NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 10 - उपनिवेशवाद और देहात(सरकारी अभिलेखों का अध्ययन)

NCERT Solutions class 12 इतिहास Chapter 10 - उपनिवेशवाद और देहात(सरकारी अभिलेखों का अध्ययन)

NCERT Solutions Class 12 इतिहास  12 वीं कक्षा से Chapter 10  उपनिवेशवाद और देहात(सरकारी अभिलेखों का अध्ययन) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स इतिहास के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions class 12 इतिहास Chapter 10 - उपनिवेशवाद और देहात(सरकारी अभिलेखों का अध्ययन)



सीबीएसई कक्षा -12 इतिहास

महत्वपूर्ण प्रश्न

पाठ-10

उपनिवेशवाद और देहात

(सरकारी अभिलेखों का अध्ययन)

2 अंक के प्रश्न

प्र.1 स्थायी बंदोबस्त क्या था ?

उत्तर- भूमिकर या लगान इकट्ठा करने की प्रथा जो 1793 में अंग्रेजी गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस (1786-1793) ने चलाई उसे स्थायी बंदोबस्त कहते हैं । इस व्यवस्था के अंतर्गत भूमि जमीदारों को स्थायी रूप से दे दी गई इस भूमि कर व्यवस्था को स्थायी बंदोबस्त का नाम दिया गया ।

प्र.2 रैयतबारी बन्दोबस्त क्या था?

उत्तर- अंग्रेजी कम्पनी ने भारत में लगान वसूल करने के अनेक ढंग चलाये । उनमें रैयतबारी भी एक था । इसमें सरकार का संबंध जमींदारों से न होकर रैयत या किसानों से सीधा होता था इसलिए जमींदारों को बीच में कुछ नहीं देना पड़ता था । इस प्रथा को मद्रास और बम्बई में लागू किया गया । इस व्यवस्था में लगान की दर काफी ऊँची थी जिसके परिणामस्वरूप किसान कर्ज लेने के लिए मजबूर हो जाते थे।

प्र.3 भाड़ा पत्र क्या था ?

उत्तर- भाड़ा पत्र एक ऐसा दस्तावेज था जिसमें रैयत यह लिखकर देते थे कि वे साहूकारों से जमीन और पशु खेती करने के लिए भाड़े पर ले रहे हैं । वास्तव में यह जमीन और पशु रैयत के ही होते थे जो ऋण न चुका पाने के कारण ऋणदाता ने हथिया लिए थे।

प्र.4 संथाल कौन थे? उनके जीवन की दो विशेषताएं क्या थीं?

उत्तर- संथाल लोग राजमहल पहाड़ियों की तलहटी या निचले भागों में रहते थे । वे हल से जुताई करके खेती करते थे। उन्हें मैदानों के जमींदार लोग खेती के लिए नई भूमि तैयार करने और खेती का विस्तार करने के लिए भाडे पर लगा लेते थे ।

प्र.5 दक्कन दंगा आयोग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- 1875 के बाद जो दक्कन में किसानों द्वारा दंगे किए गए उनकी छानबीन करने के लिए भारत सरकार के दबाव डालने पर बम्बई की सरकार ने जो जाँच आयोग बैठाया उसे दक्कन दंगा आयोग कहा जाता है । इसकी रिर्पोट 1878 में ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने पेश की गई।

प्र.6जोतदार कौन थे?

उत्तर- धनी किसानों के समूह को जोतदार कहा जाता था जो 18वीं शताब्दी के अंत में जमींदारों की बड़ी मुसीबतों का लाभ उठाकर अपनी शक्ति बढ़ाने में लगे हुए थे।

5 अंक के प्रश्न

प्र.7 राजस्व राशि के भुगतान में जमींदार क्यों चूक करते थे?

उत्तर- इसके अनेक कारण थे-

1. आरम्भ में राजस्व की दरें और मांगे बहुत ऊँची रखी गई थी क्योंकि सरकार सोचती थी कि बाद में राजस्व की मांगों को बढ़ाया नहीं जा सकेगा।

2. शुरू-शुरू में जमीदारों को अपनी-अपनी भूमियों के सुधार में अपने पास से बहुत धन व्यय करना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप लगान का भुगतान करने के लिए उनके पास धन की कमी हो गई।

3. जमींदार लोग नए कानूनों को समझने में असमर्थ रहे इसलिए वे राजस्व देने में कोताही करने लगे जिसके कारण राजस्व की राशि बढ़ती चली गई।

4. 1790 के दशक में कृषि उपज की कीमतें प्रायः काफी कम थी इसलिए किसान जमींदारों को अपना कर चुकान में असफल रहे । ऐसे में जब किसानों से धन प्राप्त नहीं हुआ तो वे आगे अंग्रेजी राजस्व अधिकारियों को धन कैसे चुका सकते थे।

5. राजस्व की राशि तो एक समान रहती थी परन्तु कई बार सूखा, अकाल पड़ने या अधिक वर्षा के कारण फसलें बर्बाद हो जाती थी परन्तु राजस्व वैसे का वैसा ही बना रहता था जिसे प्रतिकूल परिस्थितियों में चुकाना काफी कठिन हो जाता था।

6. जमींदारों से सभी प्रशासनिक अधिकार छीन लिए गए थे और वे अपनी सैन्य टुकड़ियाँ भी नहीं रख सकते थे । इस प्रकार किसानों पर उनका नियंत्रण काफी ढीला पड़ गया था। ऐसे में किसानों से पैसा कैसे वसूल किया जा सकता था?

7. जमींदारों को कमजोर होता देखकर अनेक गाँव के मुखिया-जोतदार या पंडत बड़े प्रसन्न होते थे क्योंकि अब उनके विरूद्ध शक्ति का प्रयोग नही कर सकते थे ऐसे में जमीदारों या उनके प्रतिनिधियों जिन्हें “अमला" कहते थे किसानों से भूमिकर एकत्रित करना काफी कठिन हो जाता था ।

प्र.8 संथालों ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध विद्रोह क्यों किया?

उत्तर- संथालों के बिटिश शासन के विरूद्ध विद्रोह के निम्न कारण थे -

1. संथालो ने जिस जंगली भूमि को बड़ी कठिनाई से साफ करके खेती योग्य बनाया था अब उस पर अंग्रेजी सरकार भारी कर लगा रही थी।

2. उधर साहूकार लोग भी, ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों से मिलकर ऊँची दर से संथालों को कर्ज देने लगे थे और कर्ज न मिलने पर वे उनकी भूमियों को हथियाने लगे थे । साहूकार की इस कुचेष्ठा के पीछे ब्रिटिश सरकार का हाथ था ऐसा संथाल लोगों ने महसूस किया । इसलिए वे साहूकारों को नहीं ब्रिटिश सरकार को दोषी मानने लगे थे।

3. उधर जब जमींदारों ने संथालों के निष्चित इलाके जिसे दामिन-इ-कोह कहा जाता था, पर अपने अधिकार का दावा किया तो संथाल लोग ब्रिटिश नीतियों से और भयभीत हो गए क्योंकि उनके विचार में इस कुचेष्ठा के पीछे भी ब्रिटिश सरकार का हाथ था ।

4. ब्रिटिश सरकार जैसे-जैसे सुदृढ़ होती गई उसने पहाड़ी क्षेत्रों को भी अपने दृढ. नियंत्रण में लेने का प्रयत्न किया । ऐसा ब्रिटिश साम्राज्य की सुरक्षा और आर्थिक स्थिति के लिए आवश्यक माना गया । ऐसे में जब संथालों के इलाके पर ब्रिटिश सरकार ने अपना नियंत्रण करने की सोची तो संथाल भड़क उठे और उन्होंने 1855-56 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया ।

प्र.9 पहाडिया लोगों के बारे में आप क्या जानते हैं।

उत्तर- 1. पहाडिया लोग राजमहल पहाड़ियों के असली निवासी थे । वे इस जगह को अपनी निजी संपत्ति समझते थे।

2. पहाड़िया लोग झूम खेती करते थे । वे जंगल के छोटे से हिस्से में झाडियां आदि को काट कर और घास-फूस को जलाकर जमीन साफ कर लेते थे और राख की पोटाश से उपजाऊ बनी भूमि पर अपनी फसले उगाते थे । कुछ समय उस जमीन को खाली छोड़ देते थे ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे ।

3. कुदाल पहाड़िया लोगों के जीवन का प्रतीक बन गया था।

4. इनका जीवन पूरी तरह जंगल की उपज पर निर्भर था । वे जंगलों से खाने के लिए फल तथा महुआ के फूल इकट्ठा करते थे और बेचने के लिए लकड़ियां इकट्ठी करते थे ।

10 अंक के प्रश्न

प्र.10 किसानों का इतिहास लिखने में सरकारी स्त्रोतों के उपयोग के बारे में क्या समस्याएं आती हैं?

उत्तर- किसानों संबंधी इतिहास लिखने में सरकारी स्त्रोतों के उपयोग के दौरान आने वाली समस्याएँ-

1. किसानों से संबंधित इतिहास लिखने में कई स्त्रोत हैं जिनमें सरकार द्वारा रखे गए राजस्व अभिलेख, सरकार द्वारा नियुक्त सर्वेक्षणकत्र्ताओं के द्वारा दी गई रिपोर्टो व पत्रिकाएँ जिन्हें हम सरकार की पक्षधर कह सकते है, सरकार द्वारा नियुक्त जांच आयोग की रिपोर्ट अथवा सरकार के हिम तें पूर्वागृह या सोच रखने वाले अंग्रेज यात्रियों के विवरण और रिपोर्ट आदि शामिल है।

2. ऐसे ऐतिहासिक स्त्रोतों पर दृष्टिपात करते समय हमें यह याद रखना होगा कि ये सरकारी स्त्रोत हैं और वे घटनाओं के बारे में सरकारी सरोकार और अर्थ प्रतिबिंबित करते हैं । उदाहरणार्थ - दक्कन दंगा आयोग से विशेष रूप से यह जाँच करने के लिए कहा गया था कि क्या सरकारी राजस्व का स्तर विद्रोह का कारण था, संपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद आयोग ने यह सूचित किया था कि मांग किसानों के गुस्से की वजह नहीं थी।

3. रिपोर्ट का मुख्य सार एवं दोष - इसमें सारा दोष ऋणदाताओं या साहूकारों का ही था इससे यह बात स्पष्ट होती है कि औपनिवेशिक सरकार यह मानने को कभी भी तैयार नहीं थी कि जनता में असंतोष या रोष कभी सरकारी कार्यवाही के कारण भी उत्पन्न हुआ था।

4. सरकारी रिपोर्ट इतिहास के पुननिर्माण के लिए बहुमूल्य स्त्रोत सिद्ध होती है लेकिन उन्हें हमेशा सावधानीपूर्वक पढ़ा जाना चाहिए और समाचार पत्रों, गैर-सरकारी वृतांतों, वैधिक अभिलेखों और यथासंभव मौखिक स्त्रोतो से संकलित साक्ष्य के साथ उनका मिलान करके उनकी विश्वसनीयता की जाँच की जानी चाहिए।

5. औपनिवेशिक सरकार जनता में व्याप्त असंतोष तथा रोष के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानने के लिए तैयार नहीं थी।

प्र.11 ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमींदारों पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए?

उत्तर- 1. जमीदारों की सैन्य टुकड़ियों को भंग कर दिया गया ।

2. सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया ।

3. उनकी कचहरियों को कम्पनी द्वारा नियुक्त कलेक्टर की देखरेख में रख दिया गया।

4. जमीदारों से स्थानीय न्याय और स्थानीय पुलिस की व्यवस्था करने की शक्ति छीन ली गई।

5. समय के साथ-साथ कलेक्टर का कार्यालय सत्ता के एक विकल्पी केन्द्र के रूप में उभर आया और जमींदार के अधिकार को पूरी

तरह सीमित एवं प्रतिबंधित कर दिया गया ।

अनुच्छेद आधारित प्रश्न-

पांचवी रिपोर्ट से उदधृत-

जमीदारों की हालत और जमीनों की नीलामी के बारे में पांचवी रिपोर्ट में कहा गया है -

राजस्व समय पर नहीं वसूल किया जाता था और काफी हद तक जमीने समय-समय पर नीलामी पर बेचने के लिए रखी जाती थीं। स्थानीय वर्ष 1203, तदनुसार सन 1796-97 में बिक्री के लिए विज्ञापित जमीन की निर्धारित राशि (जुम्मा) 28,70,061 सिक्का रू, थी और वर वास्तव में 17,90,416 रू. में बेची गई और 1418756 रूपये राशि जुम्मा के रूप में प्राप्त हुई स्थानीय संवत् 1204 तदानुसार सन् 1797 - 98 में 26,66,1991 सिक्का रूपये के लिए जमीन विज्ञापित की गई 22,74,076 सिक्का रूपये की जमीन बेची गई और क्रय राशि 21,47,580 सिक्का रूपये थी । बाकीदारों में कुछ लोग देश के बहुत पुराने परिवारों में से थे । ये थे नादिया, राजशाही, विशनपुर (सभी बंगाल के) आदि के राजा । साल दर साल उनकी जागीरों के टूटते जाने से उनकी हालत बिगड़ गई । उन्हें गरीबी और बर्बादी का सामना करना पड़ा और कुछ मामलों में तो सार्वजनिक निर्धारण की राशि को यथावत बनाए रखने के लिए राजस्व अधिकारियों को भी काफी कठिनाइयां उठानी पड़ी।

प्र.1 जमींदार समय पर ऋण चुकाने से क्यों चूक जाते थे ? (3)

प्र.2 उन पुराने परिवारों का उल्लेख कीजिए, जो राजस्व नही चुका पाते थे (2)

प्र.3 पाँचवी रिपोर्ट क्या थी? (3)

उत्तर-1. (क) राजस्व की रकम अत्यधिक थी।

(ख) 1790 में राजस्व की रकम में वृद्धि होने से इसका खराब प्रभाव कृषि उत्पादन पर पड़ा । किसान समय पर कर नहीं दे सके

अतः जमींदार भी राजस्व नहीं चुका पाते थे।

(स) उत्पादन हमेशा समान रूप से नहीं होता था इसलिए भू-राजस्व एक समान नही था, परन्तु भू-राजस्व नियमित रूप से देना पड़ता था

उत्तर-2. कुछ बाकीदार पुराने परिवार थेः नदिया, राजशाही, विशनपुर आदि । ये सभी बंगाल जिले से सबंधित थे

उत्तर-3. पाँचवी रिपोर्ट सन् 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी । जो भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रशासन में तथा क्रियाकलापो के बारे में तैयार की गई थी । यह रिपोर्ट 1,002 पृष्ठों में थी । 800 से अधिक पृष्ठों में जमीदारों और रैयतों की अर्जियाँ भिन्न – भिन्न जिलों के कलेक्टरों की रिपोटे राजस्व विवरण से सबंधित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल की गई थी।


एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 12 भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग I - II - III