार, रिश्तेदारी, जाति, नस्ल, भाषा,क्षेत्र अपना धर्म विश्व को अपनी पहचान बताता है तथा स्वयं की पहचान की चेतना पैदा करता है कि हम क्या हैं।इसकी विशेषता है,समुदाय हमें भाषागत तथा सांस्कृतिक मूल्य सिखाता हैं, जिसके द्वारा हम विश्व को समझते हैं।
7. आत्मवाचक क्या है?
उत्तर- आत्मवाचक से अभिप्राय है ,समाजशास्त्र हमें यह दिखा सकता है कि दूसरे हमें किस तरह से देखते हैं। यह आपको सिखा सकता है कि आप स्वयं को बाहर से कैसे देख सकते हैं।
8. समाजशास्त्र 'व्यक्तिगत परेशानियों' तथा 'सामाजिक मुद्दों' के बीच कड़ी तथा संबधों का खाका खींचने में हमारी मदद कर सकता है। चर्चा कीजिए।
उत्तर- सी. राईट मिल्स के अनुसार -'समाजशास्त्र 'व्यक्तिगत परेशानियों' एवं 'सामाजिक मुद्दों के मध्य कड़ियों एवं संबंधों को उजागर करने में मदद कर सकता है।"
व्यक्तिगत परेशानियों से मिल का तात्पर्य हैं कि वे अनेक प्रकार की व्यक्तिगत चिंताएँ, समस्याएँ या सरोकार जो सबके जीवन में होते
9. किस प्रकार से औपनिवेशिक शासन ने भारतीय चेतना को जन्म दिया? चर्चा कीजिए।
उत्तर- औपनिवेशिक शासन ने भारतीय चेतना को इस प्रकार जन्म दिया;
1. औपनिवेशिक शासन ने पहली बार राजनीतिक तथा प्रशासनिक के क्षेत्र में एकीकरण किया।
2. यद्यपि इस तरह की भारत की आर्थिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक एकीकरण की उपलब्धि भारी कीमत चुका कर प्राप्त हुई।
3. औपनिवेशिक शासन के शोषण तथा प्रभुत्व ने भारतीय समाज की कई प्रकार से भयभीत किया।
4. औपनिवेशिक शासन ने पूंजीवादी आर्थिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण की ताकतवर प्रक्रियाओं के द्वारा भारत जागृत हुआ।
5. तीव्रता से बढ़ते शोषण तथा औपनिवेशिक प्रभुत्व के साझे अनुभवों ने भारतीय समाज के अनेक वर्गों में एकता तथा बल प्रदान किया। इसने नए वर्गों तथा समुदायों का भी गठन किया। शहरी मध्यम वर्ग राष्ट्रवाद का प्रमुख वाहक था।
6. औपनिवेशिक काल ने अपने शत्रु राष्ट्रवाद को भी जन्म दिया। आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा का सूत्रपात ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में ही हुआ।
10. औपनिवेशिक शासन द्वारा अपनी शासन-व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए?
उतर- औपनिवेशिक शासन द्वारा अपनी शासन-व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए:
1. उत्पादन के क्षेत्र में नई यांत्रिक तकनीक का इस्तेमाल |
2. व्यापार में नई बाजार व्यवस्था की शुरुआत।
3. परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास।
4. अखिल भारतीय स्तर पर लोक सेवा आधारित नौकरशाही का गठन।
5. लिखित तथा औपचारिक कानून का गठन।
11. किन समाज सुधारकों ने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशकाल के दौरान समाज सुधार आंदोलन चलाए?
उत्तर- ब्रिटिश उपनिवेशकाल के दौरान समाज सुधार आंदोलन के प्रमुख नेता थे- बाल गंगाधर तिलक, राजा राम मोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, महात्मा गाँधी इत्यादि।
12. उन प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए जो ब्रिटिश उपनिवेशकाल के दौरान प्रारंभ की गई।
उत्तर- यह वह समय था, जब भारत में आधुनिक काल का प्रारंभ हो चुका था तथा पश्चिमीकरण, आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण की शक्तियाँ भारत में प्रवेश कर चुकी थीं |
13. समाजशास्त्र तथा अन्य विषयों के बीच मुख्य अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- समाजशास्त्र तथा अन्य विषयों के बीच मुख्य अंतर :
1. समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है, जिसमें कोई भी शून्य से प्रारंभ नहीं होता, क्योंकि हर किसी को समाज के बारे में जानकारी होती है। जबकि अन्य विषय विद्यालयों, घरों तथा अन्य जगहों पर पढ़ाए जाते हैं।
2. चूँकि जीवन के बढ़ते हुए क्रम में समाजशास्त्र एक अभिन्न हिस्सा होता हैं, इसलिए समाज के बारे में किसी को जानकारी स्वतःस्फूर्त तथा स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाती हैं।
दूसरे विषयों के द्वारा छात्रों से इस प्रकार के पूर्व ज्ञान की अपेक्षा नहीं होती।
3. समाजशास्त्र से समाज के विषय में बहुत कुछ जानते हैं, जिसमें हम रहते तथा अंतक्रिया करते हैं। जहाँ तक दूसरे विषयों का संबंध है, इसमें छात्रों को जानकारी नगण्य होती है।
4. यद्यपि इस प्रकार की पूर्व जानकारी अथवा समाज के साथ प्रगाढ़ता का समाजशास्त्र में लाभ तथा हानि दोनों ही हैं। पूर्व जानकारी के बिना में दूसरे विषयों के संबंध में लाभ तथा हानि का प्रश्न ही सामने नहीं आता।
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