NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 13 - महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 13 - महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

NCERT Solutions Class 12 इतिहास  12 वीं कक्षा से Chapter 13 महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स इतिहास के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions class 12 इतिहास Chapter 13 - महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे


सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास

महत्वपूर्ण प्रश्न

पाठ-13

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

अति लघु प्रश्न (02 अंक)

प्र.1 दो प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए जिन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।

उत्तर:- (क) अमेरिका में जार्ज वाशिंगटन

(ब) भारत में महात्मा गाँधी

प्र.2 लाल-बाल-पाल कौन थे?

उत्तरः- (क) ये आरभिक उग्र राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रवादी आंदोलन चलाया ।

(ब) लाल - लाला लाजपत राय, बाल – बाल गंगाधर तिलक पाल विपिन्न चन्द्र पाल

प्र.3 गाँधीजी द्वारा भारत में किसानों और मजदूरो के लिए चलाए गए दो आंदोलन के नाम लिखिए।

उत्तर- (क) चम्पारण सत्याग्रह - 1917 (नील किसानों के लिए)

(ब) अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (1918)

प्र.4 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में गाँधीजी के भाषण का महत्व बताइए?

उत्तर:- (क) गाँधीजी ने मजदूर गरीबों की ओर ध्यान न देने के कारण भारतीय विशिष्ट वर्ग को आड़े हाथों लिया

(ब) धनी और गरीबो के बीच की विषमता पर उन्होंने चिन्ता प्रकट की, उनके अनुसार देश की मुक्ति केवल किसानो के माध्यम से ही हो सकती हैं।

प्र.5 रौलॅट एक्ट क्या है।

उत्तरः- (क) स्वतंत्रता सग्राम को कमजोर करने के लिए शैलेंट द्वारा यह कानून बनाया गया था

(ब) किसी भी व्यक्ति को बिना जाँच किये कारावास में डाला जा सकता था ।

प्र.6 चरखा को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में क्यों चुना गया था।

उत्तर:- (क) चरखा स्वावलम्बिता और आत्म सम्मान का प्रतीक है

(ब) हजारों बेरोजगार गरीबों को पूरक आमदनी प्रदान करने का साधन ।

प्र.7 भारत के राष्ट्रीय आदोलन मे कांग्रेस की लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व था।

उत्तर:- (क) कांग्रेस ने स्वराज के स्थान पर पूर्ण स्वराज को लक्ष्य बनाया

(ब) 26 जनवरी 1930 को स्वंतत्रता दिवस के रूप में मनाना

प्र.8 1931 के गाँधी-इर्विन समझौते का उल्लेख कीजिए ?

उत्तर:- (क) सविनय अवज्ञा आदोलन को स्थगित कर दिया

(ब) इर्विन ने सभी अहिंसक कैदियों को रिहाई की बात मान ली, भारतीयो को नमक बनाने की छूट, गाँधीजी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राजी ।

प्र.9 द्वितीय विश्व युद्ध के प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दृष्टिकोण क्या था ।

उत्तरः- (क) गाँधीजी और नेहरू दोनों ही हिटलर और नात्सियों के कट्टर आलोचक थे

(ब) उन्होंने फैसला लिया कि अगर अग्रेज युद्ध समाप्त होने के बाद भारत को स्वंतत्रता देने पर राजी हो तो काग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है।

लघु प्रश्न (05) अंक

प्र.10 किन कारणों से गाँधीजी ने अंसयोग आदोलन को चलाया यह आदोलन क्यों स्थगित करना पड़ा।

उत्तरः- 1. रौलॅट कानून के विरोध में

2. जलियाँ वाला बाग हत्याकांड के अन्याय का प्रतिकार करना

3. खिलाफ आदोलन को समर्थन करने के लिए

4. स्वराज्य प्राप्ति के लिए

चौरी - चौरा में हुई हिंसा को देखते हुए गाँधीजी ने असहयोग आदोलन को स्थगित कर दिया कारण वह अंहिसा के पुजारी थे।

प्र.11 दांडी मार्च के महत्व को समझाइए ?

उत्तर:- 1. ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानूनों में से एक जिसनें नमक के उत्पादन और विक्रय पर राज्य को एकाधिकार दे दिया था का उल्लंघन किया गया था ।

2. पहली बार राष्ट्रीय आदोंलन में स्त्रियों ने बढ़ - चढ़ कर भाग लिया।

3. देश के विषाल भाग में सरकारी कानूनो का उल्लघंन किया गया ।

4. अग्रेजों को अहसास हुआ कि अब उनका राज बहुत दिनों तक नहीं टिक सकता ।

प्र.12 पृथक निर्वाचिका की समस्या क्या थी ? इस मुद्दे पर काग्रेस व दलित वर्गो के बीच क्या मतभेद थे । इस समस्या का क्या समाधान निकाला गया ?

उत्तरः- 1. पृथक निर्वाचिका की माँग दलित वर्ग द्वारा उठाई गई जिसमें वह अपने लिए भी चुनाव क्षेत्रों का आरक्षण चाहते थे ।

2. 1931 के दूसरे गोलमेज सम्मेलन में दलित नेता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने कहा कि काग्रेस दलितो का प्रतिनिधित्व नहीं करती।

3. उनके अनुसार पृथक निर्वाचिका के द्वारा ही दलितों की आर्थिक सामाजिक दशा को सुधारा जा सकता है ।

4. गाँधीजी ने इसका विरोध किया उनका मानना था कि हिन्दु समाज उच्च और दलित वर्ग में बंट जायेगा तथा देश की एकता कमजोर होगी । अंततः पूना समझौते द्वारा काग्रेस के भीतर ही दलितों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र दिये गए तथा पृथक निर्वाचिका की समस्या हल हो गई।

दीर्घ प्रश्न (10 अंक)

प्र.13 गाँधीजी ने किस प्रकार राष्ट्रीय आदोलन को जन आदोलन में बदल दिया ?

उत्तर:- 1. सरल, सात्विक जीवन शैली

2. लोगों की भाषा हिन्दी का प्रयोग,

3. चमत्कारी अफवाहे,

4. सत्य, अंहिसा,

5. स्वदेशी, बहिष्कार,

6. चरखा और खादी को लोकप्रिय बनाना,

7. स्त्रियों, दलितों और गरीबों का उद्धार,

8. हिन्दू मुस्लिम एकता,

9.छुआ-छूत का उन्मूलन,

10. समाज के प्रत्येक वर्ग को बराबरी के नजरिये से देखना और सभी को राष्ट्रीय आदोंलन में शामिल करना ।

प्र.14 ऐसे स्रोतों की व्याख्या कीजिए, जिनसें महात्मा गाँधी के राजनीतिक जीवन तथा भारतीय राष्ट्रीय आदोलन इतिहास को पुनः सूत्रबद्ध कर सकते है।

उत्तर:- 1. आत्मकथाएँ और जीवनी

2. समकालीन समाचार पत्र

3. सार्वजनिक स्वर

4. निजी लेखन

5. पुलिसकर्मियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र और रिपोर्ट

प्र.15 “गाँधीजी जहाँ भी गए वही उनकी चमत्कारिक शक्तियों की अफवाहे फैली", सोदाहरण स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर:- 1. सात्विक जीवन शैली

2. धोती और चरखा का प्रयोग

3. लोगों की बोलचाल की भाषा हिन्दी का प्रयोग

4. चम्पारन सत्याग्रह

5. असहयोग आदोंलन में उनके द्वारा सत्य एवं अंहिसा का प्रयोग

6. गाँधीजी जहाँ भी गए वही उनकी चमत्कारिक शक्तियों की अफवाहे फैल गई

7. गाँधीजी के विरोध करने वाले के लिए भंयकर परिणाम की कहानियाँ भी थी।

उदाहरण के लिए आलोचना करने वालो के घर रहस्यात्मक रूप से गिर गए अथवा उनकी फसल चौपट हो गई।

प्र.16 निम्नलिखित अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके अंत में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ?

उत्तर:- नमक सत्याग्रह क्यों?

नमक विरोध का प्रतीक क्यों था ? इसके बारे में महात्मा गाँधी ने लिखा है:-

प्रतिदिन प्राप्त होने वाली सूचनाओं से पता चलता है कि कैसे अन्याय पूर्ण तरीके नमक कर को तैयार किया गया है। बिना कर (जो कभी-कभी नमक के मूल्य का चौदह गुना तक होता था) अदा किये गए नमक के प्रयोग को रोकने के लिए सरकार उस नमक को, जिससे वह लाभ पर नहीं बेच पाती थी नष्ट कर देती थी । अतः यह राष्ट्र की अत्याधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता पर कर लगाती है, यह जनता को इसके उत्पादन से रोकती है । और प्रकृति ने जिसे बिना किसी श्रम के उत्पादित किया उसे नष्ट कर देती है । अतः किसी भी वजह से किसी चीज को स्वंय उपयोग न करने देने तथा ऐसे में उस चीज को नष्ट कर देने की इस अन्यायपूर्ण नीति को किसी भी विशेषण द्वारा नहीं बताया जा सकता है । विभिन्न स्त्रोतों से मैं भारत के सभी भागों में इस राष्ट्र सम्पति को बेलगाम ढ़ग से नष्ट किये जाने की कहानियाँ सुन रहा हूँ । टनों न सही पर कई मन नमक कोकण तट पर नष्ट कर दिया गया है । दाण्डी से भी इस तरह की बातें पता चली है । जहाँ कही भी ऐसे क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों द्वारा अपनी व्यक्तिगत प्रयोग हेतु प्राकृतिक नमक उठा ले जाने की सम्भावना दिखती है । वहाँ तुरंत अधिकारी नियुक्त कर दिये जाते है जिनका एक मात्र कार्य विनाश करना होता है । इस प्रकार बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा को राष्ट्रीय खर्च से ही नष्ट किया जाता है । और लोगों के मुह से नमक छीन लिया जाता है । नमक एकाधिकार एक तरह से चौतरफा अभिपाप है । यह लोगों को बहुमूल्य सुलभ ग्राम उद्योग से वंचित करता है, प्रकृति द्वारा बहुतायत में उत्पादित सम्पदा का यह अतिशय विनाश करता है । इस विनाश का मतलब ही है और अधिक राष्ट्रीय खर्च । चौथा और इस मूर्खता का चरमोत्कर्ष भूखे लोगों से हजार प्रतिशत से अधिक की उगाही है । सामान्य जन की उदासीनता की वजह से ही लम्बे समय से यह कर अस्तित्व में बना रहा है । आज जनता पर्याप्त रूप से जाग चुकी है । अतः इस कर को समाप्त करना होगा । कितनी जल्दी इसे खत्म कर दिया जायेगा यह लोगों की क्षमता पर निर्भर करता है।

प्र.1 नमक विरोध का प्रतीक क्यों था? (2)

उत्तरः- क) प्रत्येक भारतीय घर में नमक का प्रयोग अनिवार्य था ।

ख) लेकिन इसके बावजूद भारतीयों को घरेलू प्रयोग के लिए नमक बनाने से रोका गया और उन्हें दुकानों से ऊंचे दामों पर खरीदने के लिए बाध्य किया गया

प्र.2 औपनिवेशिक सरकार के द्वारा नमक को क्यों नष्ट किया जाता था ? (3)

उत्तर:- क) अन्यायपूर्ण तरीके से नमक कानून को तैयार किया गया था

ख) बिना कर (जो कभी - कभी नमक के मूल्य का चौदह गुना होता था) अदा किये गए नमक के प्रयोग को रोकने के लिए सरकार उस नमक को, जिससे वह लाभ पर नहीं बेच पाती थी नष्ट कर देती थी।

प्र.3 महात्मा गाँधी नमक कर को अन्य करों की तुलना में अधिक दमनात्मक क्यों मानते थे? (3)

उत्तरः- अ) अन्यायपूर्ण तरीके से नमक कानून को तैयार किया गया था बिना कर (जो कभी - कभी नमक के मूल्य का चौदह गुना होता था) अदा किये गए नमक के प्रयोग को रोकने के लिए सरकार उस नमक को, जिससे वह लाभ पर नहीं बेच पाती थी नष्ट कर देती थी।

ब) प्राकृतिक नमक मिलने वाले क्षेत्र के आसपास व्यक्तिगत प्रयोग के लिए प्राकृतिक नमक उठा ले जाने की सम्भावना दिखने से सरकारी अधिकारी नियुक्त कर दिये जाते थे जिनका एक मात्र कार्य विनाश होता था इस प्रकार बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा को राष्ट्रीय खर्चे से नष्ट किया जाता था और लोगों के मुंह से नमक छीन लिया जाता था।

प्र.1 जमींदार समय पर ऋण चुकाने से क्यों चूक जाते थे?

प्र.2 उन पुराने परिवारों का उल्लेख कीजिए, जो राजस्व नही चुका पाते थे।

प्र.3 पाँचवी रिपोर्ट क्या थी?

उत्तर:-1(क) राजस्व की रकम अत्यधिक थी।

(ख) 1790 में राजस्व की रकम में वृद्धि होने से इसका खराब प्रभाव कृषि उत्पादन पर पड़ा । किसान समय पर कर नहीं दे सके

अतः जमींदार भी राजस्व नहीं चुका पाते थे।

(स) उत्पादन हमेशा समान रूप से नहीं होता था इसलिए भू-राजस्व एक समान नही था, परन्तु भू-राजस्व नियमित रूप से देना पड़ता था

उत्तरः-2 कुछ बाकीदार पुराने परिवार थेः नदिया, राजशाही, विशनपुर आदि । ये सभी बंगाल जिले से सबंधित थे।

उत्तरः-3 पाँचवी रिपोर्ट सन् 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी । जो भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रशासन में तथा क्रियाकलापो के बारे में तैयार की गई थी । यह रिपोर्ट 1,002 पृष्ठों में थी। 800 से अधिक पृष्ठों में जमीदारों और रैयतों की अर्जियाँ भिन्न - भिन्न जिलों के कलेक्टरों की रिपोटे राजस्व विवरण से सबंधित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल की गई थी।


एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 12 भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग I - II - III