NCERT Solutions class 12 भूगोल Chapter 6 - जल - संसाधन

NCERT Solutions class 12 भूगोल  Chapter 6 - जल - संसाधन

NCERT Solutions Class 12 भूगोल 12 वीं कक्षा से Chapter 6 जल - संसाधन के महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स भूगोल के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके।
Solutions class 12 भूगोल  Chapter 6 - जल - संसाधन


CBSE Class 12 Geography

Important Questions

(भाग-2)

पाठ-6

जल - संसाधन

अति लघु - उत्तरात्मक प्रश्न

प्र-1 भारत में किस नदी बेसिन में भौम जल का पुन: पूर्तियोग्य संसाधन का सबसे अधिक प्रतिशत है?

उत्तर- गंगा नदी बेसिन ।

प्र-2 भारत में कौन सा सैक्टर (आर्थिक क्रिया) धरातलीय और भौम जन का सर्वाधिक उपयोग करता है?

उत्तर- धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है ।

प्र-3 किस नदी बेसिन का कुल पुन: पूर्तियोग्य भौम जन संसाधन सबसे कम है?

उत्तर- सुवर्ण रेखा नदी।

प्र-4 कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत सबसे अधिक किस राज्य में है?

उत्तर- गुजरात ।

प्र-5 केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जन -संभर विकास परियोजना कौन सी है?

उत्तर- हरियाली।

प्र-6 आंध्र प्रदेश में लोगों के सहयोग से चलाया जाने वाला जल संग्रहण कार्यक्रम कौर सा है?

उत्तर- नीरू मीरू कार्यक्रम (जल और आप)

प्र-7 किन राज्यों में लैगून व झीलों का प्रयोग धरातलीय जन संसाधनों के रूप में होता है?

उत्तर- केरल, उडीसा और पं० बंगाल राज्यों में।

प्र-8 देश में कृषि विकास की हरित क्रान्ति की रणनीति किन राज्यों में अधिक सफल हुई है?

उत्तर- पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में।

प्र-9 'जल गुणवत्ता' का अभिप्राय स्पष्ट करो।
उत्तर- जलगुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता या अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है।

प्र-10 देश में अत्याधिक प्रदूषित दो नदियाँ कौन सी है?
उत्तर- गंगा और यमुना नदी।

प्र-11 दिल्ली से वाराणसी में मध्य गंगा नहीं पर स्थित दो ऐसे महानगरों के नाम बताओं जो अत्याधिक प्रदूषित है?

उत्तर- कानपुर, इलाहाबाद ।

प्र-12 राष्ट्रीय जल संसाधन की गुणवत्ता का मानीटरन कौन सी दो कम्पनियाँ करती हैं?

उत्तर- केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सी. पी. सी. बी) राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (एस. पी. सी. बी)

प्र-13 भारत में जलसंभर विकास की शुरूआत किस क्षेत्र से हुई।

उत्तर- महाराष्ट्र में, अहमदनगर जिले में रालेगॅन सिद्धि गाँव से ।

प्र-14 भारत में जल प्रदूषण के किन्हीं दो स्त्रोंतो का उल्लेख कीजिए। (बोर्ड परीक्षा - 2013)

उत्तर- 1. वाहित मल निपटान
2. नगरीय वाही जल
3. उद्योगों से विषाक्त जल का स्त्राव
4. नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र,
5. कृषित भूमि के ऊपर से बहता हुआ जल !

प्र-15 राजस्थान के अलवर जिले में चलाया जाने वाला जल संग्रहण कार्यक्रम कौन सा है?

उत्तर- अरवारी पानी संसद ।

प्र-16 किस राज्य में घरों में जल संग्रहण सरंचना को बनाना आवश्यक कर दिया गया है?

उत्तर- तमिलनाडु।

प्र-17 राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढाँचे किस नाम से जानी जाती है?

उत्तर- कुंड अथवा टाँका ।

प्र-18 यमुना नदी किन दो शहरों के बीच सबसे अधिक प्रदूषित है?

उत्तर- दिल्ली और इटावा

लघु प्रश्नोत्तर

प्र-1 दिए गए आरेख का अध्ययन कीजिए तथा इसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए?
Solutions class 12 भूगोल  Chapter 6 - जल - संसाधन
1. कौन सा क्षेत्र जल निकासी का सबसे अधिक उपयोग करता है। एक कारण दीजिए?
2. घरेलू क्षेत्र में भोग जल का उपयोग, धरातलीय जल उपयोग की तुलना में कम क्यों है?

उत्तर- 1. कृषि क्षेत्र - कृषि उत्पादकाता बढ़ाने के लिए सिंचाई की आवश्यकता है।
2. अधिकतर लोग उन्ही क्षेत्रों में रहने की प्राथमिकता देते हैं जहाँ धरातलीय जन असानी से सुलभ होता है।
 भौम जल अधिकांश क्षेत्रों में पीने योग्य नहीं है।
- भौम जल कई क्षेत्रों में बहुत गहराई पर होता है, जिसकी निकासी कठिन होती है ।

प्र-2 भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्यों है?इस संदर्भ में किन्हीं तीन कारणों की व्याख्या कीजिए?

उत्तर- कृषि में जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के रूप में होता है । देश में वर्षा के स्थानिक - सामयिक भिन्नता के कारण
सिंचाई की आवश्यकता होती है । सिंचाई की बढ़ती मांग के कारण निम्नलिखित हैं ।
1) वर्षा की असमान वितरण ।
2) मानूसन की अनिश्चित प्रकृति ।
3) सिंचाई की व्यवस्था द्वारा बहुफसलीकरण संभव ।

दीर्घ प्रश्नोत्तर

प्र-3 भारत में कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्याधिक उपयोग के तीन दुष्परिणामों का वर्णन कीजिए?

उत्तर- भौम जल संसाधन के अत्याधिक उपयोग के दुष्परिणाम:-
1. पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भौम जल संसाधन के अत्याधिक उपयोग से भौमजल स्तर नीचा हो गया है ।
2. राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लुओराइड की मात्रा बढ़ गई है।
3. पं. बंगाल और बिहार के कुछ भागों में संख्या की मात्रा बढ़ गई है ।
4. पानी को प्राप्त करने में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्र-4 वर्षा जल संग्रहण किसे कहते है? वर्षा जल संग्रहण के किन्हीं चार उपयोगों का वर्णन कीजिए?

उत्तर- वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है ।

वर्षा जल संग्रहण के उपयोग:-
1. पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है, जिसे सिंचाई तथा पशुओं के लिए उपयोग किया जाता है।
2. भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है।
3. मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है।
1. फ्लुओराइट और नाइट्रेटस जैसे संदूषकों को कम कर के भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

प्र-5 भारत में जल संसाधनों की संरक्षण क्यों आवश्यक है? किन्ही तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए?

उत्तर- 1. अलवणीय जल की घटती उपलब्धता।
2. शुद्ध जल की बढ़ती मांग।
3. जल की स्थानिक एंव ऋतुवत असमानता ।
4. तेजी से फैलते हुए प्रदूषण से जल की गुणवत्ता का हास

प्र-6 नीचे दी गई तालिका के आँकड़ों का अध्ययन कर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें।
कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत
राज्य प्रतिशत
 गुजरात 86.6
 राजस्थान 77.2
 मध्य प्रदेश 66.5
 महाराष्ट्र 65
 उत्तर प्रदेश 58.21
 पं. बंगाल 57.6
 तमिलनाडु 54.7
1. किस राज्य में कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्र सर्वाधिक है तथा क्यों?
2. किस राज्य में कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत निम्न है तथा क्यों?

उत्तर- 1. गुजरात राज्य: - इस राज्य में नहरों का आभाव है।
2. तमिलनाडु: - इस राज्य में तालाबों से नहरे निकाल कर सिंचाई अधिक होती है । यहाँ कुँए खोदना मुश्किल कार्य है क्योंकि यह पठारी प्रदेश है।

विस्तृत उत्तीरय प्रश्न:-

प्र-1 जल संभर प्रबन्धन के लिए सरकार द्वारा उठाये गये प्रमुख कदम कौन से है? कम से कम चार बिन्दुओं में स्पष्ट करें?

उत्तर- जल संभर प्रबन्धन:- धरातलीय एवं भौम जल संसाधनो का दक्ष प्रबन्धन, जिससे कि वे व्यर्थ न हो, जल संभर प्रबन्धन कहलाता है । इससे भूमि, जल पौधे एवं प्राणियों तथा मानव संसाधन के संरक्षण को भी विस्तृत अर्थ में शामिल करते है।

प्रमुख कदम:-

(1) हरियाली' केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल संभर विकास परियोजना है । इस योजना से ग्रामीण जल संरक्षण करके पेय जल की
समस्या को दूर करने के साथ - साथ वनरोपण, मतस्य पालन एवं सिचाई की सुविधा भी प्राप्त कर सकते है ।
(2) नीरू - मीरू कार्यक्रम आन्ध्रप्रदेश में चलाया गया है। जिसका तात्पर्य है 'जल और आप' । इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों को जल संरक्षण की विधियाँ सिखायी गयी है।
(3) अरवारी पानी संसद - राजस्थान में जोहड़ की खुदाई एवं रोक बांध बनाकर जल प्रबन्धन किया गया है ।
(1) तमिलनाडु में सरकार द्वारा घरों में जल संग्रहण संरचना आवश्यक कर दी गयी है

।- उपर्युक्त सभी कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों को जागरूक करने उनका सहयोग लिया गया है।

प्र-2 हमारे देश में जल संसाधन किन समस्याओं से जूझ रहा है व्याख्या कीजिए?

उत्तर- जल मानव की न्यूनतम आवश्यकताओं में आता है लेकिन आज जल संसाधन की प्रति व्यक्ति उपलब्धता दिनो दिन कम होती जा रही है। इससे जुड़ी समस्याओं निम्नलिखित हैं।
(1) जल की उपलब्धता में कमी: - जनसंख्या वृद्धि एवं सिचांई के साधनों में वृद्धि के कारण भूमिगत जल का दोहन बढ़ गया है जिससे भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घट रहा है । नगरों की बढ़ती जनसंख्या को पेय जल की आपूर्ति कठिन हो रहा है।
(2) जल के गुणों का हृास: - जल का अधिक उपयोग होने से जल भंडारों में कमी आती है साथ ही उसमें बाहृय अवांछनीय पदार्थ जैसे सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट आदि मिलते जाते है जिससे नदियाँ जलाशय सभी प्रभावित होते है। इससे जलीय तन्त्र भी प्रभावित होता है । उदाहरण स्वरूप यमुना नदी में यदा कदा आर्सेनिक की मात्रा में वृद्धि ।
(3) जल प्रबन्धन: - जल प्रबन्धन के लिए देश में अभी भी पर्याप्त जागरूकता नहीं है । सरकारी स्तर पर बनी नीतियों एवं कानूनों का प्रभावशाली रूप से कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है इसीलिये प्रमुख नदियों के संरक्षण के लिये बनी योजनायें निरर्थक साबित हुयी है ।
(4) जागरूकता एवं जानकारी का आभाव: - जल एक सीमित संसाधन है हांलाकि यह पूरणीय है इसे सुरक्षित एवं शुद्ध रखना हमारी जिम्मेदारी है - इस तरह की जागरूकता का अभी देश में अभाव है ।

प्र-3 जल संसाधनों के कम होने के उत्तरदायी किन्ही तीन कारकों की व्याख्या कीजिए । भारत में जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए किन्ही दो वैधानिक उपायों को बताइए । (बोर्ड परीक्षा - 2013)

उत्तर- भारत में जल संसाधनों की कमी के कारण

1. अत्याधिक उपयोग: - बढ़ती जनसंख्या के कारण जल संसाधनों का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है । घरेलू ही नहीं औद्योगिक क्षेत्र में भी इसका लगातार उपयोग जल संसाधनों में कमी का मुख्य कारण है । कई बार उपयोग की बजाय दुरूपयोग इसी कमी को और भी बढ़ा देता है।
2. नगरीय क्षेत्रों का धरातल कंक्रीट युक्त होना: - बढ़ते विकास व औद्योगीकरण के कारण अब नगरीय क्षेत्रों में कहीं भी धरातल कच्चा नहीं है बल्कि कंक्रीट युक्त हो चुका है जिससे भूमि के नीचे जल रिसाव की मात्रा कम होती जा रही है और भौम जल संसाधनों में कमी आ गई है।
3. वर्षा जल संग्रहण के संदर्भ में जागरूकता की कमी: - वर्षा जल संग्रहण के द्वारा संसाधनों का संरक्षण आसानी से किया जा सकता है । इसके लिए जरूरत है लोगों को जागरूक करने की ताकि वो वर्षा जल के महत्व को समझें और विभिन्न विधियों द्वारा उसका संग्रहण व संरक्षण कर सकें । वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग भूमिगत जल पर निर्भरता को कम करता है।
4. जलवायिक दशाओं में परिवर्तन: - जलवायु की दशाओं में परिवर्तन के कारण मानसून में भी परिवर्तन आता जा रहा है जिसके कारण धरातलीय व भौम जल संसाधानों में लगातार कमी आ रही है।
5. किसानों द्वारा कृषि कार्यों के लिए जल का अति उपयोग: - किसानों द्वारा कृषि कार्यों के लिए अत्याधिक धरातलीय व भौम जल का उपयोग जल संसाधनों में कमी ला रहा है । बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वर्ष में तीन बार कृषि करने से सिंचाई पर दबाव बढ़ रहा है।

वैधानिक उपाय:-
1. जल अधिनियम - 1974 (प्रदूषण का निवारण और नियन्त्रण)
2. पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम - 1986
3. जल उपकर अधिनियम - 1977

प्र-4 भारत में सिंचाई बढ़ती हुई माँग के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन करो।

उत्तर- भारत एक उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश है इसलिए यहाँ सिंचाई की माँग अधिक है। सिंचाई की बढ़ती माँग के कारण निम्नलिखित है:-
1. वर्षा का असमान वितरण:- देश में सारे वर्ष वर्षा का अभाव बना रहता है। अधिकांश वर्षा केवल (मानसून) वर्षा के मौसम में ही होती है इसलिए शुष्क ऋतु में सिंचाई के बिना कृषि सम्भव नहीं ।
2. वर्षा की अनिश्चितता:- केवल वर्षा का आगमन ही नहीं बल्कि मात्रा मात्रा की अनिश्चित है । इस उतार-चढ़ाव की कमी केवल सिंचाई द्वारा ही की जा सकती है।
3. परिवर्तन शीलता:- वर्षा की भिन्नता व परिवर्तनशीलता अधिक है । किन्ही क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है तो कहीं कम, कहीं समय से पहले तो कहीं बाद में । इसलिए सिंचाई के बिना भारतीय कृषि मानसून का जुआ बन कर रह जाती है ।
4. मानसूनी जलवायु:- भारत की जलवायु मानसूनी है जिसमें केवल तीन से चार महीने तक ही वर्षा होती है। अधिकतर समय शुष्क की रहता है जबकि कृषि पूरे वर्ष होती है। इसलिए सिंचाई पर भारतीय कृषि अधिक निर्भर है ।
5. खाद्यान्न व कृषि प्रधान कच्चे माल की बढ़ती मांग:-देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों व कच्चे माल की माँग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इसलिए बहुफसली कृषि जरूरी है जिसके कारण सिंचाई की माँग बढ़ रही है।

POINTS TO REMEMBER
वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता क्यों?
1 जल की निरन्तर माँग को पूरा करना।
2 सड़कों के जल भराव को रोकना ।
3 मृदा अपरदन को रोकना।
4 भौम जल प्रदूषण को रोककर प्रदूषण को घटाना ।
5 भौम जल की गुणवत्ता को सुधार कर उसे बढाना ।
6 नालियों को रोकने वाले सतही प्रवाह को कम करना ।
7 ग्रीष्म काल में जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करना।
वर्षा जल संग्रहण के तरीके
1 मकानों की छत पर गिरे वर्षा के जल का संग्रहण ।
2 खेतों और गावों में तलाब ।
3 सीढ़ीदार खेत
4 रोक बाँध
5 जल - रिसाव तालाब
6 वन रोपण
7 झीलों द्वारा जल संरक्षण
8 पुर्नभरण कूप द्वारा जल संग्रहण
9 सर्विस कूप द्वारा जल संग्रहण
10 जल-संभर प्रबन्धन द्वारा जल संरक्षण

एनसीईआरटी सोलूशन्स क्लास 12 भारत लोग और अर्थव्यवस्था (भूगोल)