NCERT Solutions class 12 भूगोल Chapter 6 - द्वितीयक क्रियाएं
CBSE Class 12
Important Questions
(भाग-1)
पाठ-6
द्वितीयक क्रियाएं
अध्याय से संक्षेप में जाने:-
प्र.1 स्वछंद उद्योग से क्या तात्पर्य है?
उ० ये वे उद्योग है जो किसी कच्चे माल पर निर्भर नहीं होते वरन संगठन पुरजों पर निर्भर रहते है।
प्र°2 कुटीर उद्योग के अंतर्गत किन्ही दो कार्यों के नाम लिखो?
उ० (1) दैनिक उपयोग में आने वाले पदार्थ जैसे - अचार, बीडियाँ, पापड़ आदि
(2) स्थानीय रूप से प्राप्त संसाधनों से बनने वाली चटाईयाँ, टोकरी आदि।
प्र°3 निम्नलिखित उद्योगों एवं उनके वर्गीकरण का मिलान कीजिये?
उ०
उद्योग | वर्गीकरण |
---|---|
1. माचिस | अ. रसायन उद्योग |
2. शक्कर | ब. पशु आधारित |
3. ऊनी वस्त्र उद्योग | स. खनिज आधारित |
4. सीमेंट | द. कृषि आधारित |
5.प्लास्टिक | य. वन उद्योग |
उ° 1.य, 2.द, 3. ब,4.स. 5. अ
प्र.4 जर्मनी का रूहर कोयला क्षेत्र किस प्रकार के औधोगिक प्रदेश के अंतर्गत रखा जा सकता है?
उ० परंपरागत बड़े पैमाने वाले औधोगिक प्रदेश।
प्र°5 उच्च प्रोधोगिकी उद्योग में लगे कर्मियों का अधिकतर भाग किस श्रेणी में आता है?
उ° अधिकतर भाग व्यवसायिक श्रमिको (अथार्त सफ़ेद कालर युक्त) का होना है।
प्र°6 किस उद्योग को आधारभूत उद्योग की संज्ञा दी जाती है और क्यों?
उ° लौह इस्पात उद्योग। क्योकि यह अन्य उद्योगो में आने वाली मशीनों तथा औजारों के निर्माण के लिये भी कच्चा माल प्रदान करता है।
प्र.7 परंपरागत रूप में बड़े इस्पात उद्योग के लिये कच्चे माल के रूप में किन खनिजो की आवश्यकता होती है?
उ. लौह अवरक, कोयला, मेंगनीज, चूना पत्थर
प्र.8 जंग का कटोरा' नाम से किस क्षेत्र को जाना है?
उ° संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित पिट्सबर्ग जो लौह इस्पात उत्पादन करने प्रमुख क्षेत्र है।
विस्तार से जाने:-
प्र.9 छोटे पैमाने के उद्योगों की तीन विशेषतायें बताइये।
उ० (1) इसमें कुटीर उद्योग से भिन्न निर्माण स्थल घर से बाहर होता है।
(2) इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है एवं अर्द्धकुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रो का उपयोग किया जाता है।
(3) रोजगार के अवसर अधिक प्राप्त होते है।
प्र.10 उत्पाद आधारित उद्योग किसे कहते है? उदाहरण सहित स्पष्ट करे.।
उ° कुछ उद्योगों के उत्पाद अन्य उद्योगों के लिये कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होते है जैसे लकड़ी की लुग्दी बनाने का उद्योग - कागज उद्योग के लिये कच्चा माल प्रदान करेगा। अतः कागज उद्योग उत्पाद आधारित उद्योग होगा।
प्र.11 स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को वर्गीत करे?
उ० स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है:-
(1) सावर्जनिक क्षेत्र:- इसके अंतर्गत वे उद्योग है जिन्हें सरकार संचालित करती है जैसे भारत में आयुध कारखाना
(2) निजी क्षेत्र:- वे उद्योग जिनका स्वामित्व व्यक्तिगत निवेशको या निजी संगठनो के पास होता है।
(3) संयुक्त क्षेत्र:- वे उद्योग जिनको निजी एवं सरकारी क्षेत्र मिलकर चलते है।
प्र 12 परम्परागत रूप से चले आ रहे बड़े पैमाने वाले औधोगिक प्रदेशों की किन्ही तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
उ० (1) औधोगिक इकाई के आसपास का वातावरण आकर्षण नहीं होता। स्वच्छता एवं सफाई की विशेष व्यवस्था नहीं की जाती।
(2) प्रदुषण की समस्या बनी रहती है।
(3) रोजगार का अनुपात अधिक रहता है।
(4) कर्मियों के लिये आवश्यक सुविधाओं की तरफ ध्यान कम दिया जाता है।
प्र°13 आधुनिक औधोगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृतियाँ क्या है?
उ° आधुनिक औधोगिक क्रियाओं की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित है:-
(1) आधुनिक निर्माण प्रक्रिया बहुत सारे यंत्रों पर निर्भर है। अत्याधुनिक एवं विकसित यंत्रों का प्रयोग होता है।
(2) कार्यों को विभाजित / वर्गीकृत करके विशिष्ट कुशलता प्राप्त व्यक्तियों को कार्य में लगाया जाता है।
(3) प्रबंध स्तर पर प्रशासन एवं अधिकारी वर्गों की नियुक्ति की जाती है।
(4) पूँजी निवेश अधिक होता है। उत्पादन में लागत कम करने का प्रयास किया जाता है।
प्र°14 संसार के कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों को प्रचुरता के बावजूद औधोगिक विकास नहीं हुआ है उदाहरण सहित स्पष्ट करे?
उ० संसार के कुछ क्षेत्र जैसे अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। यहाँ प्राकृतिक संसाधन है किन्तु औधोगिक प्रगति आशा के अनुरूप नहीं हो पायी है और विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा में पिछड़े रह गये है।
इसका कारण इन क्षेत्रों में (जैसे अफ्रीका के देश नाइजीरिया, ज़िम्बाब्वे आदि) आधारभूत अवसंरचनाओ में कमी, राजनैतिक अस्थिरता आवश्यक तकनीकी का अभाव एवं आर्थिक कमजोरी है।
विस्तृत उत्तरः-
प्र.15 उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले वे कौन से कारक है जिनके कारण उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ बढ़ाते है!
उ० उद्योगों की स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है की उनसे कम से कम लागत पर अधिक से अधिक लाभ कमाया जाय। इसके लिये निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है:-
(1) कच्चे माल की प्राप्ति आसानी से हो - उदाहरणार्थ लौह इस्पात उद्योग जैसे भारी उद्योगों के लिये खनिज अयस्क खाने उद्योग के पास होने से परिवहन सरल एवं सस्ता रहता है। भोजन प्रसंस्करण के लिये कृषि एवं डेरी उत्पाद का नोत समीप होना चाहिए आदि।
(2) बाज़ार तक पहुंच आसान हो:- जिससे उत्पादित नाल को आसानी से क्रेताओं तक पहुँचाया जा सके।
(3) श्रम आपूर्ति:- उद्योगों में बड़ी संरज्या में कुशल, अर्द्धकुशल एवं अकुशल कर्मियों को आवश्यकता होती है उनकी आसानी से उपलब्धि आवश्यक है।
(4) शक्ति के साधन की अबाध आपूर्ति - उद्योगों के लिए बिजली की आवश्यकता अपरिहार्य है इसी तरह कोयला एवं खनिज तेल जैसे साधन भी कुछ उद्योगों के लिये आवश्यक है।
(5) परिवहन एवं संचार की सुविधा होना।
(6) सरकारी नीति उद्योगों लिये हितेषी होगा।
प्र.16 उच्च प्रौधोगिक उद्योग नगरों के परिधि क्षेत्रों में क्यों विकसित होते हैं?
उ०1. उच्च प्रौधोगिक उद्योग में वैज्ञानिक एंव इंजीनियरिंग उत्पादकों निर्माण कार्य किया जाता है। इसमें शोध की जरूरत होती है।
2. इसमें श्रमिकों का अधिकांश भाग दक्षता प्राप्त होते है।
3. अधिकांश कार्य कम्प्यूटर एंव यंत्रों द्धारा सम्पन्न किया जाते है।
4. इन उद्योगों के स्थान साफ सुधरे विशाल भवनों, कार्यालयों एव प्रयोगशालाओं से युक्त होते है।
5. इन्हें प्रौधोगिक ध्रुव भी कहा जाता है।
ये नगर के परिधी क्षेत्र में इसलिये होते हैं क्योंकि
(अ) नगर के बाहर क्षेत्र में सस्ती और अधिक भूमि उपलब्ध होती है।
(ब) नगर के बाहय क्षेत्र से आन्तरिक क्षेत्रों की तरफ यातायात की सुविधा उपलब्ध होती है।
प्र.17 छोटे पैमाने के उद्योगों स्थापित करने के कोई दो लाभ बताइये।
उ छोटे पैमाने के उद्योग स्थापित होने से कोई देश कई प्रकार से लाभान्वित होता है।
इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है एंव अर्द्ध कुशल श्रमिक लगते है इससे बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का उपयोग होता है जिससे उपभोक्ता सामग्री उत्पादन में वृद्धि है। लोगों की क्रय शक्ति में भी रोजगार मिलने के कारण वृद्धि होती हैं।
उदाहरण - माचिस उद्योग, मोमबत्ती आदि